शादी जन्नत की पहली सीढ़ी ,शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी लाजमी ,साइंस की तरक्की से तहजीब की बरबादी हुई ,हमने जिस्म को ऑपरेट करना सिखा मगर किरदार से अनजान रहे.( जस्टिस राजेन्दर प्रसाद )

शादी जन्नत की पहली सीढ़ी ,शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी लाजमी ,साइंस की तरक्की से तहजीब की बरबादी हुई ,हमने जिस्म को ऑपरेट करना सिखा मगर किरदार से अनजान रहे.( जस्टिस राजेन्दर प्रसाद )

पटना (शाबान25/4/2013 पिन्दार उर्दू दैनिक पटना )बिहार रियासती इंसानी हकूक कमीशन के सदस्य और मशहूर माहिरे कानून जस्टिस राजेंदर प्रसाद ने आज सुबह (दिनांक 24/4/2013)  ए  एन सिन्हा इंस्टिट्यूट में शोबाए फलसफा टी पी एस कॉलेज पटना के जानिब से और शोबाये कानून,college of commerce patna की इश्तेराक से यू जी सी की स्पोंसरशिप में भारतीय परिपेक्ष में शादी से के पूर्व  या शादी के बगैर शारीरिक सम्बन्ध ...".समाजी ,मजहबी ,और कानूनी नोकताए नजर "   के विषय पर दो दिवसिये राष्टीय सेमीनार का उदघाटन करना के बाद अपने नसीहत आमेज खाताब में कहके शादी से कबल किसी भी तरह का शारीरिक सम्बन्ध हिन्दुस्तान के पश्मंजर में अथवा भरतिये परिपेक्ष में हगिज काबुल नहीं सेक्स की पूर्ति यानी जिस्मानी ख्वाहिशात की पूर्ति के लिए शादी पहली शर्त है ,उन्होंने कहा के हिन्दुस्तान के पश्मंजर में शादी से पहले या शादी के बगैर मर्द और औरत यानी लड़का और लड़की के दरमयान किसी भी तरह का जेंसी या जिस्मानी सम्बन्ध नहीं हो सकता है ,ऐसा करना जुर्म है , उन्होंने कहा के जन्नत तक पहुँचने के लिए शादी पहली सीढ़ी  है ,जिसकी हेदायत इस्लाम मजहब में दी गयी है , और बाकी दुसरे धर्मों में भी इस फिक्र की वकालत की गई है ......जस्टिस राजेंदर प्रसाद ने कहा के इंसान फ़िक्र का मोजस्सामा यानी पुतला है लेकिन सिर्फ जिस्म नहीं , इंसान अपने जिस्म से जुदा एक  अलग रूहानी शैय (पदार्थ ) है जिसका इंसान को एहसास होना चाहिए ,वरना जिस्म को ही सब कुछ समझ लेना और उसकी ख्वाहिशात की पूर्ति के लिए तमाम हदों से गुजर जाना हैवानियत है, शारीरिक सम्बन्धसिर्फ पैदावार के लिए यानी बच्चों की पैदाइश के लिए जरुरी है , अगर हम इंसान होकरअपनी ख्वाहिशात की प्य्रती के लिए शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं तो जानवर और इंसान में कोई फर्क नहीं . हमारा किरदार ही हमें जानवरों से अलग बनता है , अगर हम गणपति का किरदार इख्तेयार न करें तो उसका नाम लेना फजूल है .इश्क और मोहब्बत एक अज़ीम शय है, जिसे हम तबाह कर रहे हैं उनहोंने कहा के जज को अपनी फ़िक्र के मुताबिक़ नहीं बलके माशरे यानि समाज और मुल्क की फ़िक्र और जरुरत के मुताबिक़ फैसला करना चाहिए . उन्होंने शादी से कबल शारीरिक सम्बन्ध को जाएज करार दिए जाने की फैसले की आलोचना करते हुए कहा के महज एक लाइन के फैसले से समाज तब्दील नहीं हो सकता,समाज सबसे ऊपर है और उसकी इजाजत के बगैर सविंधान को लागू करना मुमकिन नहीं .उन्होंने कहा के अक़ल बहुत खतरनाक चीज है ,अक़लमंद लोग बेवकूफ लोगों का शोषण करते हैं , जबके बाकिर्दार लोगों को कानून की जरुरत नहीं होती .....जस्टिस राजेंदर प्रसाद ने बलात्कार  की घटनाओं पर  शख्त तशवीश का इज़हार करते हुए कहा के हामारी बेटियाँ हर तरह से परीशान हैं ,जब साइंस की तरक्की होती  है  तो तहजीब का खात्मा हो जाता है यही सूरतेहाल लगभग पूरी दुनिया में है .हमने जिस्म को    ऑपरेट करना सीख लिया लेकिन किरदारसाजी    से अनजान रहे ,आज समाज में हैवानियत ग़ालिब हो गई और इंसानियत की तलाश  हो रही है ,प्रकाश से अंधकार की तरफ पूरा समाज जा रहा है .इस मौके पर सेमीनार के इफ्ताताही इजलास की सदारत टी पी एस कॉलेज के प्रिंसिपल ने की .  www.biharbroadcasting.com 

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