‘आतंकी समझकर सिर में डाल दी माइक्रोचिप, निकलवा दो’ – मोहम्मद इकबाल
‘आतंकी समझकर सिर में डाल दी माइक्रोचिप, निकलवा दो’ – मोहम्मद इकबाल
आतंक व देशद्रोह के आरोपों में जेल में बंद अब्दुल रहमान उर्फ मोहम्मद इकबाल उर्फ मौलाना को विशेष न्यायाधीश ने सुबूत के अभाव में बरी कर दिया। जज एसएएच रिजवी ने बृहस्पतिवार को इकबाल की रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि उसके खिलाफ जो भी सुबूत पेश किए गए वे नाकाफी हैं।
अदालत के फैसले के बाद इकबाल को जेल से रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि इकबाल को पुलिस ने किसी घटनास्थल से गिरफ्तार नहीं किया तथा उसके पास से कोई अवैध वस्तु भी बरामद नहीं हुई। अपने 16 पन्नों के आदेश में अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी इकबाल किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य था अथवा किसी आतंकी गतिविधि में शामिल था।
एसटीएफ को सूचना मिली थी कि कुख्यात आतंकी बाबू व नौशाद, जिनके पास खतरनाक हथियार व विस्फोटक हो सकते हैं। अमीनाबाद के किसी होटल में ठहरा था। इस सूचना पर 22 जून 2007 को एसटीएफ ने आरोपियों की गिरफ्तारी केलिए रेजीडेंसी व हाईकोर्ट तिराहे केपास घेराबंदी की। काफी देर केइंतजार के बाद सीएमओ ऑफिस की तरफ रिक्शे पर दो व्यक्ति जिनकेहाथ में हैंडबैग थे तिराहे पर रुके।
खुफिया एजेंसियों ने जो आरोप इकबाल पर लगाए थे उनके अनुसार लखनऊ में 23 जून 2007 को आतंकियों हुई किसी मुठभेड़ में वह शामिल था, लेकिन गोलीबारी के बीच भाग निकला था। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे 21 मई 2008 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था।
इकबाल का कहना है कि 21 मई 2008 को नई दिल्ली स्टेशन से गिरफ्तारी दिखाने से दो महीने पहले ही 20 मार्च को दिल्ली की स्पेशल सेल ने सीलमपुर से उठाया था। दिल्ली में वह इमामत करता था। उसे दो महीने तक यंत्रणाएं दी गईं और कहा गया कि वह खुद को हूजी का आंतकी बताए। ऐसा करने पर उसे कुछ दिन के लिए जेल में रखकर छोड़ दिया जाएगा। कई दिन तक पिटाई और यंत्रणाएं देने के दौरान कुछ समय के लिए उसे बेहोश कर दिया गया। जब होश आया तो सिर और पीठ के निचले हिस्से में ताजा जख्म व टांके थे।
इकबाल का दावा है कि उसे महसूस हुआ कि उसके शरीर में चिप जैसी कोई वस्तु डाली गई है, जिसकी वजह से कंपन और दर्द महसूस होता है। दर्द कम करने और जख्म सुखाने के लिए उसे जबरन दवाएं खिलाई गईं। 21 मई को उसे जनकपुरी ले जाया गया, जहां आरडीएक्स की बरामदगी दिखाई गई और इसका इल्जाम लेने के लिए कहा गया। इसके बाद उसे जेल भेज दिया गया।
दूसरी ओर उसकी रिहाई के लिए कानूनी जंग लड़ने वाले रिहाई मंच के संस्थापक एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने बताया कि उसके खिलाफ जिन लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया था, उन्होंने कोर्ट में कहा कि जिस रात की गोलीबारी की बात पुलिस कर रही है, उस रात तो वे घर से निकले ही नहीं थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि खुफिया एजेंसियां किस तरह बेगुनाहों को फंसाने का काम कर रही हैं। उन्हें रोका जाना चाहिए, वरना इसी तरह निर्दोष जेल में डाले जाते रहेंगे।
कभी वो अपने सिर पर हाथ रखकर कुछ महसूस करता है, करीब दो इंच का कट दिखाता है और कभी कहीं एकटक ताकता हुआ चुप हो जाता है। आतंक के आरोपों से गुरुवार को बरी हुए शामली के लीलौन के रहने वाले मोहम्मद इकबाल ने बताया कि उसके सिर में माइक्रो चिप डाली गई है।वह बताता है कि ऐसी ही एक चिप उसके पेट में भी डाली गई है। वह चाहता है चिप को जितनी जल्दी हो, निकाल दिया जाए। रिहाई से खुश इकबाल कहता है कि वह अपने घर जाना चाहता है।
जब वह जेल गया था, उसका दो महीने का बेटा था, जिसे करीब आठ साल से उसने नहीं देखा है। अब वह बड़ा हो गया होगा। दो बड़ी बेटियां भी हैं। जेल में रहने के दौरान उसके परिवार का मकान तक बिक गया। आलिम तक पढ़ चुका इकबाल पेशे से वह इमामत और खेती करता था। जेल में रहने के दौरान मिलीं सजा से कई दफा बोलने में खुद को अक्षम महसूस करता है तो कई दफा इधर उधर की बातें करने लगता है।
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http://www.assam123.com/hindi/iqbal-release-from-jail-on-not-finding-proof/
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