मुसलमानों की एक सामाजिक संस्था , वतन विकाश आर्गेनाईजेशन   ने केंद्र और बिहार सरकार दोनो से हिन्दुस्तान में सालों साल से मुसलमानों के साथ होने वाली नाइंसाफियों को जल्द से जल्द खत्म करने की मांग की है 


दिनांक 22 -1- 2019 को संस्था के अध्यक्ष अंजारुल हक़ सहारा और सैयदुल जफर अंसारी प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से पाटलिपुत्रा एग्जॉटिका पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर राज्य और केंद्र सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है ।

संस्था ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कॉन्स्टिट्यूशनल ऑर्डर 1950 फ़ॉर एस सी के तहत केवल हिन्दू धर्म के मानने वालों को ही अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था , लेकिन जिस तरह दूसरे धर्म जैसे सिख एवं बुद्धिस्ट धर्म के मानने वालों को भी इस मे शामिल कर लिया गया उसी प्रकार मुस्लिम धर्म के मानने वालों को भी शामिल किया जाए जो अभी तक धार्मिक आधार पर वंचित हैं ताकि मुस्लिम धर्म के बाकी गरीब जातियों भी सामाजिक न्याय मिल सके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सपना सबका सबका विकास साकार हो सके ।
मुसलमानो के विरुद्ध बढ़ते जुल्म ज्यादती पर कंट्रोल पाने के लिए SC ST प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज की तर्ज पर एक विशेष कानून बनाने  की भी जोरदार मांग की ।

वहीं संस्था की तरफ से (1) नीतीश सरकार से मांग की है कि सुशासन की लहर में मुसलमानों को छांट दिया गया , उसे वंचित किया गया , सुशासन में मुसलमानों को नज़रअंदाज़किया गया इसलिए मुस्लिम समुदाय की शेख और खान जातियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ओबीसी -1 के वर्ग में  हस्तांतरित करें जैसे कि गोस्वामी , गिरी , सन्यासी , गोरई , और बाकी जातियों को नीतीश कुमार ने स्वर्ण वर्ग से अति-पिछड़ा  में शामिल किया गया ।
(2)मुस्लिम समुदाय की वर्तमान ओबीसी -1 जातियों को महादलित वर्ग में शामिल किया जाए या विकल्प में उनका एक नया वर्ग बना कर महादलितो वाली सुविधा देने की मांग की क्योंकि यह राज्य सरकार के पूर्ण क्षेत्राधिकार में है ।
(3)संस्था की तरफ से यह भी मांग की गई है कि मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सभी चुनावी पदों एवं अवसरों के साथ सभी बहाली एवं नियुक्तियों में उनकी आबादी के अनुसार देना सुनिश्चित किया जाए एवं सामाजिक क्षेत्रों में विशेष अभियान चला कर उनकी गरीबी एवं पिछरेपन को दूर किया जाए ताकि वो बिहार के मुख्यधारा में शामिल हो सके ।












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