एजुकेशन माफियाओं को बचा रही बिहार का एजुकेशन डिपार्टमेंट ?

बिहार के शिक्छा (SHIKCHA )विभाग और SHIKCHA  मंत्री के कार्यालय को एक RTI आवेदन ने नंगा कर दिया है ,बड़े- बड़े अधिकारिओ को बचाने के लिए सूचना ,आवेदक को  14/02/2011 को पूछे गए सवालों का जवाब न शिक्छा (SIKCHA )मंत्री ने दिया और न कार्यालय ने और न उनके विभाग के अधिकारियों ने ,यहीं से सवाल उठने शुरू हो गएँ हैं के आखिर जब आवेदक ने सीधे बिहार के SIKCHA  मंत्री को RTI का आवेदन भेज कर आवेदक ने जब सूचना मांगी तो SHIKCHA  मंत्री / कार्यालय  और उनके विभाग ने आखिर किन लोगों की खाल बचाने के लिए आवेदक को सूचना देने से परहेज किया ?


क्या है मामला ?

सवतंत्र पत्रकार  सह मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद कौसर नदीम ने 1. SHIKCHA  मंत्री से RTI के जरिये पूछा था के  राज्य सरकार ने BSEB /BIEC  से मान्यता प्राप्त हाई स्कूल +2 BM  दास रोड को आखिर किस आधार पर उसी कैंपस पर CBSE  BOARD से स्कूल खोलने के लिए राज्य सरकार ने NOC  प्रदान की थी .?
2.उपरोक्त प्रकरण को आप किस रूप में देखते हैं ?BSEB / BIEC से मान्यता प्राप्त  SHIKCHAN संस्थान उसी परिसर में खोले जाने को ?3.आप पुरे मामले को उच्च स्तारिये जांच   कराने /निगरानी ब्यूरो द्वारा जाँच कराने हेतु कौन सा कदम उठाने जा रहे हैं ?4.इस मामले की लिपा पोती न हो पाए इसके लिए कितना जल्द और कब तक कठोरे आप उठाने जा रहे ?5.सीबीएसई  बोर्ड द्वारा पटना मुस्लिम हाई स्कूल +2 को मान्यता देने में सीबीएसई बोर्ड के खेलाफ कोई मामला बनता है या नहीं ?लेकिन 2 साल बीत जाने के बावजूद SHIKCHA मंत्री और उनके विभाग ने उपरोक्त सवालों का जवाब न देकर कई तरह के सवालों के घेरे में खुद को घेर लिए हैं।और ये सवाल जनता के बीच उठने लगा है के कहीं शिक्छा (SIKCHA )मंत्री का कार्यालय और उनका विभाग कहीं अपने चहेतों को बचाने की खातिर तो जवाब देने से परहेज कर रहे ?खैर मामला जो भी हो विभाग और मंत्रालय भले ही जवाब न दे पाए हों ,लेकिन माना जा रहा है के आवेदक इस मामले के दोषियों का पता करने और सजा दिलाने हेतु निगरानी और CVC  में मामला दर्ज दर्ज कराने की मुहीम में जुट गया है .
यहाँ बताते चलें कि आवेदक ने सीबीएसई बोर्ड से भी कई जानकारियां हासिल करने हेतु  आवेदन दिए थे ,कई सूचनाओं को CBSE  BOARD ने नहीं दिए थे,जो दिए थे उस सुचना से खुद CBSE बोर्ड के साथ साथ स्कूल प्रसाशन की गर्दन पूरी तरह फंस गई है,सीबीएसई बोर्ड ने  खुद तो फंस ही गई है अपने खुद के द्वारा अधूरी सुचना में ही मगर उस अधूरी सूचना के जरिये बिहार सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट को भी बुरी तरह फंसा दी है।जब आवेदक ने सीबीएसई बोर्ड से सूचना मांगी तो सीबीएसई बोर्ड ने साफ़ लिखा है  के जिस कैंपस पर  सीबीएसई बोर्ड मान्यता प्रदान करती है उस जगह पे दूसरी बोर्ड की पढाई नहीं चल सकती है ,स्कूल प्रशासन ने गला फंसते देख बिहार से मान्यता प्राप्त स्कूल को आनन् फानन में अशोक राज पथ  (साइंस कॉलेज )के सामने  दूसरी जगह स्थापित कर दिया गया .सवाल ये भी पैदा होने लगा है के आखिर किस बुनियाद पर BSEB /BIEC  से मान्यता प्राप्त उस स्कूल को जो आजादी के पूर्व से ही चली आरही हो किस की मिली भगत से  ट्रान्सफर किया गया ?क्या कानून इस बात की इजाजत देती है ?जिस तरह सीबीएसई बोर्ड का कहने है के हम जिस कैंपस पर मंजूरी देते हैं वहां से ट्रान्सफर कर दुसरे जगह ले जाने की इजाजत नहीं है .जानकारों का कहना है है स्कूल प्रबंधन ने या तो अवैध ढंग से ट्रान्सफर कर लिया होगा या तो BSEB  के अधिकारिओं की मिली भगत से ऐसा किया गया हो गा।बिहार बोर्ड BIEC भी इस तरह से ट्रांसफ़र की इजाजत नहीं देती सूत्रों के अनुसार .बिहार बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड की मिली भगत से कई तरह के गैर क़ानूनी काम किये जा रहे .जिससे पूरा शिक्छा(SIKCHA) विभाग जाँच के दाएरे में आ गया है .सूत्रों का कहना है के आवेदक के RTI के आवेदन का परिणाम था के पटना मुस्लिम हाई स्कूल+2 (सीबीएसई ) बोर्ड की मान्यता सीबीएसई बोर्ड ने अपनी गर्दन बचाने के लिए 2011 कुछ दिनों पहले चीन ली थी .एक और महत्व पूर्ण सूचना को सीबीएसई बोर्ड देने में असफल रहा था ,आवेदक ने CIC में दूसरी अपील भी की वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की तारीख भी तै हो गई थी,मगर आवेदक को सुवाई की तारीख दिमाग में न रहने के कारण उपस्थित न हो सका था .जिसे CIC केस को DEPOSE  कर दिया ,मगर आवेदक पुनः मामले की सुनवाई  हेतु पत्र लिखने की तैयारी  में है 

कौसर नदीम की रिपोर्ट .सपर्क 9852508777


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