ए टी एस और सी बी आई के खेलाफ़ जाँच की संभावना , पूर्व ए टी एस प्रमुख के पी रघुवंसी , राज वर्धन और सुबोध जैसवाल के रोल की जांच हो सकती है , सी बी आई के ए डी जी कुमार को भी जवाब देना पर सकता है .
ए टी एस और सी बी आई के खेलाफ़ जाँच की संभावना , पूर्व ए टी एस प्रमुख के पी रघुवंसी , राज वर्धन और सुबोध जैसवाल के रोल की जांच हो सकती है , सी बी आई के ए डी जी कुमार को भी जवाब देना पर सकता है .
न्यू दिल्ली ,2 5 मई 2013(एजेंसी ): माले गाँव 2006 के बम ब्लास्ट में बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को फंसाने वाले महाराष्ट्र ए टी एस के अफसरानों और उनकी जांच को सही मानते हुए उन्ही दृष्टिकोण से मामले को आगे बढ़ाने वाले सी बी आई के अफसरों को अब अपनी इस हरकत (प्रथम दृष्टि में भेदभावपूर्ण सोंच को साबीत करती है )पर जवाब देना पर सकता है , के जानकारों में मुताबिक़ केंद्र ने इस इल्जाम को गंभीरता से लिया है के 9 बेकसूर मुसलमानों को बुरे नियत और बैमानी के तेहत फसाया गया था ..दिल्चश्प बात ये है के केंद्रीय सरकार की जानिब से ए टी एस और सी बी आई के खेलाफ जाँच के इशारे ऐसे वक़्त में मिल रहे , जब एक खोजी पत्रकार आशीष खेतान ने मुस्लिम नौजवानों के दहशतगर्दी के झूटे इल्जाम में फंसाए जाने से संबंधित हाई कोर्ट में लैटर पेटिसन दाखिल किया है , केयाश लगाया जा रहा है के उपरोक्त petition पर अदालत के जरिये किसी आदेश की हालत में संभावित बेइज्जती से बचने के लिए सरकार ने ये कार्रवाई कर रही है , सनद रहे के 2006 में शबेबारात के मौका पे मालेगांव में हुए धमाकों के बाद ए टी एस ने 9 मुस्लिम नौजवानों को उपरोक्त ब्लास्ट को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था .मुसलमानों और इन्साफ पशंद हिन्दुओं की तरफ से साफ सुथरी जांच की अपील के बाद भी ए टी एस ने कोई धेयान नहीं दिया तो जाँच की जिम्मेदारी सी बी आई को सोंपी गई थी , मगर सी बी आई के बैमान अफसरों ने भी वही काम किया था ,जो काम उसके पूर्व के संविधान और कानून के खेलाफ़ काम करने वाले अफसरों ने किया था , और देश को गुमराह किया था .लेकिन बाद में असीमानंद के इकबालिया जुर्म और एन आई ए की जाँच ने उपरोक्त धमाकों में भगवा आतंकवाद की पुष्टि कर दी थी , उपरोक्त ब्लास्ट में चार भगवा आतंकवादियों के खेलाफ़ चार्जशीत फाइल की है जबके 3 को फरार घोषित किये हुए है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक आला अफसर ने पी टी आई को बताया है के महाराष्ट्र सरकार को ये "सलाह" दी जा सकती है के वह ए टी एस के उन अफसरान के रोल की जांच करे जिन्होंने कथित तौर पर 9 बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को फंसाया था .मालेगांव बम धमाका की शुरूआती जांच नासिक (देहाती क्षेत्र )के एडिशनल suprintendent ऑफ़ पुलिस राज वर्धन ने की थी , बाद में केस ए टी एस के हवाले कर दिया गया था . अबरार अहमद जिसे ए टी एस ने बम धमाकों का मुल्जिम बनाया था का इल्जाम है के उस वक़्त के ए टी एस के डी आई जी सुबोध जैसवाल और ए टी एस चीफ के पी रघुवंशी ने अबरार की जानिब से मनगढंत इकबालिया बयान तैयार किया था . सुबोध जैसवाल खुफिया विभाग में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग RAW में तैनात हैं , जबके के पी रघुवंशी थाणे के पुलिस कमिशनर हैं . केस जब सी बी आई के हवाले किया गया तो जांच की जिम्मेदारी जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार के हवाले की गई थी जो अब उत्तर प्रदेश के अडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस हैं , आरोपियों के घर वालों ने अरुण कुमार के जाँच के तरीके पर एतराज करते हुए इल्जाम लगाया था के सी बी आई की किसी टीम ने जाँच के लिए मालेगांव का दौरा तक नहीं किया और न उनके घरवालों से बात कर उनके पक्ष जानने की कोशिश की थी (पिंदार पटना dt.26/05/2013 page 6.) www.biharbroadcasting.com
न्यू दिल्ली ,2 5 मई 2013(एजेंसी ): माले गाँव 2006 के बम ब्लास्ट में बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को फंसाने वाले महाराष्ट्र ए टी एस के अफसरानों और उनकी जांच को सही मानते हुए उन्ही दृष्टिकोण से मामले को आगे बढ़ाने वाले सी बी आई के अफसरों को अब अपनी इस हरकत (प्रथम दृष्टि में भेदभावपूर्ण सोंच को साबीत करती है )पर जवाब देना पर सकता है , के जानकारों में मुताबिक़ केंद्र ने इस इल्जाम को गंभीरता से लिया है के 9 बेकसूर मुसलमानों को बुरे नियत और बैमानी के तेहत फसाया गया था ..दिल्चश्प बात ये है के केंद्रीय सरकार की जानिब से ए टी एस और सी बी आई के खेलाफ जाँच के इशारे ऐसे वक़्त में मिल रहे , जब एक खोजी पत्रकार आशीष खेतान ने मुस्लिम नौजवानों के दहशतगर्दी के झूटे इल्जाम में फंसाए जाने से संबंधित हाई कोर्ट में लैटर पेटिसन दाखिल किया है , केयाश लगाया जा रहा है के उपरोक्त petition पर अदालत के जरिये किसी आदेश की हालत में संभावित बेइज्जती से बचने के लिए सरकार ने ये कार्रवाई कर रही है , सनद रहे के 2006 में शबेबारात के मौका पे मालेगांव में हुए धमाकों के बाद ए टी एस ने 9 मुस्लिम नौजवानों को उपरोक्त ब्लास्ट को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था .मुसलमानों और इन्साफ पशंद हिन्दुओं की तरफ से साफ सुथरी जांच की अपील के बाद भी ए टी एस ने कोई धेयान नहीं दिया तो जाँच की जिम्मेदारी सी बी आई को सोंपी गई थी , मगर सी बी आई के बैमान अफसरों ने भी वही काम किया था ,जो काम उसके पूर्व के संविधान और कानून के खेलाफ़ काम करने वाले अफसरों ने किया था , और देश को गुमराह किया था .लेकिन बाद में असीमानंद के इकबालिया जुर्म और एन आई ए की जाँच ने उपरोक्त धमाकों में भगवा आतंकवाद की पुष्टि कर दी थी , उपरोक्त ब्लास्ट में चार भगवा आतंकवादियों के खेलाफ़ चार्जशीत फाइल की है जबके 3 को फरार घोषित किये हुए है। केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक आला अफसर ने पी टी आई को बताया है के महाराष्ट्र सरकार को ये "सलाह" दी जा सकती है के वह ए टी एस के उन अफसरान के रोल की जांच करे जिन्होंने कथित तौर पर 9 बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को फंसाया था .मालेगांव बम धमाका की शुरूआती जांच नासिक (देहाती क्षेत्र )के एडिशनल suprintendent ऑफ़ पुलिस राज वर्धन ने की थी , बाद में केस ए टी एस के हवाले कर दिया गया था . अबरार अहमद जिसे ए टी एस ने बम धमाकों का मुल्जिम बनाया था का इल्जाम है के उस वक़्त के ए टी एस के डी आई जी सुबोध जैसवाल और ए टी एस चीफ के पी रघुवंशी ने अबरार की जानिब से मनगढंत इकबालिया बयान तैयार किया था . सुबोध जैसवाल खुफिया विभाग में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग RAW में तैनात हैं , जबके के पी रघुवंशी थाणे के पुलिस कमिशनर हैं . केस जब सी बी आई के हवाले किया गया तो जांच की जिम्मेदारी जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार के हवाले की गई थी जो अब उत्तर प्रदेश के अडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस हैं , आरोपियों के घर वालों ने अरुण कुमार के जाँच के तरीके पर एतराज करते हुए इल्जाम लगाया था के सी बी आई की किसी टीम ने जाँच के लिए मालेगांव का दौरा तक नहीं किया और न उनके घरवालों से बात कर उनके पक्ष जानने की कोशिश की थी (पिंदार पटना dt.26/05/2013 page 6.) www.biharbroadcasting.com
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