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Monday, April 29, 2013
वर्चस्व की लड़ाई में स्कूल की मान्यता खतरे में
पटना के बी एम् दास रोड स्थित पटना मुस्लिम हाई स्कूल +2 (सी बी एस इ
बोर्ड ) इन दिनों अपने शिक्षण कार्य के लिए चर्चा में कम , आपसी रस्सा कसी
के लिए चर्चा में जेयदा है , सूत्रों के अनुसार ये रस्सा कसी नए प्रिंसिपल
के चार्ज संभालते ही शुरू हो चुका था , मगर दिनांक 27/04/2013 अपने सतह पर
पहुँच कर रोड पे आते आते बच गई , सूत्रों के अनुसार नए प्रिंसिपल
स्थितियों को स्कूल के नियमों के अनुसार नहीं अपने अनुसार चलाना चाहते हैं ,
जिसे स्कूल के बहुत सारे स्टाफ विरोध कर रहे , जिससे स्कूल दो खेमों में
बट गया है . एक पक्ष प्रिंसिपल के पक्ष में तो दूसरा विरोध में .....
दिनांक 27/04/2012 की सुबह,नए प्रिंसिपल एक पुराने टीचर से सिर्फ इस लिए
भीर गए के वह टीचर स्कूल के कैंपस में अपनी अल्टो कार को पार्क ज़माने से
करते आ रहा और ये चीजें प्रिंसिपल को नागवार लग रहा , प्रिंसिपल साहेब का
कहना है के गारी कैंपस में नहीं लगेगी , जबके उस पुराने कंप्यूटर शिक्षक का
कहना है के हमारे गारी लगाने और न लगाने से बच्चों के पढाई पे कौन सा बुरा
प्रभाव पर रहा ? शिक्षक का तर्क है के ,एक तो हमारे कार पार्किंग करने
से बच्चों के पढ़ाई पे किसी प्रकार का बुरा असर नहीं पड़ता , और मैं स्कूल
नहीं बल्के , मगध विश्विद्यालय से मान्यता प्राप्त कॉलेज का टीचर हूँ , ऐसे
में स्कूल के प्रिंसिपल का आदेश मानने के लिए मैं बाध्य कहाँ हूँ ? यहाँ
ये बात काबिले जिक्र है के सी बी एस ई बोर्ड की मिली भगत से और बिहार के
शिक्षा विभाग के घुसखोर अफसरों की ख़ास मेहरबानी के कारण यह स्कूल 1/04/1999
से चल रहा है ....
सी बी एस ई बोर्ड ने एक पत्रकार के सूचना अधिकार
के जरिये मांगे गए जवाब में दिनांक 29/1/2011 को पत्र भेज कर ये स्पष्ट
किया था के उक्त स्कूल के कैंपस में दुसरे किसी बोर्ड और यूनिवर्सिटी से
मान्यताप्राप्त कॉलेज नहीं चलेगा , मगर चल कैसे रहा ? ये अलग जाच का विषय
है , क्या बोर्ड को नजर नहीं आ रही, या जान कर भी अनजान क्यों बनी हुई ?
अपने ही आदेशों की धज्जियां किस लालच में उड़ा रही ? यहाँ ये भी उल्लेख करना
जरुरी है के, मगध यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त स्कूल से पहले से 1935
से बी एस ई बी से मान्यता प्राप्त स्कूल चल रहा था , मगर जैसे ही c.b.s.e.
board का फरमान जारी हुआ ,उसका कैंपस अवैध ढंग से बदल कर अशोक राज पथ के
पास शिफ्ट कर दिया गया .....जानकारों का कहना है के ये नियम के विरुद्ध है
.....मगर कार्रवाई कौन करे , इसके लिए अधिकृत कौन है , और वह कार्राई
क्यों नहीं का रहा ? इस पर एक बार फिर सवाल उठने लगा है . जानकारों की
माने तो इस वर्चस्व की लड़ाई में सी बी एस ई से 10वीं क्लास की मान्यता पर
भी गाज गिरना तय है .
वर्चस्व की लड़ाई में स्कूल की मान्यता खतरे में
पटना के बी एम् दास रोड स्थित पटना मुस्लिम हाई स्कूल +2 (सी बी एस इ बोर्ड ) इन दिनों अपने शिक्षण कार्य के लिए चर्चा में कम , आपसी रस्सा कसी के लिए चर्चा में जेयदा है , सूत्रों के अनुसार ये रस्सा कसी नए प्रिंसिपल के चार्ज संभालते ही शुरू हो चुका था , मगर दिनांक 27/04/2013 अपने सतह पर पहुँच कर रोड पे आते आते बच गई , सूत्रों के अनुसार नए प्रिंसिपल स्थितियों को स्कूल के नियमों के अनुसार नहीं अपने अनुसार चलाना चाहते हैं , जिसे स्कूल के बहुत सारे स्टाफ विरोध कर रहे , जिससे स्कूल दो खेमों में बट गया है . एक पक्ष प्रिंसिपल के पक्ष में तो दूसरा विरोध में .....
दिनांक 27/04/2012 की सुबह,नए प्रिंसिपल एक पुराने टीचर से सिर्फ इस लिए भीर गए के वह टीचर स्कूल के कैंपस में अपनी अल्टो कार को पार्क ज़माने से करते आ रहा और ये चीजें प्रिंसिपल को नागवार लग रहा , प्रिंसिपल साहेब का कहना है के गारी कैंपस में नहीं लगेगी , जबके उस पुराने कंप्यूटर शिक्षक का कहना है के हमारे गारी लगाने और न लगाने से बच्चों के पढाई पे कौन सा बुरा प्रभाव पर रहा ? शिक्षक का तर्क है के ,एक तो हमारे कार पार्किंग करने से बच्चों के पढ़ाई पे किसी प्रकार का बुरा असर नहीं पड़ता , और मैं स्कूल नहीं बल्के , मगध विश्विद्यालय से मान्यता प्राप्त कॉलेज का टीचर हूँ , ऐसे में स्कूल के प्रिंसिपल का आदेश मानने के लिए मैं बाध्य कहाँ हूँ ? यहाँ ये बात काबिले जिक्र है के सी बी एस ई बोर्ड की मिली भगत से और बिहार के शिक्षा विभाग के घुसखोर अफसरों की ख़ास मेहरबानी के कारण यह स्कूल 1/04/1999 से चल रहा है ....
सी बी एस ई बोर्ड ने एक पत्रकार के सूचना अधिकार के जरिये मांगे गए जवाब में दिनांक 29/1/2011 को पत्र भेज कर ये स्पष्ट किया था के उक्त स्कूल के कैंपस में दुसरे किसी बोर्ड और यूनिवर्सिटी से मान्यताप्राप्त कॉलेज नहीं चलेगा , मगर चल कैसे रहा ? ये अलग जाच का विषय है , क्या बोर्ड को नजर नहीं आ रही, या जान कर भी अनजान क्यों बनी हुई ? अपने ही आदेशों की धज्जियां किस लालच में उड़ा रही ? यहाँ ये भी उल्लेख करना जरुरी है के, मगध यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त स्कूल से पहले से 1935 से बी एस ई बी से मान्यता प्राप्त स्कूल चल रहा था , मगर जैसे ही c.b.s.e. board का फरमान जारी हुआ ,उसका कैंपस अवैध ढंग से बदल कर अशोक राज पथ के पास शिफ्ट कर दिया गया .....जानकारों का कहना है के ये नियम के विरुद्ध है .....मगर कार्रवाई कौन करे , इसके लिए अधिकृत कौन है , और वह कार्राई क्यों नहीं का रहा ? इस पर एक बार फिर सवाल उठने लगा है . जानकारों की माने तो इस वर्चस्व की लड़ाई में सी बी एस ई से 10वीं क्लास की मान्यता पर भी गाज गिरना तय है .
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