मुस्लिम नवजवानों की रिहाई के बाद गुजरात सरकार और नरेंदर मोदी कट घेरे में हैं , इस मामले में जांच एजेंसी और अमित शाह को दोषी मानते हुए जांच बैठा कर निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई होनी चाहिए ।( के .सी तेयागी )
मुस्लिम नवजवानों की रिहाई के बाद गुजरात सरकार और नरेंदर मोदी कट घेरे में हैं , इस मामले में जांच एजेंसी और अमित शाह को दोषी मानते हुए जांच बैठा कर निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई होनी चाहिए ।( के .सी तेयागी )
नई दिल्ली ( एजेंसी )
गुजरात के अक्षर धाम मंदिर में 2002 में हुए आतंकी हमले के सिलसिले में सजा -ए - मौत पाए हुए 3 मुल्जेमिन और उम्र क़ैद की सजा पाए हुए एक आरोपी समेत सभी 6 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से 16 जुलाई बरोज जुमा को बा इज्ज़त बरी कर दिया । उन सभी को पोटा अदालत ने 2006 में सजाये मौत और उम्र कैद की सजा दी थी ।देश का ये पहला ऐसा केस है जिसमें एन डी ए के दौरे हुकूमत में एक विशेष समुदाय को टार्गेट कर के पोटा के तेहत सजा दी गयी थी । इस फैसले का खैर मकदम करते हुए जनता दल के कौमी तर्जुमान ( राष्ट्रीय प्रवक्ता ) और राज सभा मेंबर के सी तेयागी ने कहा है की आतंक के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ़ तौर पर क्लियर हो गया है की जांच अगेंकएजेंसी ने जिस तरह से इस मुक़दमे की तफ्तीश की उस से उसकी जाहिलपन साबित होती है । कयोंकि इस तरह के संगीन मामले में जिसमे मुल्क की सलामती जुड़ा हुआ हो ऐसे मामले में जांच एजेंसी अगर इस तरह की तफ्तीश करेगी तो उसकी जांच रिपोर्ट बाकी आतंकी मामलों में सही कैसे मानी जायेगी । ऐसी हालत में असल आतंकी जिन्होंने मासूमों की जान ली वह बच निकले हैं और उनके बदले में बेगुनाह और मासूम लोगों को पकड़ कर जेल में दाल दिया जिसका नतीजा यह हुआ की वह सभी आदालतों से बा इज्ज़त बड़ी हो गए ।
जनाब तेयागी ने साफ़ तौर से कहा है की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गुजरात सरकार की मंशा और नियत पर इस मामले में शक होने लगा है । और राज के बेगबेगुनाह मुसलमानों को जान बुझ कर आरोपी बना रही है ।उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी मिस्टर अमित शाह पर एनकाउंटर के लगे संगीन इल्जाम को सियासी मोखासेमत का नाम दे रही है ।
जनाब तेयागी ने जांच एजेंसी और अमित शाह के विरुद्ध इस मामले में कार्रवाई की मांग की है ।
( उर्दू दैनिक कौमी तंजीम दिनांक 22/5/2014 )
नई दिल्ली ( एजेंसी )
गुजरात के अक्षर धाम मंदिर में 2002 में हुए आतंकी हमले के सिलसिले में सजा -ए - मौत पाए हुए 3 मुल्जेमिन और उम्र क़ैद की सजा पाए हुए एक आरोपी समेत सभी 6 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से 16 जुलाई बरोज जुमा को बा इज्ज़त बरी कर दिया । उन सभी को पोटा अदालत ने 2006 में सजाये मौत और उम्र कैद की सजा दी थी ।देश का ये पहला ऐसा केस है जिसमें एन डी ए के दौरे हुकूमत में एक विशेष समुदाय को टार्गेट कर के पोटा के तेहत सजा दी गयी थी । इस फैसले का खैर मकदम करते हुए जनता दल के कौमी तर्जुमान ( राष्ट्रीय प्रवक्ता ) और राज सभा मेंबर के सी तेयागी ने कहा है की आतंक के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ़ तौर पर क्लियर हो गया है की जांच अगेंकएजेंसी ने जिस तरह से इस मुक़दमे की तफ्तीश की उस से उसकी जाहिलपन साबित होती है । कयोंकि इस तरह के संगीन मामले में जिसमे मुल्क की सलामती जुड़ा हुआ हो ऐसे मामले में जांच एजेंसी अगर इस तरह की तफ्तीश करेगी तो उसकी जांच रिपोर्ट बाकी आतंकी मामलों में सही कैसे मानी जायेगी । ऐसी हालत में असल आतंकी जिन्होंने मासूमों की जान ली वह बच निकले हैं और उनके बदले में बेगुनाह और मासूम लोगों को पकड़ कर जेल में दाल दिया जिसका नतीजा यह हुआ की वह सभी आदालतों से बा इज्ज़त बड़ी हो गए ।
जनाब तेयागी ने साफ़ तौर से कहा है की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गुजरात सरकार की मंशा और नियत पर इस मामले में शक होने लगा है । और राज के बेगबेगुनाह मुसलमानों को जान बुझ कर आरोपी बना रही है ।उन्होंने कहा की भारतीय जनता पार्टी मिस्टर अमित शाह पर एनकाउंटर के लगे संगीन इल्जाम को सियासी मोखासेमत का नाम दे रही है ।
जनाब तेयागी ने जांच एजेंसी और अमित शाह के विरुद्ध इस मामले में कार्रवाई की मांग की है ।
( उर्दू दैनिक कौमी तंजीम दिनांक 22/5/2014 )
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