शंकर आचार्य जी कहते हैं कि साईं बाबा मुसलमान थे ,पुलाव खाते थे ,मस्जिद में रहते थे ,गोस्त खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खिलाते थे ,और वह न भगवानहैं और न गुरु इसलिए उनकी पूजा नहीं करना चाहिए और न उनसे मुरादें मांगना चाहिए ,न चढ़ावे चढ़ाना चाहिए । आचार्या जी ये नहीं बताते की जो उनकी पूजा कर गया वह हिन्दू नहीं रहेगा .....और न ये बताते हैं की फिर वह क्या हो जाएगा ? दूसरी तरफ साईं के पुजारी कहते हैं की साईं बाबा के मानने वाले 60 करोड़ हैं और ताक़त नहीं है जो हमें उनकी पूजा से रोक सके या उनकी मूर्तियों को हाथ लगाले । जो मामला इतना संगीन हो उसमे अपने धर्म का सबसे बड़ा ठीकेदार समझने वाले मोहन भागवत जी खामोश क्यों हैं और क्यों दम साधे देख रहे हैं कि साठ करोड़ हिन्दू राम चंद्र जी ,लक्ष्मण जी , सीता जी ,और हनुमान जी की तरफ से मुंह फेरकर ऐसे बाबा की पूजा कर रहे हैं जो सैकड़ों धर्म गुरुओं के नजदीक न भगवान हैं न गुरु बल्कि आधा मुसलमान है ? हो सकता है भागवत जी ने सनातन धर्म के अलावा इस्लाम का भी अध्यन किया हो ? अगर नहीं किया तो हम बतलाते हैं की मुसलमानों के मुफ्तियों ने हज़ारों मुसलमानों को जो कादयानी कहलाते हैं सिर्फ इसलिए इस्लाम से खारिज कर दिया कि वह आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पैगम्बर तो मानते थे लेकिन आखरी नहीं मानते थे । इतनी सी बात पर वह मुसलमान नहीं रहे । अब मोहन भागवत जी बताएं की वह साठ करोड़ जो सिर्फ साईं की पूजा करते हैं वह हिन्दू हैं ? अगर हिन्दू नहीं रहे तो वह क्या हो गए ? और उनको फिर से हिन्दू बनाने के लिए भागवत जी क्या करेंगे ?
Hafeez Nomani
मोदी हुकूमत के तीन महीने पुरे हुए तो उसका जश्न इस तरह मनाया गया के कभी की जनसंघ और आजकी भाजपा के तीनो क़ुतुब मीनार अटल जी ,आडवाणी जी ,और मुरली मनोहर जोशी को "मार्गदर्शक मंडल " का बुजुर्ग रहनुमा बना दिया गया और पार्लियामेंट्री बोर्ड से भी उनको हटा दिया गया ।जहाँ तक मुसलमानों का संबंध है उनके लिए ये खबर इसलिए भी दिलचश्पी की नहीं की वह तीनों जब तक मैदान में रहें मुसलमान उनकी निशाने पर ही रहे और अगर वह भाजपा के अहम ओहदे पर होते तब भी मुसलमान उनके लिए बोझ ही होते ..................
हमारे नजदीक मसला सिर्फ एहसान फरामोशी का है जिनकी फितरत में एहसान फरामोशी होती है वह किसी एक तबका या फिरका अथवा समुदाय के लिए नहीं बल्कि सबके लिए खतरनाक खतरनाक होते हैं ।
कल एक मंजर ये देखा के आर एस एस चीफ मोहन भागवत ने खुद प्रेस कांफ्रेंस में आये और उन्होंने बीजेपी के उन बुजुर्ग लीडरों के संबंध में जिन अल्फाजों का इस्तेमाल किये उसने हैरत जुदा यानी अचंभित कर दिया के आज तक आर एस एस के किसी सरबराह ने बीजेपी के मामलों में इस तरह की मुदाखेलत यानी हस्तक्षेप नहीं की थी जिस तरह भागवत जी कर रहे हैं । शुरू में जब उन्होंने मौका बेमौका मुदाखेलत अथवा हस्तक्षेप की तो हमने ये समझा कि वह अब तक के बड़ो के मुकाबले में सबसे जेयादः अहल यानी योग्य और बासलाहियत हैं । लेकिन अब वह काली टोपी उतार कर इस तरह पार्टी के नए लीडरों के साथ खड़े हैं जैसे वह मौका मिले तो खुद भी उमीदवार बन सकते हैं ।
भागवत जी एक तरफ सियासत में टांग अड़ाए हुए हैं तो दूसरी तरफ धर्म के ठीकेदार भी बनकर सामने आ रहे हैं । ये उनका ही कहना है की हिन्दुस्तान में हर रहने वाले को अपने को हिन्दू कहलाना चाहिए । उन्होंने ये भी फरमाया की हिन्दू धर्म इतना वसी अथवा बड़ा है की तमाम धर्मों को अपने में समेट सकता है हम नहीं जानते कि उनकी शैक्षणिक योगयता क्या है ? इसलिए की बहुत काबिल पंडितों का कहना है कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है ,धर्म सिर्फ सनातन धर्म है ......दूसरी बात ये की हिंदुस्तान तो हम मुसलमान कहते हैं और लिखते हैं वरना नाम तो मुल्क का भारत है । रही बात हिन्दू धर्म की वेयापकता की तो भागवत जी ने दो महीने पहले हरिद्वार में हुई धर्म संसद की कार्रवाई नहीं सुनी या नहीं देखी ? वहां मसला था कि सांई बाबा की पूजा करने वाले हिन्दू पाप कर रहे हैं इसलिए की साईं बाबा मुसलमान थे या उन्हें मुसलमान सूफी मानते थे लेकिन अब सिर्फ मंदिरों में उनकी मूर्ति रखी हुई है और आज कल सबसे जेयादः चढ़ावा उनकी मूर्ति पर चढ़ रहे हैं ।
हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु शंकर आचार्या ने धर्म संसद बुलाकर ये एलान किया के साईं बाबा की मूर्तियाँ मंदिरों से हटा दी जाएँ वर्ना हम उन्हें उठा कर फेंकवा देंगे । जिसके जवाब में साई बाबा के मानने वालों एलान कर दिया था की अगर किसी ने हाथ लगाया तो उसके हाथ तोड़ दिए जायेंगे । धर्म गुरु शंकर आचार्या जी ने फिर धर्म संसद बुलाई इसमें देश के कोने कोने से धर्म गुरु आये .......लेकिन कहीं हमें उनमें कहीं मोहन भागवत नजर नहीं आये और न उन्होंने इसके सम्बन्ध में कोई बयान दिया ।हम मोहन भागवत जी से मालुम करना चाहते हैं की मुसलमानों ,इसाईयों ,और पारसियों को तो छोड़िये पहले ये बताईये की साईं बाबा की पूजा करने वाले हिन्दू हैं या हिन्दू नहीं रहे ? जैसे हम मुसलमान अगर सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह के अलावा किसी की पूजा करें या उससे मदद मांगे गर्ज के अपनी जरूरतों की कोई चीज भी अगर अल्लाह त'आला के अलावा किसी से भी मांगे तो हम मुसलमान मुर्तद हो गए । शंकर आचार्य जी कहते हैं कि साईं बाबा मुसलमान थे ,पुलाव खाते थे ,मस्जिद में रहते थे ,गोस्त खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खिलाते थे ,और वह न भगवानहैं और न गुरु इसलिए उनकी पूजा नहीं करना चाहिए और न उनसे मुरादें मांगना चाहिए ,न चढ़ावे चढ़ाना चाहिए । आचार्या जी ये नहीं बताते की जो उनकी पूजा कर गया वह हिन्दू नहीं रहेगा .....और न ये बताते हैं की फिर वह क्या हो जाएगा ? दूसरी तरफ साईं के पुजारी कहते हैं की साईं बाबा के मानने वाले 60 करोड़ हैं और ताक़त नहीं है जो हमें उनकी पूजा से रोक सके या उनकी मूर्तियों को हाथ लगाले । जो मामला इतना संगीन हो उसमे अपने धर्म का सबसे बड़ा ठीकेदार समझने वाले मोहन भागवत जी खामोश क्यों हैं और क्यों दम साधे देख रहे हैं कि साठ करोड़ हिन्दू राम चंद्र जी ,लक्ष्मण जी , सीता जी ,और हनुमान जी की तरफ से मुंह फेरकर ऐसे बाबा की पूजा कर रहे हैं जो सैकड़ों धर्म गुरुओं के नजदीक न भगवान हैं न गुरु बल्कि आधा मुसलमान है ? हो सकता है भागवत जी ने सनातन धर्म के अलावा इस्लाम का भी अध्यन किया हो ? अगर नहीं किया तो हम बतलाते हैं की मुसलमानों के मुफ्तियों ने हज़ारों मुसलमानों को जो कादयानी कहलाते हैं सिर्फ इसलिए इस्लाम से खारिज कर दिया कि वह आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पैगम्बर तो मानते थे लेकिन आखरी नहीं मानते थे । इतनी सी बात पर वह मुसलमान नहीं रहे ।
अब मोहन भागवत जी बताएं की वह साठ करोड़ जो सिर्फ साईं की पूजा करते हैं वह हिन्दू हैं ? अगर हिन्दू नहीं रहे तो वह क्या हो गए ? और उनको फिर से हिन्दू बनाने के लिए भागवत जी क्या करेंगे ? कादयानी अपने को मुसलमान कहते हैं ,कलमा पढ़ते हैं नमाज और कुरान भी पढ़ते हैं लेकिन तमाम मुफ्तियान उज्जाम ने उन्हें मुसलमान नहीं मानते और वह उस वक़्त तक मुसलमान नहीं बनेंगे जब तक मोहम्मद सललललाहो अलैहे वसल्लम को आखरी पैगम्बर न मानें । अब शंकर आचार्या जी और मोहन भागवत जी बताएं की साईं के पुजारी हिन्दू हैं या नहीं ? अगर अब भी हिन्दू हैं तो फर्क क्या पड़ा ?
( हफीज नोमानी )
( Urdu daily Pindar , Patna ,page 4....dated .....31-8-2014 )
मोदी हुकूमत के तीन महीने पुरे हुए तो उसका जश्न इस तरह मनाया गया के कभी की जनसंघ और आजकी भाजपा के तीनो क़ुतुब मीनार अटल जी ,आडवाणी जी ,और मुरली मनोहर जोशी को "मार्गदर्शक मंडल " का बुजुर्ग रहनुमा बना दिया गया और पार्लियामेंट्री बोर्ड से भी उनको हटा दिया गया ।जहाँ तक मुसलमानों का संबंध है उनके लिए ये खबर इसलिए भी दिलचश्पी की नहीं की वह तीनों जब तक मैदान में रहें मुसलमान उनकी निशाने पर ही रहे और अगर वह भाजपा के अहम ओहदे पर होते तब भी मुसलमान उनके लिए बोझ ही होते ..................
हमारे नजदीक मसला सिर्फ एहसान फरामोशी का है जिनकी फितरत में एहसान फरामोशी होती है वह किसी एक तबका या फिरका अथवा समुदाय के लिए नहीं बल्कि सबके लिए खतरनाक खतरनाक होते हैं ।
कल एक मंजर ये देखा के आर एस एस चीफ मोहन भागवत ने खुद प्रेस कांफ्रेंस में आये और उन्होंने बीजेपी के उन बुजुर्ग लीडरों के संबंध में जिन अल्फाजों का इस्तेमाल किये उसने हैरत जुदा यानी अचंभित कर दिया के आज तक आर एस एस के किसी सरबराह ने बीजेपी के मामलों में इस तरह की मुदाखेलत यानी हस्तक्षेप नहीं की थी जिस तरह भागवत जी कर रहे हैं । शुरू में जब उन्होंने मौका बेमौका मुदाखेलत अथवा हस्तक्षेप की तो हमने ये समझा कि वह अब तक के बड़ो के मुकाबले में सबसे जेयादः अहल यानी योग्य और बासलाहियत हैं । लेकिन अब वह काली टोपी उतार कर इस तरह पार्टी के नए लीडरों के साथ खड़े हैं जैसे वह मौका मिले तो खुद भी उमीदवार बन सकते हैं ।
भागवत जी एक तरफ सियासत में टांग अड़ाए हुए हैं तो दूसरी तरफ धर्म के ठीकेदार भी बनकर सामने आ रहे हैं । ये उनका ही कहना है की हिन्दुस्तान में हर रहने वाले को अपने को हिन्दू कहलाना चाहिए । उन्होंने ये भी फरमाया की हिन्दू धर्म इतना वसी अथवा बड़ा है की तमाम धर्मों को अपने में समेट सकता है हम नहीं जानते कि उनकी शैक्षणिक योगयता क्या है ? इसलिए की बहुत काबिल पंडितों का कहना है कि हिन्दू कोई धर्म नहीं है ,धर्म सिर्फ सनातन धर्म है ......दूसरी बात ये की हिंदुस्तान तो हम मुसलमान कहते हैं और लिखते हैं वरना नाम तो मुल्क का भारत है । रही बात हिन्दू धर्म की वेयापकता की तो भागवत जी ने दो महीने पहले हरिद्वार में हुई धर्म संसद की कार्रवाई नहीं सुनी या नहीं देखी ? वहां मसला था कि सांई बाबा की पूजा करने वाले हिन्दू पाप कर रहे हैं इसलिए की साईं बाबा मुसलमान थे या उन्हें मुसलमान सूफी मानते थे लेकिन अब सिर्फ मंदिरों में उनकी मूर्ति रखी हुई है और आज कल सबसे जेयादः चढ़ावा उनकी मूर्ति पर चढ़ रहे हैं ।
हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु शंकर आचार्या ने धर्म संसद बुलाकर ये एलान किया के साईं बाबा की मूर्तियाँ मंदिरों से हटा दी जाएँ वर्ना हम उन्हें उठा कर फेंकवा देंगे । जिसके जवाब में साई बाबा के मानने वालों एलान कर दिया था की अगर किसी ने हाथ लगाया तो उसके हाथ तोड़ दिए जायेंगे । धर्म गुरु शंकर आचार्या जी ने फिर धर्म संसद बुलाई इसमें देश के कोने कोने से धर्म गुरु आये .......लेकिन कहीं हमें उनमें कहीं मोहन भागवत नजर नहीं आये और न उन्होंने इसके सम्बन्ध में कोई बयान दिया ।हम मोहन भागवत जी से मालुम करना चाहते हैं की मुसलमानों ,इसाईयों ,और पारसियों को तो छोड़िये पहले ये बताईये की साईं बाबा की पूजा करने वाले हिन्दू हैं या हिन्दू नहीं रहे ? जैसे हम मुसलमान अगर सिर्फ और सिर्फ एक अल्लाह के अलावा किसी की पूजा करें या उससे मदद मांगे गर्ज के अपनी जरूरतों की कोई चीज भी अगर अल्लाह त'आला के अलावा किसी से भी मांगे तो हम मुसलमान मुर्तद हो गए । शंकर आचार्य जी कहते हैं कि साईं बाबा मुसलमान थे ,पुलाव खाते थे ,मस्जिद में रहते थे ,गोस्त खुद भी खाते थे और दूसरों को भी खिलाते थे ,और वह न भगवानहैं और न गुरु इसलिए उनकी पूजा नहीं करना चाहिए और न उनसे मुरादें मांगना चाहिए ,न चढ़ावे चढ़ाना चाहिए । आचार्या जी ये नहीं बताते की जो उनकी पूजा कर गया वह हिन्दू नहीं रहेगा .....और न ये बताते हैं की फिर वह क्या हो जाएगा ? दूसरी तरफ साईं के पुजारी कहते हैं की साईं बाबा के मानने वाले 60 करोड़ हैं और ताक़त नहीं है जो हमें उनकी पूजा से रोक सके या उनकी मूर्तियों को हाथ लगाले । जो मामला इतना संगीन हो उसमे अपने धर्म का सबसे बड़ा ठीकेदार समझने वाले मोहन भागवत जी खामोश क्यों हैं और क्यों दम साधे देख रहे हैं कि साठ करोड़ हिन्दू राम चंद्र जी ,लक्ष्मण जी , सीता जी ,और हनुमान जी की तरफ से मुंह फेरकर ऐसे बाबा की पूजा कर रहे हैं जो सैकड़ों धर्म गुरुओं के नजदीक न भगवान हैं न गुरु बल्कि आधा मुसलमान है ? हो सकता है भागवत जी ने सनातन धर्म के अलावा इस्लाम का भी अध्यन किया हो ? अगर नहीं किया तो हम बतलाते हैं की मुसलमानों के मुफ्तियों ने हज़ारों मुसलमानों को जो कादयानी कहलाते हैं सिर्फ इसलिए इस्लाम से खारिज कर दिया कि वह आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को पैगम्बर तो मानते थे लेकिन आखरी नहीं मानते थे । इतनी सी बात पर वह मुसलमान नहीं रहे ।
अब मोहन भागवत जी बताएं की वह साठ करोड़ जो सिर्फ साईं की पूजा करते हैं वह हिन्दू हैं ? अगर हिन्दू नहीं रहे तो वह क्या हो गए ? और उनको फिर से हिन्दू बनाने के लिए भागवत जी क्या करेंगे ? कादयानी अपने को मुसलमान कहते हैं ,कलमा पढ़ते हैं नमाज और कुरान भी पढ़ते हैं लेकिन तमाम मुफ्तियान उज्जाम ने उन्हें मुसलमान नहीं मानते और वह उस वक़्त तक मुसलमान नहीं बनेंगे जब तक मोहम्मद सललललाहो अलैहे वसल्लम को आखरी पैगम्बर न मानें । अब शंकर आचार्या जी और मोहन भागवत जी बताएं की साईं के पुजारी हिन्दू हैं या नहीं ? अगर अब भी हिन्दू हैं तो फर्क क्या पड़ा ?
( हफीज नोमानी )
( Urdu daily Pindar , Patna ,page 4....dated .....31-8-2014 )
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