मुल्जेमिन (आरोपी )बरी हुए तो जांच अफसर को सजा (सुप्रीम कोर्ट )




Posted on: 18-January-2014
एक फैसला जो मुझे पहली बार भाया ..............! क्या है फैसला देखिये ................... नई देहली , 8 जनवरी 2014 (एजेंसी )............................................... सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामलों में आरोपी के बरी होने पर मामले की जांच करने वाले अफसरों को सजा दी जानी चाहिए । यही नहीं अदालत ने चाक व चौबंद जांच पर जोर दिया और हुकूमतों को कुछ रहनुमा असूल ( आदर्श असूल )भी जारी किये ,अदालत ने कहा है कि बरी होने वाले हर मामले को इन्साफ देने वाले नेजाम की नाकामी तस्लीम (स्वीकार ) किया जाना चाहिए ।अदालत ने तमाम रियासतों के होम सेक्रेटरीज को 6 महीने के अन्दर कसूरवार अफसरों के खेलाफ कार्रवाई करने के लिए मशीनरी बनाने की हेदायत दी है । जस्टिस सी के प्रसाद और जस्टिस जे एस खैबर की बेंच ने खराब जाँच की वजह से मुल्जेमीन (आरोपियों ) के बरी होने पर गहरी तशवीश जाहीर की है । बेंच ने मंगल को ये फैसला अस्मत्दरी (बलात्कार )के बाद 6 साल की बच्ची के कतल से सम्बंधित गुजरात के मामले में सुनाया है । सेशन अदालत ने मुलजिम को अंदेशे का फायेदा देते हुए बरी कर दिया था जिस पर हाई कोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी । बेंच ने रियासतों को हिदायत दी है कि जांच अफसर की लापरवाई और खराब जांच से मुल्जेमीन बरी हो जाते हैं तो कसूरवार अफसरों के खेलाफ मोहक्मये जाती की कार्रवाई (डिपार्टमेंटल एक्शन ) की जाए ..................................। ( उपरोक्त खबर उर्दू दैनिक पिन्दार दिनांक 9/1/14 में प्रकाशित हुई थी ) ये तो हुई जनाब खबर जो फैसले के बाद आई ,मगर अदालत ने उपरोक्त फैसला देते हुए क्या कार्रवाई की ये तो खबर में नहीं ,लेकिन मेरे खेयाल से कोर्ट को खुद फैसला सुनाते हुए जांच अफसरों के खेलाफ कार्रवाई कर देनी चाहिए थी , अगर ऐसा कर दी तब तो बहुत अच्छी बात और शुरुआत कही जायेगी ।कार्रवाई , कोर्ट ने सभी राज्यों के होम सेक्रेटरीज को ऐसा करने के लिए 6 महीने के अन्दर मशीनरी बनाने को कहा है , जनता को भी चाहिए के राज्यों के होम सेक्रेटरीज ने तय समय सीमा के अन्दर ऐसा किया के नहीं सूचना अधिकार अधिनियम के जरिये नजर रखे , किसी मामले में आरोपी के बरी होने की खबर पढ़ने और मिलने की सूरत मेंजांच अधिकारी के खेलाफ कार्रवाई हुई के नहीं ,ये भी सम्बंधित अधिकारी से पूछे ।


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