अच्छी सोच रखने वाले लोग हिंदुत्व को हरगिज़ पसंद नहीं करते: जमात-ए- इस्लामी


September 21, 2016 Delhi

अच्छी सोच रखने वाले लोग हिंदुत्व को हरगिज़ पसंद नहीं करते: जमात-ए- इस्लामी -
The Siasat Daily

नई दिल्ली: हिंदुत्व देश के हित में नहीं है। चिंताजनक बात यह है कि आज के सरकार की हिंदुत्व को सरपरस्ती हासिल है। हिंदुत्व की कल्पना आक्रामक है, यह भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। जो व्यक्ति सामान्य ज्ञान रखता है हिंदुत्व को कतई पसंद नहीं करता है, यह किसी दूसरी सभ्यता को मानने के लिए तैयार नहीं है।

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इन विचार का व्यक्त अमीर जमाते इस्लामी ने मरकज़ जमाअत में डॉ। सैयद औसाफ सईद वस्फी की किताब “हिंदुत्व और भारत में अल्पसंख्यक”। के विमोचन समारोह में किया।
मौलाना ने कहा कि वस्फी साहब विभिन्न विषयों पर लिखते रहे हैं, पिछले 50 वर्षों में रेडियन्स में उन्होंने जो कुछ लिखा उसे सलीके से पेश किया है, यह एक समन्वित प्रयास है, इससे हम समझ सकते हैं कि पिछले पचास वर्षों में हिंदुत्व उभरा और अल्पसंख्यकों को नुकसान हुआ है। वस्फी साहब बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने सबूत के साथ हिन्दूत्व की इतिहास हमारे सामने रख दी है। अगर वे अन्य विषयों पर लिखी गई लेखों को संकलित करें तो बड़ी सेवा होगी।
लेखक डॉक्टर वस्फी ने अपनी बातचीत में कहा कि बिना सहयोग के कुछ भी संभव नहीं है जिसको जान-दिल अज़ीज़ हो वह पत्रकारिता की गली में न आए मुझे खुशी है कि जमाअत की सेवा का मौका मिला, भारत में जमाते इस्लामी प्रतिदिन लोकप्रिय हो रही है इसके लिए पत्रकारों की जरूरत है, ताकि हर ओर दिखने लग जाएँ, मुस्लिम पत्रकार आबादी के अनुपात में बहुत कम हैं, जरा हम सोचें कि क्या हम प्यास बुझाने में कामयाब रहे हैं।
रेडियन्स आम तरह का पर्चा नहीं है कुरान और हदीस के अध्ययन के बिना वांछित परिणाम प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं हमें ऐसे पत्रकारों की जरूरत है जो मामला समझ हूँ हमें मुस्लिम राष्ट्रवादी जर्नलिस्ट नहीं चाहिए हमें इस्लामी राष्ट्रवादी चाहिए, जो पसीना बहा सकें कुछ समय पढ़ने में दे सकें।  http://hindi.siasat.com/news/%e0%a4%85%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%8b%e0%a4%9a-%e0%a4%b0%e0%a4%96%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%b2%e0%a5%8b%e0%a4%97-%e0%a4%b9%e0%a4%bf-835003/

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"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"