Rahul Kumar
CASE UPDATE
1.राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मेरी याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ दिन पहले
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश
दिया है।मैंने याचिका में उस प्रिंसिपल पर कई लड़के-लड़कियों के मानवाधिकार
के हनन का आरोप लगाया है।मुझे खुद ऐसे कई लड़के-लड़कियों ने उन्हें प्रताड़ित
किए जाने के बारे में सूचित किया था।
वैसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को खुद मानवाधिकार से मतलब नहीं है।आज से
दो साल पहले जब अपना व्यक्तिगत मामला लेकर यहाँ पहुँचा था तब भी मंत्रालय
को मामला भेजकर खुद सुनवाई नहीं किया।मंत्रालय ने नवोदय विद्यालय समिति को
भेज दिया और समिति का एक अधिकारी समस्तीपुर नवोदय जाकर प्रिंसिपल के पक्ष
में जांच करके अपना रिपोर्ट दे दिया।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस मामले
की सुनवाई खुद करना चाहिए था लेकिन मंत्रालय को मामला भेज दिया।
2.नरेश कुमार,संयुक्त आयुक्त,NVS HEADQUARTER एक IFS अधिकारी होने के बाद भी काफी भ्रष्ट हैं।NVS का एक सहायक संयुक्त S Chandrasekaran ने मेरा 13 सवाल का जवाब एक साथ एक ही लाइन में दे दिया जबकि सूचना का अधिकार कानून के तहत हरेक सवाल का जवाब दिया जाना चाहिए।चूँकि मेरे सवालों का जवाब इनके पास था ही नहीं इसलिए सारे सवाल का जवाब एक साथ ही दे दिया।समिति ने प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया और इसी से जुड़ा 13 सवाल था।मामले की अपील केन्द्रीय सूचना आयोग में की गई और आयोग ने संयुक्त आयुक्त को जांच करने कहा।संयुक्त आयुक्त ने मुझे और सहायक आयुक्त दोनों को उपस्थित होने कहा।मैंने उपस्थित ना होकर पत्र के द्वारा जवाब भेजा।संयुक्त आयुक्त ने ये कहकर मामले का निस्तारण कर दिया गया कि मुझे वांछित सूचना उपलब्ध करा दिया गया है।लेकिन अपर्याप्त सूचना उपलब्ध कराई गई थी जिसके लिए सूचना का अधिकार कानून की धारा 20(1) के तहत जुर्माना और धारा 20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकता है।मैंने अपना विरोध पत्र भेज दिया है कि सहायक आयुक्त दोषी है,इसलिए पुनः सुनवाई करे।
3.एम आर चक्रवती,उपायुक्त,NVS PATNA की
धूर्तता देखिए।प्रिंसिपल ने सूचना का अधिकार के तहत मेरा कई सवाल का जवाब
नहीं दिया कि 6 महीने बाद और मेरे द्वारा उसके खिलाफ शिकायत करने के बाद
मेरे खिलाफ किस आधार पर शिकायत की गई,मेडिकल रिपोर्ट से क्या पता चला
आदि।केन्द्रीय सूचना आयोग में मैंने अपील किया और आयोग ने एम आर
चक्रवती,उपायुक्त,NVS PATNA को जांच करने कहा।चक्रवती के द्वारा 26 नवंबर
की लिफाफा वाली मुझे एक पत्र भेजा गया जिसमें 6 दिसंबर को उनके कार्यालय
में सुनवाई के लिए उपस्थित होने की बात कही गई और प्रिंसिपल को भी
उपस्थित रहने के लिए कहा गया।लेकिन ये पत्र मेरे घर पर 6 दिसंबर के बाद
पहुँची।चक्रवती ने 10 दिन बाद ही सुनवाई का तिथि कैसे निर्धारित कर दिया
क्योंकि इतने कम दिन में कई बार पत्र पहुँचती ही नहीं।इतनी जल्दीबाजी इसलिए
दिखाई गई ताकि मैं सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो सकूँ।अन्यथा कम से कम 20
दिन बाद का तारीख निर्धारित किया जाता।मैंने अपना जवाब भेज दिया है और
यदि मेरी अनुपस्थिति में इन्होंने मामला का निस्तारण कर दिया है तो पुनः
इन्हें सुनवाई करना पड़ेगा।
4.R.K JAIN,जो एक वकील और EXCISE AND CUSTOMS
BAR ASSOCIATION का अध्यक्ष हैं,के द्वारा मुझे एक पत्र भेजी गई है।ये RTI
legal-aid society का संयोजक हैं और RTI Act,2005 (सूचना का अधिकार
कानून) और RTI Rules,2012 का हनन खुद केन्द्रीय सूचना आयोग कर रही है,इसकी
जानकारी इन्होंने मुझे दी है।केन्द्रीय सूचना आयोग के पास दर्ज की गई
शिकायत/अपील का निस्तारण आयोग अपने मेरिट पर सुनवाई किए बगैर और
शिकायत/अपील को संबंधित अधिकारी या उसके वरीय अधिकारियों के पास भेजकर कर
देती है।6 जून 2013 से 3 अक्टूबर 2013 तक केन्द्रीय सूचना आयुक्त राजीव
माथुर ने मेरा पाँच शिकायत का निस्तारण जिसके खिलाफ शिकायत की गई,उसके वरीय
अधिकारी को भेज कर कर दिया।R.K JAIN ने मुझे इस बात की जानकारी दी है कि
28 अक्टूबर 2013 को दिल्ली हाईकोर्ट ने JK MITTAL बनाम Central Information
Commission की सुनवाई करते हुए केन्द्रीय सूचना आयोग को आदेश दिया कि वह
संबंधित विभाग को शिकायत भेजने के बजाय मामले की सुनवाई खुद करे।अब मैं
मामले की सुनवाई खुद आयोग द्वारा की जाने के लिए आवेदन दे सकता हूँ कि वह
अपने आदेश में RECTIFICATION करे और खुद सुनवाई करे।RK JAIN को धन्यवाद।
फ्रॉम राहुल कुमार के fasebook वाल से dt.(26/12/13 )
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