दहेज प्रताड़ना,रंगदारी के खिलाफ और भरन-पोषण के लिए दायर किए गए एक झूठा मुकदमा का अध्ययन मैंने किया और झूठे
आरोप का शिकार हुए लोगों को सहयोग भी किया।आरोप प्रथम दृष्टया देखने से ही झूठा प्रतीत होता है।
1.भरन-पोषण के लिए नियम के विरुध्द आवेदन देना
Hindu ADOPTION AND MAINTENANCE ACT,1956 (हिन्दु दत्तकग्रहण तथा भरन-पोषण
अधिनियम)की धारा 19(1) के तहत एक हिन्दु विधवा महिला अपने ससुर से भरन-पोषण
के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकती है बशर्तेँ कि उस विधवा के पास आय का
पर्याप्त स्त्रोत ना हो।इसी कानून का धारा 19(2) के तहत ससुर भरन-पोषण
नहीं देगा जब उसके पास देने के लिए पर्याप्त सहदायिकी संपत्ति (जो संपत्ति
पिता के मरने के बाद वारिसों को बांटी जाती है) नहीं है।मतलब ससुर अपने
मासिक आय से भरन-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं है।विधवा रानी देवी ने अपने
जेठ दिलीप ठाकुर और ननद मुनचुन देवी से भी भरन-पोषण लेने के लिए आवेदन दे
दिया है।ससुर के सिवाय किसी दूसरे से भरन-पोषण मांगने का अधिकार विधवा को
नहीं है।
Hindu Minority and Guardianship Act,1956(हिन्दू नाबालिगी तथा संरक्षता अधिनियम) की धारा 9(3) के तहत एक विधवा अपने नाबालिग बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक होती है और उसे नाबालिग बच्चे की संपत्ति का रक्षा करने और नाबालिग के हित में संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार होता है।विधवा सिर्फ अपने नाबालिग बच्चे के संपत्ति का संरक्षक होती है।नाबालिग बच्चे के संपत्ति पर विधवा का स्वामित्व नहीं होता।हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 के तहत विधवा की मृत पति के संपत्ति पर उसका और उसके बच्चे यानि सभी का बराबर का हिस्सा होता है।मसलन,यदि एक विधवा और उसके तीन बच्चे हैं तो चारों का 1/4 हिस्सेदारी बनता है।अपने बच्चे के हिस्से का संपत्ति का विधवा सिर्फ संरक्षक होती है।यदि रानी देवी ने भरन-पोषण के लिए CrPC का धारा 125 के तहत आवेदन दिया है तो उसे भरन-पोषण नहीं मिल सकता।क्योंकि CrPC का धारा 125 के तहत सिर्फ पत्नी अपने पति से,बच्चा अपने माता-पिता से और वृध्द माता-पिता अपने संतान से भरन-पोषण मांग सकता है।
2.दहेज प्रताड़ना का झूठा आरोप
(i) मृतक ललित ठाकुर की पत्नी रानी देवी अपने ससुर छेदी ठाकुर और जेठ दिलीप
ठाकुर पर ललित ठाकुर का किडनी का ईलाज कराने के लिए दहेज मांगने का आरोप
लगाया है।रानी देवी का आरोप है कि ससुर छेदी ठाकुर और जेठ दिलीप ठाकुर ने
रानी देवी से ईलाज के लिए दहेज के रुप में मांगी गई कुछ राशि और एक भैंस
नहीं देने के कारण ललित ठाकुर का सही से ईलाज नहीं कराया,जिस कारण से उसकी
मौत हो गई।
(ii) रानी देवी का आरोप स्वतः झूठा प्रतीत होता है।आखिर कोई पिता या सगा भाई
ईलाज कराने के लिए दहेज पर आश्रित कैसे हो सकता है?यदि रानी देवी का ईलाज
कराने की बात होती तो एक ससुर(छेदी ठाकुर) और एक जेठ(दिलीप ठाकुर) ईलाज
कराने के लिए दहेज पर आश्रित हो सकते थे लेकिन ललित ठाकुर का ईलाज कराने के
लिए दहेज पर ये आश्रित नहीं हो सकते।इसलिए आरोप झूठा है
(iii) आरोप के अनुसार,ईलाज के लिए दहेज में भैंस भी मांगी गई।ईलाज के लिए
त्वरित राशि चाहिए ना कि भैंस।पहले भैंस के खरीदार को खोजना पड़ेगा,फिर राशि
मिल पाएगी।तब तक ईलाज में काफी विलंब हो जाएगी।इसलिए भैंस मांगने का सवाल
ही पैदा नहीं होता।
(iv) दहेज के लिए सिर्फ रानी देवी पर ही दवाब बनाया गया।यदि ईलाज कराने जैसे अतिआवश्यक काम के लिए दहेज मांगा जाता तो इसके लिए रानी देवी के परिवार वाले पर भी दवाब बनाया जाता क्योंकि ईलाज के लिए दहेज लेना उस वक्त URGENT होता और रानी देवी के परिवार वाले पर दवाब दिए बगैर दहेज नहीं मिल सकता था और यदि URGENT था तो दहेज लेने के लिए परिवार वाले पर भी दवाब बनाया जाता।URGENT Case में सिर्फ लड़की पर दवाब बनाए जाने की बात कहना झूठा आरोप है।
3.धमकाकर रंगदारी करने का झूठा आरोप
(i)रानी देवी का आरोप है कि उसके पति ललित ठाकुर का मर जाने के बाद उसे ससुराल से भगा दिया गया।उसका भतीजा मुन्ना ठाकुर एक कागज पर रानी देवी का अंगूठा का निशान लेने का कोशिश किया जिसपर लिखा जाता कि रानी देवी स्वेच्छा से ससुराल छोड़कर जा रही है।रानी देवी ने अपने ससुर छेदी ठाकुर पर आरोप लगायी है कि छेदी ठाकुर रानी देवी का बेटा रौशन कुमार का हाथ रानी देवी के सामने पकड़कर उसे चाकू दिखा कर धमका रहा था ताकि रानी देवी अपने बेटा का जान बचाने के डर से अंगूठा का निशान कागज पर लगा दे।
(ii) रानी देवी से अंगूठा का निशान लेना काफी आसान था क्योंकि वह एक असहाय विधवा महिला थी और उसके ससुराल में सभी उसके
विरोधी थे।उसके बयान के अनुसार यदि मान लिया जाए कि उसे ससुराल से भगा दिया गया तो जब ससुराल से भगाया जा सकता है तो अंगूठा का निशान भी लिया जा सकता
है क्योंकि अंगूठा का निशान लेना ससुराल से भगाने से ज्यादा आसान है।इसलिए यदि अंगूठा का निशान नहीं लिया गया है तो इसका मतलब होता है कि उसे ससुराल
से भी नहीं भगाया गया है।इसलिए रानी देवी द्वारा अपने जेठानी विमला देवी और सास सैलू देवी और अन्य पर लगाया गया यह आरोप झूठा है कि इन लोगों ने
धक्का मारकर उसे ससुराल से भगा दिया।रानी देवी से मुन्ना ठाकुर द्वारा जबरन अंगूठा का निशान लेने की कोशिश करने की जरुरत भी नहीं पड़ती क्योंकि अपने
पुत्र रौशन कुमार का जान बचाने की डर से वह खुद अंगूठे का निशान दे देती।लेकिन मुन्ना ठाकुर द्वारा जबरन निशान लिए जाने की कोशिश करने और छेदी ठाकुर द्वारा उसके बेटे को चाकू दिखाने के बाद भी उससे अंगूठा का निशान नहीं लिया जा सका।ऐसा कैसे हो सकता है?
इससे जाहिर होता है कि रानी देवी से ना ही अंगूठा का निशान लेने का कोशिश किया गया और ना ही रौशन कुमार को चाकू दिखाया गया।
आरोप का शिकार हुए लोगों को सहयोग भी किया।आरोप प्रथम दृष्टया देखने से ही झूठा प्रतीत होता है।
1.भरन-पोषण के लिए नियम के विरुध्द आवेदन देना
Hindu ADOPTION AND MAINTENANCE ACT,1956 (हिन्दु दत्तकग्रहण तथा भरन-पोषण
अधिनियम)की धारा 19(1) के तहत एक हिन्दु विधवा महिला अपने ससुर से भरन-पोषण
के लिए कोर्ट में आवेदन कर सकती है बशर्तेँ कि उस विधवा के पास आय का
पर्याप्त स्त्रोत ना हो।इसी कानून का धारा 19(2) के तहत ससुर भरन-पोषण
नहीं देगा जब उसके पास देने के लिए पर्याप्त सहदायिकी संपत्ति (जो संपत्ति
पिता के मरने के बाद वारिसों को बांटी जाती है) नहीं है।मतलब ससुर अपने
मासिक आय से भरन-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं है।विधवा रानी देवी ने अपने
जेठ दिलीप ठाकुर और ननद मुनचुन देवी से भी भरन-पोषण लेने के लिए आवेदन दे
दिया है।ससुर के सिवाय किसी दूसरे से भरन-पोषण मांगने का अधिकार विधवा को
नहीं है।
Hindu Minority and Guardianship Act,1956(हिन्दू नाबालिगी तथा संरक्षता अधिनियम) की धारा 9(3) के तहत एक विधवा अपने नाबालिग बच्चे की प्राकृतिक संरक्षक होती है और उसे नाबालिग बच्चे की संपत्ति का रक्षा करने और नाबालिग के हित में संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार होता है।विधवा सिर्फ अपने नाबालिग बच्चे के संपत्ति का संरक्षक होती है।नाबालिग बच्चे के संपत्ति पर विधवा का स्वामित्व नहीं होता।हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 के तहत विधवा की मृत पति के संपत्ति पर उसका और उसके बच्चे यानि सभी का बराबर का हिस्सा होता है।मसलन,यदि एक विधवा और उसके तीन बच्चे हैं तो चारों का 1/4 हिस्सेदारी बनता है।अपने बच्चे के हिस्से का संपत्ति का विधवा सिर्फ संरक्षक होती है।यदि रानी देवी ने भरन-पोषण के लिए CrPC का धारा 125 के तहत आवेदन दिया है तो उसे भरन-पोषण नहीं मिल सकता।क्योंकि CrPC का धारा 125 के तहत सिर्फ पत्नी अपने पति से,बच्चा अपने माता-पिता से और वृध्द माता-पिता अपने संतान से भरन-पोषण मांग सकता है।
2.दहेज प्रताड़ना का झूठा आरोप
(i) मृतक ललित ठाकुर की पत्नी रानी देवी अपने ससुर छेदी ठाकुर और जेठ दिलीप
ठाकुर पर ललित ठाकुर का किडनी का ईलाज कराने के लिए दहेज मांगने का आरोप
लगाया है।रानी देवी का आरोप है कि ससुर छेदी ठाकुर और जेठ दिलीप ठाकुर ने
रानी देवी से ईलाज के लिए दहेज के रुप में मांगी गई कुछ राशि और एक भैंस
नहीं देने के कारण ललित ठाकुर का सही से ईलाज नहीं कराया,जिस कारण से उसकी
मौत हो गई।
(ii) रानी देवी का आरोप स्वतः झूठा प्रतीत होता है।आखिर कोई पिता या सगा भाई
ईलाज कराने के लिए दहेज पर आश्रित कैसे हो सकता है?यदि रानी देवी का ईलाज
कराने की बात होती तो एक ससुर(छेदी ठाकुर) और एक जेठ(दिलीप ठाकुर) ईलाज
कराने के लिए दहेज पर आश्रित हो सकते थे लेकिन ललित ठाकुर का ईलाज कराने के
लिए दहेज पर ये आश्रित नहीं हो सकते।इसलिए आरोप झूठा है
(iii) आरोप के अनुसार,ईलाज के लिए दहेज में भैंस भी मांगी गई।ईलाज के लिए
त्वरित राशि चाहिए ना कि भैंस।पहले भैंस के खरीदार को खोजना पड़ेगा,फिर राशि
मिल पाएगी।तब तक ईलाज में काफी विलंब हो जाएगी।इसलिए भैंस मांगने का सवाल
ही पैदा नहीं होता।
(iv) दहेज के लिए सिर्फ रानी देवी पर ही दवाब बनाया गया।यदि ईलाज कराने जैसे अतिआवश्यक काम के लिए दहेज मांगा जाता तो इसके लिए रानी देवी के परिवार वाले पर भी दवाब बनाया जाता क्योंकि ईलाज के लिए दहेज लेना उस वक्त URGENT होता और रानी देवी के परिवार वाले पर दवाब दिए बगैर दहेज नहीं मिल सकता था और यदि URGENT था तो दहेज लेने के लिए परिवार वाले पर भी दवाब बनाया जाता।URGENT Case में सिर्फ लड़की पर दवाब बनाए जाने की बात कहना झूठा आरोप है।
3.धमकाकर रंगदारी करने का झूठा आरोप
(i)रानी देवी का आरोप है कि उसके पति ललित ठाकुर का मर जाने के बाद उसे ससुराल से भगा दिया गया।उसका भतीजा मुन्ना ठाकुर एक कागज पर रानी देवी का अंगूठा का निशान लेने का कोशिश किया जिसपर लिखा जाता कि रानी देवी स्वेच्छा से ससुराल छोड़कर जा रही है।रानी देवी ने अपने ससुर छेदी ठाकुर पर आरोप लगायी है कि छेदी ठाकुर रानी देवी का बेटा रौशन कुमार का हाथ रानी देवी के सामने पकड़कर उसे चाकू दिखा कर धमका रहा था ताकि रानी देवी अपने बेटा का जान बचाने के डर से अंगूठा का निशान कागज पर लगा दे।
(ii) रानी देवी से अंगूठा का निशान लेना काफी आसान था क्योंकि वह एक असहाय विधवा महिला थी और उसके ससुराल में सभी उसके
विरोधी थे।उसके बयान के अनुसार यदि मान लिया जाए कि उसे ससुराल से भगा दिया गया तो जब ससुराल से भगाया जा सकता है तो अंगूठा का निशान भी लिया जा सकता
है क्योंकि अंगूठा का निशान लेना ससुराल से भगाने से ज्यादा आसान है।इसलिए यदि अंगूठा का निशान नहीं लिया गया है तो इसका मतलब होता है कि उसे ससुराल
से भी नहीं भगाया गया है।इसलिए रानी देवी द्वारा अपने जेठानी विमला देवी और सास सैलू देवी और अन्य पर लगाया गया यह आरोप झूठा है कि इन लोगों ने
धक्का मारकर उसे ससुराल से भगा दिया।रानी देवी से मुन्ना ठाकुर द्वारा जबरन अंगूठा का निशान लेने की कोशिश करने की जरुरत भी नहीं पड़ती क्योंकि अपने
पुत्र रौशन कुमार का जान बचाने की डर से वह खुद अंगूठे का निशान दे देती।लेकिन मुन्ना ठाकुर द्वारा जबरन निशान लिए जाने की कोशिश करने और छेदी ठाकुर द्वारा उसके बेटे को चाकू दिखाने के बाद भी उससे अंगूठा का निशान नहीं लिया जा सका।ऐसा कैसे हो सकता है?
इससे जाहिर होता है कि रानी देवी से ना ही अंगूठा का निशान लेने का कोशिश किया गया और ना ही रौशन कुमार को चाकू दिखाया गया।
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