बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले लोगों के सम्बन्ध में समय समय पर समाचार आते रहते हैं,!
बस्ती।बाबरी मस्जिद की शहादत मुसलमानों के लिए ही नहीं देश और दुनियां के लिए बड़ी घटना थी, यह ऐसी घटना थी जिसने भारत के चरमपंथी, अतिवादी रूप को सब के सामने ला दिया था, दुनियां जान चुकी थी कि भारत में एक संगठन के चरमपंथी लोग अन्य धर्मों के मानने वालों के प्राथना िस्थलों पर हमला करते हैं उन्हें संगठित होकर सरकारों की मदद से गिराते हैं|बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले लोगों के सम्बन्ध में समय समय पर समाचार आते रहते हैं, कई तो ऐसे लोग हैं जो शर्मिन्दिगी और पछतावे के कारण खुद से इस्लाम धर्म में शामिल हो गए, कई लोगों को निकारण भय सताता रहता है, उन्हें लगता है कि जैसे कोई अदृश्श्य शक्ति उन को घेरे हुए है, लातूर में आये भयानक भूकंप में भी सबसे अधिक वह लोग शिकार बने थे जो बाबरी मस्जिद गिराने में शामिल थे|
बजरंग दल के प्रमुख पदों पर रहे और बाबरी विध्वंस के मुख्य आरोपी 72 वर्षीय रमेश प्रताप सिंह का उनके निवास स्थान बेलाड़ी में 18 मई की शाम ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया। उनकी मौत से राजनीतिक गलियारे में मायूसी की लहर दौड़ पड़ी है। परिजनों की ओर से उनका अंतिम संस्कार अमहट स्थित कुवानो नदी पर आज किया गया।
बस्ती के नगर थाना क्षेत्र के बेलाड़ी गांव के रहने वाले और बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी रहे रमेश प्रताप सिंह की देर रात ब्रेन हेमरेज होने की वजह से उनके सर में कीड़े पड गये थे जिसकी वजह से सर एक तरफ से बिलकुल खत्म हो गया था, जिसके चलते आज उनकी मौत हो गई। इसकी जानकारी होते ही विहिप, बजरंग दल व बीजेपी समेत कई हिन्दूवादी संगठनों के नेताओं व कार्यकर्ताओं का हुजूम उनके आवास पर उमड़ पड़ा।
मौत से पहले वो लम्बे समय तक ब्रेन हेमरेज से जूझने के साथ साथ सरकार से अदालतों में भी लड़ते रहे, मस्जिद विध्वंस करने के बाद उनकी सारी जमीन जमीन बिक ही गयी थी, जैसे तैसे करके वो सरकार से लड़ते रहे हैं, बाबरी मस्जिद के बाद से उनका पूरा परिवार बर्बादी के कागर पर आ खड़ा था, आर्थिक तंगी के चलते अछे होस्पितालों में भी इलाज कराने में उनका परिवार अक्षम था.
उनकी पीडादायी म्रत्यु के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके आवास पर पहुंचे बीजेपी के गोरक्ष प्रांत के क्षेत्रीय मंत्री अजय सिंह गौतम उनके घर पहुंचे। मृतक रमेश प्रताप सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद अजय सिंह गौतम ने कहा कि रमेश प्रताप सिंह बजरंग दल के एक जमीनी स्तर के कार्यकर्ता रहें, जिन्होंने संगठन के दायित्वों का बिना किसी स्वार्थ के हमेशा निर्वहन किया। उनके जाने से एक बड़ी क्षति हुई है, जिसकी पूर्ति कोई नहीं कर सकता।
रमेश प्रताप सिंह बजरंग दल में काफी अर्से से बडे़ पदों पर काबिज रहे और 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस मामले में वह लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित तमाम बडे़ नेताओं के साथ मुख्य रुप से सह आरोपी भी रहे हैं। कहा जाता है बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने वाले कारसेवकों की अगुवाई भी रमेश प्रताप सिंह ने ही की थी।
सूत्रों के अनुसार बाबरी मस्जिद विध्वंस के पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए रमेश प्रताप उन 32 की टीम मे शामिल थे, जिनकी स्पेशल ट्रेनिंग गुजरात में हुई थी। रमेश प्रताप पर तमाम राजनैतिक मुकदमे चल रहे थे और वे कई बार जेल भी जा चुके थे। बाबरी विध्वंस के बाद रमेश अपने बस्ती स्थित आवास आ गए थे और अपने परिवार संग खेती किसानी कर बड़ी मुश्किल से जीवन गुजार रहे थे।
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