दलितों के प्रति कानून का रवैया ? आला जात का अदना अफसर हो या आला सोंच में क्या कोई फर्क आया है दलितों और छोटे जात वालों के प्रति ? उच्च जाती की साजीश के शीकार हुए सुनील कुमार पासवान ने बिहार के DGP से मांग की मामले की आर्थिक अपराध शाखा से जांच के लिए मगर जांच दी गई किसे ? थाना के थानेदार को भी नहीं बलके थाना के जमादार को । पढ़ें पूरी कहानी और जाने इंसाफ का हाल ? जात पात और मजहब से कैसे प्रभावित है हमारे देश का नेजाम ? Read more at http://biharbroadcasting.com/blog.php#gJ6EIbHFbSbZ4Jdd.99 - See more at: http://biharbroadcasting.com/blog.php#sthash.IX2XtIMs.dpuf
Posted on: 31-December-2013 बिहार में दलितों , महादलितों और छोटे जात वालों के साथ इंसाफ का क्या हाल है एक नमूना पेश किया जा रहा ,जो साबित करने के लिए काफी है के देश की आज़ादी के बाद छुआ छूत भले ही शख्त कानून की वजह कर मज़बूरी में कम हो गया हो , मगर ऊँची जात वालों का निचे जात वालों के प्रति दिल अभी भी नहीं बदला ,नफरत जो कभी थी जिसका प्रमाण इतिहास के पन्नों में दर्ज है वह आज भी बरकरार है , बड़े जात वाले अफसर ,नेता ,और मुंसिफ आज भी जहाँ मिलता मौका मिलता है अपने power का दुरुप निचे जात वालों को सताने में प्रयोग कर ही डालते हैं , यानी जुल्म का तरीका बदल गया मगर जुल्म और नाइन्साफियाँ आज भी जरी हैं .........तो लीजिये पेश है एक उदहारण ...................। श्री सुनील कुमार पासवान , उत्तरी बारा परसौनी ,प्रखंड फेनहारा जिला पूर्वी चंपारण में पंचायत टीचर हैं , इनकी बहाली 1500 सौ रूपये पर शिक्षा मित्र के रूप में हुई थी , जब सरकार ने 5000 हजार रूपये पर बहाली की घोषणा जैसे ही की उच्च जाती की मुखिया की नियत बदल गई , उच्च जाती के मुखिया ने बड़े जाती आला अफसरों की मिली भगत से सुनील कुमार पासवान को बाहर का र...