जब आतंकवादियों का कोई जात -पात और धर्म नहीं,तो शक के बुनियाद पर भगवा दहशतगर्दों से पूछ ताछ क्यों नहीं?
इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है के इस देश का होम मिनिस्टर दहशतगर्दी जैसे मामले पर पहले पक्के सबूत के बुनियाद पर देश की जनता के सामने सच्चाई रखते हुए बयान देता है ,फिर उस बयान के लिए माफ़ी भी उसी संगठन से मांगता है जिसके बारे में मुल्क में दहशतगर्दी के कैंप चलाने ,और आतंकी वारदातों में शामील होने के पुख्ता सबूत पास में होते हैं ,उनके माफ़ी मांगने के अंदाज ने दुनिया के सामने कई गलत पैगाम दिए,पहला ये के हिन्दुस्तान सिर्फ मुस्लिम आतंक के मामले में ही शख्त रवैया रखती है ,हिदुत्व और भगवा आतंकवाद के मामले में रवैया ढुलमुल और बराए नाम है .......क्या मुसलमानों के जरिय इस तरह की मोखालेफत दहशतगर्दी के मामले में की जाती तो हिन्दुस्तान का कोई भी होम मिनिस्टर इतने पुख्ता सबूत रखने बाद अपने बयान को वापस लेते हुए मुसलमानों से माफ़ी मांग लेती?आज मीडिया हैदराबाद ब्लास्ट को अफजल गुरु की फांसी से जोर कर देख रही ,बलास्ट को बी जे पी और आर एस एस दबाव और होम मिनिस्टर के जरिये माफ़ी मांगने के बाद हिंदुत्व दहशतगर्द अपनी छवि सुधारने और अल्पसंख्यकों को बदनाम करने के खेयाल क्या नहीं कर सकती ?क्या ये महज इत्तेफाक थी के होम मिनिस्टर शिंदे के जरिये माफ़ी मांगने के दुसरे दिन ही बलास्ट होना ?क्या ये हिन्दुत्त्व और भगवा दहशतगर्दों के जरिये तैयार किसी बड़ी साजिश का हिस्सा नहीं हो सकती ?क्या अब हिंदुत्व दहशतगर्दों के नाम हैदराबाद के दोहरे बलास्ट में आने के बाद क्या शिंदे कारवाई करने की हिम्मत जुटा पाएंगे ?देश के अक्सर लोगों का खेयाल है के भगवा दहशतगर्दी का नए मामले में आने के बाद शिंदे के रहते किसी कीमत में संभव नहीं ,शायद इसी कमजोरी का फायेदा कुछ हिन्दुत्ववादी ताकतें उठा सकतीं हैं .....जिस प्रकार से शिंदे ने हिन्दुत्ववादी कुवतों के सामने घुटने टेक दिए,मेरे खेयाल से शिंदे साहेब को अपने ओहदे पर बने रहने का कोई हक़ नहीं .....अभी इस देश को मजबूत वजीरे आजम के साथ साथ एक मजबूत होम मिनिस्टर की शख्त जरुरत है ......मगर ये तब तक मुमकिन नहीं जब तक इस देश की जनता जात पात और मजहब के दाएरे से देश के हालात को देखना नहीं छोड़ेगी ओवैसी का नाम जिस तरह सुषमा सौराज ने महज कयास आराई की बुनियाद पर हैदराबाद के दोहरे बम धमाके में घसीटने की कोशिश की वह दुर्भाग्पूर्ण मालूम परता है,कयोंके कयासआराई ही किसी वारदात में ओवैसी के संलिप्तता का आधार हो सकता है तो ओवैसी से पहले तोगड़िया के खेलाफ कारवाई और जांच के आधार बनते है कयोंके हैदराबाद के सम्बन्ध में तोगड़िया के कई खतरनाक बयान दुनिया ने सुना है ......साइकल और टिफिन को बुनियाद बनाकर जिस तरह इंडियन मुजाहेदीन का नाम घसीटा जा रहा शायद वह लोग असल मुजरिम को पहले की तरह जांच के दाएरे से बचाने की कोशिश कर रहे या सच्चाई से मुह मोरने की कोशिश में लगे हैं ताके जांच एजेंसियों का धेयान भगवा दहशतगर्दी की तरफ जाने से रोका जा सके ......अगर ऐसा नहीं तो फिर मालेगांव ,अजमेर दरगाह और अन्य धमाकों में भगवा दहशतगर्दों के जरिये साइकल और टिफिन बम इस्तेमाल किये जाने के पुख्ता सबूत होने के बावजूद भगवा आतंवाद के रट्टे क्यों नहीं लगाये जा रहे ?जब आतंकवादियों का कोई जात -पात और धर्म नहीं,तो शक के बुनियाद पर भगवा दहशतगर्दों से पूछ ताछ क्यों नहीं?
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