26/11 घटना में आई बी और अभिनव भारत का हाथ ?
पिछले दिनों एक उर्दू अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट पे विश्वाश किया जाए तो 26/11 हमला पे भारत के दावे पर प्रश्न चिन्ह लग गया है ? घटना में पाकिस्तान का नहीं बल्कि खुद देश की जांच एजेंसी व " अभिनव भारत " जैसी खतरनाक हिंदूवादी आतंकी संगठन का नाम उभर कर सामना आया है , " हू किल्ड करकरे " के लेखक मोशार्रफ का दावा , की घटना की फिर से जांच की मांग ..........!
सवाल यह भी उठने शुरू हो गए हैं कि अगर देश की सबसे बड़ी आतंकी वारदात में खुद भारत की जांच एजेंसी का हाथ थी जो अब तक जांच हुए उसे संच कैसे मान लिया जाए ? ऐसी स्थिति में हम हिन्दुस्तानी क्या निष्पक्ष जांच की उमीद इस घटना और दुसरे घटनाओं में कैसे कर सकते हैं ?सवाल जो सबसे बड़ी उठ रही पाकिस्तान को और भारत के अल्पसंख्यकों को बदनाम करने की गर्ज से मासूम हिन्दुस्तानियों की जान से खेलवाड़ कब तक ?
(क्या छपी थी उर्दू अखबार " कौमी तंजीम " दिनांक 16/1/14 के अंक में ) पेश है पूरी रिपोर्ट ...............................!
26/11 हमला में जांच एजेंसी और अभिनव भारत शामील ।
हु किल्ड करकरे के लेखक मोशार्रफ का दावा , फिर से जाँच की मांग .........................................................!
मुंबई ( एजेंसी ) मुल्क में दहशतगर्दी के असल चेहरे को बेनकाब करने वाली मशहूर किताब " who killed karkare " के लेखक पूर्व आई जी ऑफ़ पुलिस महाराष्ट्र "एस एम मुशर्रफ की एक और नई तहकिकाती किताब 26/11 prob why judiciary also failed ? का इजरा आज मुंबई के प्रेस क्लब में हुआ , जिस में लेखक के अलावा पूर्व एडमिरल विष्णु भागवत , इनकम टैक्स कमिश्नर सुभाष चंद्र राम , सोशल एक्टिविस्ट पी एस माने और सचीन गोदाम्बे शरीक हुए , इस औसर पर ये मांग किया गया कि 26/11 मामले की फिर से जांच की जाए ,कयोंकि इस मुक़दमे के दौरान सच्चाई को छुपा कर अदालत को गुमराह किया गया है , इस औसर पर इजहारे खेयाल करते हुए किताब के लेखक एस एम मोशार्रफ ने कहा की इस किताब को मेरी पहली किताब " who killed karkare " का दूसरा हिस्सा कहा जा सकता है , पहली किताब में सबूत और शवाहिद की (evidence)बुनियाद पर 26/11 की घटना का विश्लेष्णात्मक अध्यन पेश किया था और इस नतीजे पर पहुंचा कि 26/11 की घटना पुरे प्लानिंग के साथ हुआ , जिस में देश की ख़ुफ़िया एजेंसी " आई बी " न सिर्फ वाकिफ थी ,बल्कि इस औसर पर आतंकी हमला के साथ एक और मत्वाजी हमला " अभिनव भारत " के लोगों ने भी किया था , जिसमें उन्होंने "ए टी एस " चीफ हेमंत करकरे को कतल कर दिया था ।उन्होंने ने कहा की मैंने अपनी पहली किताब में जिन अंदेशों का इज़हार किया था उनकी बुनियाद पर मुंबई हाई कोर्ट में 2010 में मुफादे आमा (पी आई एल )की अर्जी दाखिल की गई थी , की 26/11 की घटना की फिर से जांच कराई जाए । अदालत ने इस की बुनियाद पर केंद्र और राज सरकार को नेज मुंबई पुलिस वाले ए टी एस को जवाब तलबी के लिए नोटिस जारी किया था मगर तीन साल का अरसा गुजर जाने के बावजूद अभी तक इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है । इसी दौरान 26/11 के मामले की जानिब से फैसला आ गया ।
मैं ने हुकूमत की जानिब से अदालत में पेश किये गए दलायेल और अदालती फैसले का मुताला (अध्यन ) किया और 26/11 हमले के दौरान मीडिया में आई ख़बरों का मुशाहिदा किया और इस नतीजे पर पहुंचा की हुकूमत और जांच एजेंसियां की तरफ से असल हक़ाएक (सच्चाई ) को छुपाया गया और मनगढ़ंत कहानियों के जरिये अदालत को गुमराह किया गया है । मैंने इस किताब में इस बात का दावा किया है की 26/11 हमला एक मंसूबाबंद हमला था जिसमें आई बी और अभिनव भारत रास्त ( डायरेक्ट)संलिप्त हैं ।
इसलिए इस किताब के हवाले से अदालत से मेरा मुतालेबा है की 26/11 हमले की पुनः जांच कराई जाए । साबिक एडमिरल विष्णु भगवत ने इस मौका पर कहा की इस देश के कानून के मुताबिक़ सभी बराबर हैं और सभी कानूनी अदारे की पासेदारी लाजमी है । मगर आई बी और दीगर जांच एजेंसियां जिस तरह अपने मुफाद के लिए कानून से खेलवाड़ करती है उसे देख कर अफ़सोस होता है । उन्होंने कहा की आई बी जिस तरह काम कर रही है उसकी बुनियाद न हमारे मुल्क की जम्हूरियत ने फराहम किया है और न दस्तूर ने इस के बावजूद ये दस्तूर और कानून के नाम पर उछल कूद करती है ।।।।।।।जारी शेष बाद में
.............जारी शेष बाद में
सवाल यह भी उठने शुरू हो गए हैं कि अगर देश की सबसे बड़ी आतंकी वारदात में खुद भारत की जांच एजेंसी का हाथ थी जो अब तक जांच हुए उसे संच कैसे मान लिया जाए ? ऐसी स्थिति में हम हिन्दुस्तानी क्या निष्पक्ष जांच की उमीद इस घटना और दुसरे घटनाओं में कैसे कर सकते हैं ?सवाल जो सबसे बड़ी उठ रही पाकिस्तान को और भारत के अल्पसंख्यकों को बदनाम करने की गर्ज से मासूम हिन्दुस्तानियों की जान से खेलवाड़ कब तक ?
(क्या छपी थी उर्दू अखबार " कौमी तंजीम " दिनांक 16/1/14 के अंक में ) पेश है पूरी रिपोर्ट ...............................!
26/11 हमला में जांच एजेंसी और अभिनव भारत शामील ।
हु किल्ड करकरे के लेखक मोशार्रफ का दावा , फिर से जाँच की मांग .........................................................!
मुंबई ( एजेंसी ) मुल्क में दहशतगर्दी के असल चेहरे को बेनकाब करने वाली मशहूर किताब " who killed karkare " के लेखक पूर्व आई जी ऑफ़ पुलिस महाराष्ट्र "एस एम मुशर्रफ की एक और नई तहकिकाती किताब 26/11 prob why judiciary also failed ? का इजरा आज मुंबई के प्रेस क्लब में हुआ , जिस में लेखक के अलावा पूर्व एडमिरल विष्णु भागवत , इनकम टैक्स कमिश्नर सुभाष चंद्र राम , सोशल एक्टिविस्ट पी एस माने और सचीन गोदाम्बे शरीक हुए , इस औसर पर ये मांग किया गया कि 26/11 मामले की फिर से जांच की जाए ,कयोंकि इस मुक़दमे के दौरान सच्चाई को छुपा कर अदालत को गुमराह किया गया है , इस औसर पर इजहारे खेयाल करते हुए किताब के लेखक एस एम मोशार्रफ ने कहा की इस किताब को मेरी पहली किताब " who killed karkare " का दूसरा हिस्सा कहा जा सकता है , पहली किताब में सबूत और शवाहिद की (evidence)बुनियाद पर 26/11 की घटना का विश्लेष्णात्मक अध्यन पेश किया था और इस नतीजे पर पहुंचा कि 26/11 की घटना पुरे प्लानिंग के साथ हुआ , जिस में देश की ख़ुफ़िया एजेंसी " आई बी " न सिर्फ वाकिफ थी ,बल्कि इस औसर पर आतंकी हमला के साथ एक और मत्वाजी हमला " अभिनव भारत " के लोगों ने भी किया था , जिसमें उन्होंने "ए टी एस " चीफ हेमंत करकरे को कतल कर दिया था ।उन्होंने ने कहा की मैंने अपनी पहली किताब में जिन अंदेशों का इज़हार किया था उनकी बुनियाद पर मुंबई हाई कोर्ट में 2010 में मुफादे आमा (पी आई एल )की अर्जी दाखिल की गई थी , की 26/11 की घटना की फिर से जांच कराई जाए । अदालत ने इस की बुनियाद पर केंद्र और राज सरकार को नेज मुंबई पुलिस वाले ए टी एस को जवाब तलबी के लिए नोटिस जारी किया था मगर तीन साल का अरसा गुजर जाने के बावजूद अभी तक इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है । इसी दौरान 26/11 के मामले की जानिब से फैसला आ गया ।
मैं ने हुकूमत की जानिब से अदालत में पेश किये गए दलायेल और अदालती फैसले का मुताला (अध्यन ) किया और 26/11 हमले के दौरान मीडिया में आई ख़बरों का मुशाहिदा किया और इस नतीजे पर पहुंचा की हुकूमत और जांच एजेंसियां की तरफ से असल हक़ाएक (सच्चाई ) को छुपाया गया और मनगढ़ंत कहानियों के जरिये अदालत को गुमराह किया गया है । मैंने इस किताब में इस बात का दावा किया है की 26/11 हमला एक मंसूबाबंद हमला था जिसमें आई बी और अभिनव भारत रास्त ( डायरेक्ट)संलिप्त हैं ।
इसलिए इस किताब के हवाले से अदालत से मेरा मुतालेबा है की 26/11 हमले की पुनः जांच कराई जाए । साबिक एडमिरल विष्णु भगवत ने इस मौका पर कहा की इस देश के कानून के मुताबिक़ सभी बराबर हैं और सभी कानूनी अदारे की पासेदारी लाजमी है । मगर आई बी और दीगर जांच एजेंसियां जिस तरह अपने मुफाद के लिए कानून से खेलवाड़ करती है उसे देख कर अफ़सोस होता है । उन्होंने कहा की आई बी जिस तरह काम कर रही है उसकी बुनियाद न हमारे मुल्क की जम्हूरियत ने फराहम किया है और न दस्तूर ने इस के बावजूद ये दस्तूर और कानून के नाम पर उछल कूद करती है ।।।।।।।जारी शेष बाद में
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