क्या विंग कमांडर अभिनंदन को नचिकेता की तरह भारत वापस लाया जा सकता है?


अटल बिहारी वाजपेयीइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
Image captionलेफ्टिनेंट नचिकेता के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

पाकिस्तान ने दावा किया है कि भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान उनके कब्जे में है और भारत ने भी बिना नाम बताये ये कहा है कि उनका एक पायलट लापता है.
पाकिस्तानी सेना ने एक वीडियो में दावा किया है कि एक भारतीय पायलट को पाकिस्तान की सीमा के भीतर गिरफ़्तार किया गया है.
वीडियो में भारतीय वायु सेना की वर्दी पहने व्यक्ति की आंखों पर पट्टी बंधी है. यह व्यक्ति ख़ुद को विंग कमांडर बताते हुए अपना नाम अभिनंदन बता रहा है.
इस व्यक्ति की वर्दी में अँग्रेज़ी में उसका नाम लिखा है और यह व्यक्ति अपना सर्विस नंबर भी बता रहा है.
इस वीडियो में यह व्यक्ति सवाल पूछ रहा है क्या वो पाकिस्तान की सेना के कब्जे़ में है.

Information Ministry @twitterइमेज कॉपीरइटINFORMATION MINISTRY @TWITTER

अब सवाल ये है कि यदि विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में हैं तो उन्हें भारत वापस कैसे लाया जा सकता है. क्या इससे पहले भी ऐसा हुआ था?
तो हम आपको बता दें कि करगिल युद्ध के दौरान भी एक 26 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे में थे और बाद में उन्हें भारत के हवाले किया गया था.
करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान में जी. पार्थसारथी भारतीय उच्चायुक्त थे. पार्थसारथी 1963-1968 के दरम्यान भारतीय सेना के भी अधिकारी रह चुके हैं.
तब नचिकेता की कैसे भारत वापसी हुई थी, इस पर पार्थसारथी ने बीबीसी को ये बताया-
करगिल युद्ध के समय प्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता मिग एयरक्राफ्ट में थे. उन्हें ये आदेश दिये गये थे कि नियंत्रण रेखा पार नहीं करना है. युद्ध के दौरान उन्होंने मिग से आक्रमण किया. लेकिन जब नीचे आए तो मिसाइल ट्रैक से उनको उतारा गया. पाकिस्तान ने उन्हें कब्जे में लिया.
कुछ दिन बाद मुझे पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से संदेश मिला कि प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने कहा है कि नचिकेता को रिहा कर दिया जाए. ये उनकी तरफ से सद्भाव का संकेत था.
उन्होंने कहा कि हम उन्हें रिहा करना चाहते हैं. मैंने कहा ठीक है. मैंने पूछा कहां मिलूं उनसे. तो उन्होंने कहा कि जिन्ना हॉल आइये. मैंने पूछा कहां. तो उन्होंने कहा जिन्ना हॉल.

पाकिस्तान के कब्जे़ में भारतीय पायलटइमेज कॉपीरइटPAKISTAN INFORMATION MINISTRY

मुझे पता चला कि जिन्ना हॉल में प्रेस कॉन्फ्रेंस होती है. तो मैंने उनसे पूछा कि जब आप उनकी वापसी करते हैं तो वहां मीडिया होगी. तो उन्होंने कहा 'हां'. इस पर मैंने कहा कि 'असंभव' है, जो युद्धबंदी रहे हैं आपके साथ उसको रिहा करते समय मीडिया रहेगी जिसे मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगा. उन्हें अगर दुनिया की मीडिया के सामने उदाहरण बना कर पेश करेंगे तो मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता. आप उनको निजी तौर पर हमें दें. मैंने दिल्ली को सूचित किया तो वहां से कहा गया कि आपने सही किया.
इस पर दिल्ली और एयर चीफ़ ने कहा कि ठीक किया आपने.

भारतीय पायलट का वीडियोइमेज कॉपीरइटISPR

मुझे पाकिस्तान की तरफ से फिर फ़ोन आया और पूछा गया कि आप बताएं कि उन्हें कैसे छोड़ा जाए. तो मैंने कहा कि देखिए आप से हमारा विश्वास चला गया है, आप उन्हें दूतावास में छोड़ें फिर मैं उनका चार्ज लूंगा. तो उन्हें दूतावास लाया गया और वहां मैंने उनका चार्ज लिया.
रात को उन्हें एयर कमोडोर जसवाल के घर में ठहराया गया और अगले दिन मैंने कहा कि आप जहाज़ में नहीं जाएंगे. मैंने उनको एक गाड़ी में रखा, उनके साथ एयर अटैचे और नेवल अटैचे (वायु सेना और नेवी का अधिकारी जो एक राजनयिक मिशन का हिस्सा होता है) को भेजकर वाघा में अपनी सेना के सुपुर्द करने को कहा. नचिकेता हफ़्ते-दो हफ़्ते पाकिस्तान के कब्जे़ में रहे.
1965 के जंग में मैं सियालकोट में था. यदि पाकिस्तान के कब्जे़ में आने के बाद उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ तो यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है.
मीडिया में पायलट की तस्वीर रिलीज़ करना और उनके हाथ बंधे वीडियो जारी करना युद्ध की नीतियों के ख़िलाफ़ है.
नचिकेता के मामले में उनसे कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ था.
भारत के पास विकल्प क्या हैं
जैसे नचिकेता को रिहा करवाया गया था उसी तरह से कार्रवाई होनी चाहिए.
पाकिस्तान की तरफ़ से हमले किये गए. उनका विमान गिराया गया है लेकिन वो कभी इसे स्वीकार नहीं करते हैं.
आक्रोश तो होगा ही. युद्ध में पहली बार नहीं है कि हमारे पायलट उनके कब्जे में हैं. वो एक उदाहरण है.
सरकार जो उचित समझे उस पर कार्रवाई करे. जब उपयुक्त समय आएगा तो यह स्वाभाविक है उस पर बात की जाएगी, कल सुबह बात करनी है कि नहीं, यह सरकार का फ़ैसला है.
युद्धबंदियों पर जेनेवा कन्वेंशन लागू होता है. जेनेवा कन्वेंशन के हिसाब से पाकिस्तान को उनके साथ मानवीय व्यवहार करना होगा.

बबीबीसी हिंदी
बीबीसी संवाददाता से साभार

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