कांग्रेस के युवराज को मसलमानों के असल समस्या के निवारण के लिए गुस्सा क्यों नहीं आया ? कांग्रस ने आज तक मुस्लिम प्रधान मंत्री नहीं बनाया युवराज को गुस्सा क्यों नहीं आया ?

हम कुछ करना ही नहीं चाहते

हम शुक्र करें किस का शाकी हों तो किस के हों
रहबर ने भी लूटा है रहजन ने भी लूटा है
गुजिस्ता दो हफ़्तों के दौरान मेरे पास लातादाद फोने आये , कई खतूत आये और जाती गुफ्तगू में बार बार ये जिक्र आया के आखिर मुसलमान इन्तेखाब की सियासत में जायें तो किस के साथ जाएँ ? कोई पार्टी ऐसी नहीं है जिसने धोका नहीं दिया हो , जिस की वजह से जख्म नहीं लगे हों ।बात बिलकुल दुरुस्त भी है ।जब हम सियासी मंजरनामा पर नजर दौराते हैं तो ऐसा ही पाते हैं । मुल्क में लम्बी मुद्दत तक बलके आज़ादी के बाद अब तक जेयादा तर कांग्रेस की ही हुकूमत रही और कांग्रेस के सबब ही मुसलमानों को सबसे जेयादः नुकसान का सामना करना पड़ा है । सिर्फ फसाद ही नहीं बल्कि इक्तसादी और तालीमी पेश्मांदगी के लिए भी जेयादः जिम्मेदारी उसी पर जाती है । वजह साफ़ जाहिर है की जम्हूरी नेजाम में कुछ भी करने से क़ब्ल वोटों की गिनती भी नजर में रहती है और इसी लिए बड़े वोट बैंक पर छोटे वोट बैंक को हमेशा कुर्बान किया जाता है ।इसी लिए कांग्रेस भी हमेशा मुसलमानों और हिन्दुओं दोनों को खुश रखने की कोशिश में रहती है । मुसलमानों को वादों से खुश रखती है और अक्सर्यती (बहुसंख्यक)को अमल (काम)से बात सिर्फ फसाद की नहीं है बल्कि तालीमी और एक्तेसादी (आर्थिक ) शोबों में मुसलमानों की हालत दलितों से भी बदतर है ,हकीकत मालुम हो जाने के बवजूद मुसलामानों को लुभाने के लिए सिर्फ वादे किये गए , "दो रोटी "फेंकने की कोशिश ! तालीमी वजीफा की तादाद और रक़म दर्ज फेहरिस्त जात और क़बायेल (एस सी ,एस टी )छात्रों के मुकाबिले में अक्लियती तोलोबा (अल्पसख्यक छात्रों )के लिए बहुत कम है ,और शराएत शख्त । अक्लियती मालयाती कमीशन से अकलियतों को जो क़र्ज़ मिलता है उस रक़म की हद बहुत कम है और शरायेत काफी शख्त , जबकि दर्ज फेहरिस्त जात और क़बाएल को मिलने वाले कर्ज की हद भी जेयादा है और शराएत भी बहुत नर्म , कोई बतलाओ की हम बतलायें क्या ? कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी को गुस्सा आया इन्स्दाद बदअनवानी कानून (भ्रष्टाचार रोक थाम कानून )एक हप्ता के अन्दर आनन फानन में मंजूर हो गया , भ्रष्टाचारी नेताओं की अदम अह्लियत से सम्बंधित तजवीज (प्रस्ताव )राष्ट्रपति के दफ्तर से वापस मंग्वाली गई लेकिन तवील मुद्दत (लम्बे समय )से तातुल (लंबित ) के शिकार सम्प्रदायिक रोक थाम बिल और एंटी रायट फाॅर्स की तशकील (गठन ) के लिए युवराज को गुस्सा क्यों नहीं आया ? मुसलमानों को रिजर्वेशन देने या रिजर्वेशन से मुस्लिम जातों को दूर रखे जाने पर उनको गुस्सा क्यों नहीं आता ! क्यों वह उसपर कोई गुफ्तगू भी करना पशंद नहीं करते ? मुसलमान लड़कों की बेरोकटोक गिरफ्तारी और बेक़सूर साबित होने पर भी उनकी अदम त्वज्जहि पर कांग्रेस क्यों नहीं कोई ठोस क़दम उठाती है ? दो फिसद आबादी वाले सीखों की रजामंदी हासिल करने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री भी बना दिया गया ,फिर भी वह कांग्रस की तरफ रागिब नहीं हुए ,उनसे भी कम आबादी वाली कायेस्थ बेरादरी को कांग्रेस ने राष्टपति ,वजीरे आज़म (PM)समेत तमाम अहम् ओहदे पेश किये ,हालाकि इनके लोग "आर एस एस "और "भाजपा "नवाज है , लेकिन मुसलमान प्रधानमंत्री कांग्रेस क्यों नहीं बना पायी ?
(राशीद अहमद -अहमद कौमी तंजीम , पटना , 12 /1 /14 )

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