हिन्दुस्तानी पार्लियामेंट पर हमला , चंद अहम् सवालात ( अरुंधती रॉय )

                             हिन्दुस्तानी पार्लियामेंट पर हमला , चंद अहम् सवालात
                                                      ( अरुंधती रॉय )

अरुंधती रॉय मशहूर लेखक ,एवं बेलाग विश्लेसक कर्ता मानी जाती हैं नीचे लेखे लेख में उनहोंने पार्लियामेंट पर हमले , और मुंबई बम धमाकों के बारे में पुलिस के आला अधिकारी सतीश वर्मा की  जानीब  से चौंका देने वाले पर्दाफाश की समर्थन करते हुए भारतीय प्रशाशन से इन्तहाई अहम् सवालात किये हैं 

 # भारतीय पार्लियामेंट पर हमले से चंद माह पूर्व तक हुकूमत और पुलिस का लगातार ये मानना था के पार्लियामेंट पर हमला हो सकता है , 12 दसंबर   2001 को एक मीटिंग में उस वक़्त के प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने भी पार्लियामेंट पर हमले से खबरदार किया था ,और 13 दिसंबर को पार्लियामेंट पर हमला हो गया , यहाँ ये सवाल पैदा होता है के पार्लियामेंट की मोकम्मल हिफाजत के लिए आवश्यक इन्तेजाम किया गया था , इस सिलसिले में सिक्यूरिटी की रिहल्सल भी हुई थी , इसके बावजूद विस्फोटक पदार्थ और बमों से भरी कार कैसे पार्लियामेंट कैंपस में दाखिल हो गई 

#  पार्लियामेंट पर हमले के चंद दिनों बाद डेल्ही पुलिस के स्पेशल सेल ने कहा था के जैश मोहम्मद और लश्कर तैयेबा ने हमले की मंसूबाबंदी की थी, जबके हमलावरों की अगुवाई मोहम्मद  नाम के आदमी ने की थी , पुलिस का कहना था के ये शख्श 1998 में I C 814 प्लेन हाई जैक मामले में भी शामिल था , बाद में सीबीआई  ने इस दावे को झूठला दिया था , अदालत में कोई भी इलज़ाम साबित नहीं हुआ ,आखिर स्पेशल सेल के पास अपने दावे के लिए क्या सबुत हैं ?

# पार्लियामेंट पर हमले की मुकम्मल कार्रवाई CCTV  कैमरे पर लाइव  रिकॉर्ड हुई , कांग्रेस के मेम्बर पार्लियामेंट कपिल सिब्बल ने पार्लियामेंट में मांग की थी के CCTV रिकॉर्डिंग को पार्लिमेंट के सदस्यों को दिखाई जाए , इनके मांग की राज्यसभा की डिप्टी चेयरमैन नज्म हेपतुल्लाह ने समर्थन की थी , इनका कहना था के घटना की डिटेल  में confusion पाया जाता है ,कांग्रेस पार्टी के प्रिये रंजन दास मुंसी ने कहा के मैंने  कार से 6 लोगों को उतरते देखा था , लेकिन सिर्फ 5  लोग मारे गए , कलोज सिर्किट कैमरे की रिकॉर्डिंग में भी साफ़ तौर से 6 लोगों को दिखलाये गए हैं , अगर दास मुन्सी की बात सही है तो फीर पुलिस क्यों जिद जरती रही के कार में सिर्फ 5 लोग थे?तो छठा सख्स कौन था , और वह सख्स अब कहाँ है ? cctv की रिकॉर्डिंग को मामलें की सुनवाई के दौरान बतौर सबुत पेश क्यों नहीं किया गया ?  इसके अलावा वह रिकॉर्डिंग जनता  के लिए क्यों नहीं जारी किया गया ?


# संसद पर हमले के कुछ दिनों बाद सरकार ने घोषणा किया था के उसके पास हमले पकिस्तान के सामिल होने के बारे में  आकाट प्रमाण मौजूद हैं।   इसके बाद 5 लाख भारती फ़ौज भारत -पाक सीमा पर तैनात कर दी गई और दोनों देशों को एटमी जंग के दहाने पर लाकर  खड़ा कर दिया गया।  अफजल गुरु की स्विकारिक्ति  जो के टार्चर के जरिये लिया गया था के अलावा और किस तरह के अकाट सबूत मौजूद हैं।  अफजल गुरु के स्विकारिक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य करार दिया था।
#  क्या ये हकीकत नहीं है के भारत - पाक सीमा पर भारतीय फ़ौज की गति विधि  13 दिसंबर के हमले से काफी अरसा पहले शुरू हो गई थी ?

# सरहद पर भारत पाक फोर्सेज का आमना सामना जो कम व बेश एक साल तक जारी रहा था , उस पर कितनी लागत आई थी ?इस दौरान कितने सैनिक मारे गए थे ? बारूदी सुरंगों को घटिया तकनीक के साथ  defused करने के दौरान कितने सैनिक और शहरी जान से हाथ धो बैठे थे ,और कितने किसान अपने घर बार ,   और खेत से हाथ धो बैठे ?कयोंके ट्रक और टैंक उनके गाँव से गुजर रहे थे और उनके खेतों में बारूदी सुरंगे फिट की गई थी ?

#  अपराधों की तफ्तीश के दौरान पुलिस के लिए आवश्यक होता है के वह उसके बारे में डिटेल में बताये के हमले की जगह से इकठ्ठा होने वाले सबूत ने पुलिस की कैसे आरोपी तक पहुंचाई , पुलिस  मोहम्मद अफजल गुरु तक कैसे पहुंची ? स्पेशल सेल का कहना है के एस ए  आर गिलानी ने अफजल गुरु की पहचान की थी , लेकिन अफजल गुरु तक पहुँच श्रीनगर पुलिस को हासिल हुई , उस वक़्त तक गिलानी गिरफ्तार नहीं हुए थे , फिर स्पेशल सेल अफजल गुरु को 13 दिसंबर के हमले से क्यों जोड़ा ?


#  अदालतें स्वीकार करतीं हैं के अफजल असक्रियत पसंद था , जिसने हथियार दाल दिए थे  और बकायेदा सिक्यूरिटी फोर्सेज से सम्पर्क में रहता था , विशेष कर  अफजल गुरु को जम्मू कश्मीर पुलिस की  स्पेशल टास्क फ़ोर्स के सामने पेश होना होता था , सिक्यूरिटी फोर्सेज इस बाज की कैसे वजाहत कर सकती है के उनकी निगरानी के तेहत रहने वाला अलगाववादी किस तरह अहम् ऑपरेशन  या कार्रवाई को साजिश तैयार कर सकता है ?

#ये बात कैसे माना जा सकता है के लश्करे तैयेबा  या जैश मोहम्मद ग्रुप एक ऐसे आदमी पर विश्वाश कर सकता था जो भारत की स्पेशल टास्क फ़ोर्स की निगरानी में रहता हो ?और विभिन्न मौकों पर उसके साथ टार्चर भी किया गया हो ?ऐसे आदमी को ये ग्रुप बड़ी कार्रवाई के लिए अहम् सम्पर्ककर्ता  के तौर पर क्यों इस्तेमाल करते ?

# अदालत के सामने अपने बयान में अफजल गुरु ने कहा था के उसे मोहम्मद नामी वैक्ति से मिलवाया गया  और डेल्ही जाने की हुक्म दी गई थी , ये आदेश तारिक नामी वैक्ति ने दी , जो भारत के स्पेशल टास्क फाॅर्स के साथ काम कर रहा है , केकिन सवाल पैदा होता है के तारिक कौन है ?और इस वक़्त कहाँ है ?


# पर्लियेमेंट पर हमले 6  दिन बाद 19 दिसंबर 2001 को महाराष्ट्र के पुलिस कमिशनर ने हमले में मारे जाने वाले एक हमलावर का नाम मोहम्मद यासीन फतह मोहम्मद उर्फ़ अबू हमजा  बताया था , उसका सम्बन्ध  लश्करे तौयेबा जाहिर किया गया , ये सख्श नवम्बर 2000 में मुंबई से गिरफ्तार किया गया गया था , और उसे फौरी तौर पर गुलाम कश्मीर  की पुलिस के हवाले कर दिया गया था , उसने तफ्सीलात से आगाह किया था। अगर पुलिस कमिशनर का बयान संच है तो फिर जम्मू कश्मीर पुलिस की जेरे हिरासत मोहम्मद यासीन पार्लियामेंट पर हमला में कैसे शामिल हो सकता है ?  अगर पुलिस कमिशनर का बयान गलत है तो मोहम्मद यासीन कहाँ है ? हमें अभी तक पार्लियामेंट पर हमले में मरने वाले पाँचों दहशत गर्दों के बारे में क्यों नहीं बताया गया?
    ( लेख उर्दू मासिक पत्रिका "इफ्कर ए मिल्ली "के august 2013 के अंक  से लिया गया है )

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