धार्मिक पहचान छुपा कर हम किसी से एक दो बार मिल सकते हैं। किसी को गर्ल-फ्रेंड बना तो सकते हैं। पर इस रिश्ते को उस मुकाम (शादी/सेक्स) तक नहीं पहुंचा सकते। सिर्फ इसलिए नहीं कि हिन्दू और मुस्लिम लड़को के लिंग में असमानता होती है। बल्कि इसलिए भी कि दोनों धर्मों में बच्चों की परवरिश अलग-अलग ढंग से किया जाता है। पहनावा, बोलचाल, सर्किल के लोग, मित्र मंडली, दिनचर्या व अन्य संस्कृति आदि कई पहलुओं में भी भिन्नताएं होती है। जिसे लंबे समय तक छुपाया नहीं जा सकता।
धार्मिक पहचान छुपा कर हम किसी से एक दो बार मिल सकते हैं। किसी को गर्ल-फ्रेंड बना तो सकते हैं। पर इस रिश्ते को उस मुकाम (शादी/सेक्स) तक नहीं पहुंचा सकते। सिर्फ इसलिए नहीं कि हिन्दू और मुस्लिम लड़को के लिंग में असमानता होती है। बल्कि इसलिए भी कि दोनों धर्मों में बच्चों की परवरिश अलग-अलग ढंग से किया जाता है। पहनावा, बोलचाल, सर्किल के लोग, मित्र मंडली, दिनचर्या व अन्य संस्कृति आदि कई पहलुओं में भी भिन्नताएं होती है। जिसे लंबे समय तक छुपाया नहीं जा सकता।
अगर फिर भी मुस्लिम लड़के लंबे समय तक खुद को हिन्दू बता कर हिन्दू लड़की को फंसा कर उससे शादी करने में सफल होते हैं। तो ऐसा भी हो सकता है कि कोई अपने और अपनी पार्टी के राजनितिक लाभ के लिए ऐसे लड़के को हिन्दू बनने की गंभीर एक्टिंग का गहन प्रशिक्षण भी देता हो। संभवतः आर्थिक मदद भी। क्योंकि जो जीतने के लिए दंगा करवा सकता है। वो लव जिहाद भी करवा सकता है।
बुरा उसे लगे, जो दंगा करवाता हो.....
-vEd™
अगर फिर भी मुस्लिम लड़के लंबे समय तक खुद को हिन्दू बता कर हिन्दू लड़की को फंसा कर उससे शादी करने में सफल होते हैं। तो ऐसा भी हो सकता है कि कोई अपने और अपनी पार्टी के राजनितिक लाभ के लिए ऐसे लड़के को हिन्दू बनने की गंभीर एक्टिंग का गहन प्रशिक्षण भी देता हो। संभवतः आर्थिक मदद भी। क्योंकि जो जीतने के लिए दंगा करवा सकता है। वो लव जिहाद भी करवा सकता है।
बुरा उसे लगे, जो दंगा करवाता हो.....
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