गयारह साल पूर्व पार्लियामेंट पर आतंकी हमला हुआ था .ये हमला किन लोगों ने किया और उनका संबंध किस मुल्क से था इसका आज तक आज तक पता न चल सका।हारे हुए जूआरि की तरह इल्जाम पाकिस्तान पर लगा दिया गया लेकिन इसका कोई सबूत अबतक न दिया जा सका है .इस सिलसिले में अफजल गुरु को गिरफ्तार किया गया जिसे फांसी की सजा दी गई उनके साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर गिलानी को भी फांसी की सजा दी गई थी ,जिस की तस्दीक( प्रमाणित )दिल्ली हाई कोर्ट ने भी की थी ,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिलानी को बे कसूर समझ कर बा इज्ज़त तौर पर रिहा कर दिया और वह फिर पढा ने का काम करने लगे .गिलानी को गैर मस्देका तौर पर दिल्ली पुलिस ने गोली मार कर क़त्ल (हत्या) करने की कोशिश भी की लेकिन उनकी वकील ने उन्हें फ़ौरन अस्पताल पहुंचाकर बचा लिया .जिलानी के चेहरे पर एक प्रोग्राम में हिन्दू दहशतगर्दों ने थूका और मार पिट की .हिन्दू दहशतगर्दों अपने दहशतगर्दों को हीरो बनाते हैं और मुसलमानों को बेईज्ज़त करते हैं .अटल बिहारी बाजपेई को हिन्दू दहशतगर्दी एतदाल परश्त कहती है लेकिन इस बात को नजर कर दिया जाता है के 5 दिसंबर 1992 को बाजपेई ने लखनऊ में हिन्दुओं को बाबरी मस्जिद को उकसाया था .बाजपेई की तकरीर की सी डी सीबीआई के पास मौजूद है .इसके बुनियाद पर बाजपेई को सजा दी जानी चाहिए .बाजपेई एक हिन्दू फिरका परस्त (सम्प्रादाइक )थे और हैं लेकिन मीडिया ने उन्हें बहूत बड़ा सेक्युलर बना कर पेश किया .
अफजल गुरु को फांसी की सजा दी गई लेकिन कैसे दी गई इस पर गौर करने की जरुरत है .अफजल गुरु पहले कश्मीरी दहशतगर्द थे .उनहोंने दहशतगर्दी को छोड़ कर साधारण जिंदगी गुजारने लगे थे .श्रीनगर के एक- डी एस पी तेयागी ने अफजल से कहा के वह कुछ लोगों को दिल्ली ले जाये और वहां उनके रहने का इन्तेजाम करे .DSP तेयागी के कहने पर अफजल गुरु ने वह किया जो एक हिन्दू DSP ने कहा था .हैरत की बात है के अफजल गुरु पर मुक़दमा चला और उसे मौत की सजा दी गई लेकिन हिन्दू DSP तेयागी का कहीं नाम नहीं आया जिस ने दह्सह्त्गार्दों को पार्लियामेंट पर हमला करने के लिए भेजा था .अफजल गुरु के मुक़दमे की कानून के मुताबिक सुनवाई नहीं हुई ,हाई कोर्ट ने गुरु को जो वकील दिया उसने कहा के गुरु को फांसी दी जाए .ये वह वकील कह रहा है जिसकी जिम्मेदारी थी के गुरु का बचाव करे .ये अंदाज और रवैया रहा अदालत का गुरु के मामले में ,अफजल गुरु के खेलाफ कोई जुर्म साबित नहीं हुआ .उसको वकील नहीं दिया गया .उसे गवाहों से जिरह करने की इजाजत नहीं दी गई ,लेकिन फाँसी पर लटकाने का आदेश दे दिया गया .देश के नामवर वकील राम जेठ मालानी ने बयान जारी कर कहा के अफजल गुरु के मामले की सुनवाई कानून के मुताबिक नहीं हुई है और वह खुद उसका मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे तब हिन्दू दहशतगर्दों ने उनके मुंबई इस्थित दफ्तर में तोड़ फोड़ की थी .इससे हिन्दू दहशतगर्दी के मिजाज़ का अंदाजा लगाया जा सकता है और फिर BJP ने जेठ मलानी को चुप कराने के लिए उन्हें राज्य सभा का मेम्बर बना दिया .
देश में 477 लोग फाँसी का इन्तेजार कर रहे हैं तो फिर गुरु की फाँसी पर ही जिद क्यों ?दर असल इसके पीछे हिन्दू दहशतगर्दाना सोंच काम कर रही .पार्लियामेंट पर हमला हुआ जिसमे 13 लोग मारे गए और हिन्दू दहशतगर्दों ने पाँच हजार मुसलमानों को क़त्ल कराने वाले को गुजरात का मुख्य मंत्री बना रख्खा है ,मालूम नहीं कितने मुसलमानों को क़त्ल कराने वाले का कारण बने लाल कृष्ण आडवाणी को उप प्रधान मंत्री बनाया गया .13 लोग मरे तो अफजल गुरु को फाँसी और हजारों बे गुनाहों को मरवाने वाले अडवाणी और नरेंदर मोदी को बड़े ओहदे .ये कौन सा इन्साफ है ?हम अफजल गुरु को पूरी तरह बे कसूर समझते हैं .अफजल गुरु की फांसी की जिद करने वाले और हिन्दू दहशतगर्द सोंच रखने वालों से मै पूछना चाहता हूँ के देश के बेगुनाह और बेक़सूर मुसलमानों को कत्ल कराने वालों में से क्या किसी एक को भी फाँसी हुई नहीं हुई क्यों के ये सब के सब हिन्दू थे .अफजल गुरु बेगुनाह और बेक़सूर है उसे फ़ौरन रेहा करने की जरुरत है .हिन्दू स्म्प्रदाइक पार्टी ने गुरु की फांसी को एक सियासी मसला बना दिया है ताके इसके जरिये हिन्दू दहशतगर्दाना सोंच रखने वालों का वोट हासिल किया जा सके .हम मांग करते हैं के अफजल गुरु के केस की फिर से सुनवाई की जाये और अगर जरुरत हुआ तो उसे विदेशी वकील उपलब्ध कराइ जाये ताके साबित हो सके गुरु बे गुनाह है .अगर अफजल गुरु को फांसी हुई तो ये इन्साफ का खून होगा .कश्मीर के DSP तेयागी की तलाश करो और उसे सजा दो अफजल गुरु को नहीं .
हैरत की बात है के पाकिस्तानी दहशत गर्द कसाब को हर सम्भव सहूलत दी गई ,उसे अच्छे वकील मुहैया कराए गए लेकिन अफजल गुरु को ऐसी सहूलत नहीं दी गई .गुरु के मामले की फिर से सुनवाई हो हम एक बार फिर ये माँग करते हैं .भारतीय पार्लियामेंट और भारतीय जनता को शर्म के समुन्दर में डूब जानी चाहिए के पार्लियामेंट पर हमले में मारे गए 13 मरने वालों की तो गम मनाते हैं लेकिन देश की आजादी के बाद हुए 32 हजार से भी जेयदा फिरकावाराना फसादात(सम्प्रदैक दंगो )में मारे गए बेगुनाहों को याद नहीं करते हो .गुजरात में हजारों औरतों और मुस्लिम लड़कियों की अस्मत दरी (बालात्कार )को तुम क्यों नहीं याद करते ?इसका जवाब दो .तुम बाबरी मस्जिद विध्वंस पर इजहारे शर्म क्यों नहीं करते हो ?इसका क्या जवाब है तुम्हारे पास?हम पार्लियामेंट हमले ही को मशकुक (शंदिग्ध )निगाह से देखते हैं .
माफ़ कीजिये उपरोक्त हमले को हम फैब्रिकेटेड कहानी मानते हैं .ऐसा लगता है के जिन लोगों को हलवार कहा जा रहा है वह सब druged थे और किसी और ने गोलियाँ चलाकर सिक्यूरिटी वालों को हालाक (हत्या)किया .हमलावर कौन थे ,कहाँ से आये थे और उनका मकसद क्या था?आज तक उसका पता नहीं चल सका ,सारा मामला रहस्य बना हुआ है ,हाल तो ये है के एक पाकिस्तानी आतंकवादी मारा गया तो दो मिनट के बाद उसका सारा सिजरा अखबारों में आ जाता है के पकिस्तान के फलां शहर की फलां गली और फलां नंबर के मकान में रहता था लेकिन पार्लियामेंट पर हमला करने वालों का कोई अता पता आज तक मालूम न हो सका .अफजल गुरु बेगुनाह है उसे रेहा किया जाना चाहिए या फिर इस मामले की फिर से सुनवाई हो और हिन्दू DSP तेयागी की तलाश करके उसके खेलाफ मुक़दमा चलाना चाहिए .
नोट :उपरोक्त आर्टिकल उर्दू दैनिक फारुकी तंजीम पटना से दिनांक15/12/2012 को सम्पदकिये पृष्ठ,पेज नंबर 6 से लिया गया है
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