दिल्ली पुलिस ! दहशतगर्द बनाने का कारखाना ?
उर्दू दैनिक फारुकी तंजीम के सम्पद्किये दिनांक (23. 8 . 1 3) से
जम्मू कश्मीर सरकार ने एक पोलिसी का एलान किया था , के दहशतगर्दी में शामिल लोग सीधे रास्ते पर आना चाहें इन रिहैबिलिटेशन प्रदेश सरकार करेगी , इस पोलिसी के घोसना के तेहत पकिस्तान और गुलाम कश्मीर में रह रहे बहुत सारे दहशतगर्दों आत्मसमर्पण की थी , सरकार की पोलिसी का फायेदा उठाकर नै जिंदगी शुरू की , २० मार्च 2013 को ऐसा हे एक दहशतगर्द सैयद लियाक़त अली वाया नेपाल भारत में दाखिल हुआ , उसके साथ उसकी बीवी और बच्चे भी थे उसका मकसद जम्मू कश्मीर सरकार की पोलिसी के तेहत आत्मसमर्पण करने के बाद , नई और शांत जिदगी की शुरुआत करना था , उसने अपने आमद और मकसद से कश्मीर सरकार को आगाह भी कर दिया था , ये इत्तेला देहली पुलिस को भी हाथ लग गई और इसने नेपाल , भारत सीमा पर सैयद लियाक़त अली और उसकी बीवी और बच्चों को गरफ्तार कर लिया , लियाक़त अली कहता रहा के वह दहशतगर्द था , लेकिन अब कश्मीर सरकार की नई घोषणा के मुताबिक़ REHABILITATION प्रोग्राम के तेहत गुलाम कश्मीर से आया है ,लेकिन डेल्ही पुलिस ने इस एक नहीं सुनी और इसे गिरफ्तार कर के डेल्ही ले आया , और कहा के सौयद लियाक़त अली डेल्ही में दहशत गर्दी की करवाई करने आया था , उसके सबुत में डेल्ही पुलिस ने जामा मस्जिद डेल्ही के इलाके के एक मुस्लिम होटल से चंद हथियार की बरामदगी देखाते हुए लियाक़त अली को पेश किया , जिसने इसे तेहार जेल भेज दिया , हमने तब अपने COLUMN में लिखा था के दहशतगर्दी के नियत से आने वाला कोई आदमी बीवी और बच्चों के साथ नहीं आते , लिहाज़ा इल्जाम झूठा है , वजीरे आला कश्मीर उम्र अब्दुल्लाह ने लियाक़त अली की गिरफ्तारी पर जबर्दश्त विरोध किया था ,और कहा के लियाक़त अली राज सरकार के आत्मसमर्पण पोलिसी के तेहत आया है , दहशतगर्दी के नियत से नहीं , राज और केद्र सरकार ने इस मामले आमने सामने होगी थी , डेल्ही की तीस हजारी कोर्ट ने लियाक़त अली को जेल भेज दिया , लियाक़त अली के वकील अर्जी जमानत दी ,जब ये मामला एन आई ए के पास चला गया था ,जिसे लियाक़त अली के खेलाफ कोई सबूत नहीं मिला , लियाक़त अली ने जमानत के लिए जो अर्जी दी थी , जमानत के दौरान एन आई ए ने कहा के लियाक़त अली के खेलाफ कोई साबुत नहीं है ,लिहाजा इसे जमानत दी जाये , चुनांचे ३० मई 2013 को लियाक़त अली को जमानत दे दी , एन आई ए ने मामले की गहराई से जाँच शुरू की तो मालुम हुआ के लियाक़त अली माजी में दहशतगर्द था , और कश्मीर सरकार की नै पोलिसी के तेहत बाज आबादकारी के किये आया था ,के डेल्ही पुलिस झूठे इल्जाम के तेहत , के वह डेल्ही में क़त्ल व गारत के इरादे से आया है , गिरफ्तार कर लिया , एजेंसी ने ये भी कहा के , कोई दहशतगर्द बीवी और बच्चों के साथ दहशतगर्दी करने नहीं आ सकता है , अब सवाल ये था के जामा मस्जिद डेल्ही के होटल कमरे से जो हथियार और गोलियां डेल्ही पुलिस ने बरामद की इनका क्या मामला है , एजेंसी ने जब जांच शुरू की तो मालुम हुआ के हथियार और गोलियां डेल्ही पुलिस ने जामा मस्जिद डेल्ही के एक गेस्ट हाउस में , डेल्ही पुलिस ने अपने एक मुखबिर बशीर खान के जरिये रखवाया था , उसी ने होटल का एक कमरा बुक करवाया था , मजीद छानबीन में पाया गया के बशीर खान डेल्ही स्पेशल सेल का मुखबिर है , और इसने जो फ़ोन लिया है इसमें पता डेल्ही की स्पेशल का रखवाया है , फ़ोन नंबर को सर्विलांस पर डालने से पता चला ले, बशीर खान यू पी के मेरठ में है , एजेंसी ने इसके खेलाफ गैर जमानती वारंट हासिल कर लिया है ,फिलहाल उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका है ,
बात साफ़ हो गई के लियाक़त अली आतंकी नहीं है ,न ही दहशतगर्दी के नियत से भारत आया , और डेल्ही की होटल से जो हथियार बरामद किये ,ओ इसके नहीं थे , बलके डेल्ही पुलिस ने अपने आदमियों के जरिये , रखकर ये इल्जाम लगाया था , के दहशतगर्दी करने आया था ,लियाक़त की गिरफ्तारी की खबर हिन्दू अखबार ,जिन्हें आप हिंदी और अंग्रेजी अखबार कहते हैं के पहले पेज पर बड़ी सुर्ख़ियों के साथ पढ़ीं होंगी के डेल्ही दहलने से बचा , पाकिस्तानी दहशतगर्द को डेल्ही पुलिस ने घटना से पहले गिरफ्तार कर लिया, , लेकिन इन हिन्दू अखबारों ने आपने ये खबर नहीं पढ़ी होगी के लियाक़त अली को 30 मई 2013 को डेल्ही की अदालत ने जमानत दे दी और जो हम अपने कोलम में लिख रहे हैं , इसकी भी खबर आपको नहीं होगी और हो कैसे ?ये हिन्दू अखबारात बे गुनाह मुसलामानों को दहशतगर्द बताकर गिरफ़्तारी की खबर तो छापते हैं , लेकिन अदालत के जरिये बेगुनाह करार देकर बाइज्ज़त बड़ी करने की खबर ये नहीं छापते हैं , हमने मार्च ३०१३ में ही
लियाक़त अली की बेगुनाही के बारे में लिखा था , जो अब सच साबित हो गया ,किसी उर्दू अखबार ने हिम्मत नहीं की थी लेकिन आपके अखबार ने हिम्मत की और सम्पद्किये लिखा , जो अब बिलकुल सच साबित हो गया , मालुम नहीं ऐसे हे कितने बे गुनाह मुसलमानों को दहशत गर्द कह कर जेलों में बंद रख्खा गया है
सैयद लियाक़त अली के बेगुनाही का साबुत मील गया , लेकिन डेल्ही पुलिस के जिन लोगों ने उसे फ़साने की कोशिश की उसे कब और कौन सजा देगा ? ये सवाल मुंह फाड़े खड़ा है , दिल्ली पुलिस को सजा मिलनी चाहिए जो दहशतगर्दी का कारखाना बनकर रह गया है।
फारुकी तंजीम dt 23. 8 . 1 3
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