श्रीलंका: आत्मघाती हमलों में 290 की मौत, 24 गिरफ़्तार
श्रीलंका सरकार ने कहा है कि रविवार को हुए सिलसिलेवार धमाके आत्मघाती हमलावरों ने किए और इनकी साज़िश विदेश में रची गई.
पुलिस के मुताबिक अब तक हुए आठ धमाकों में 290 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 500 लोग घायल हैं. मृतकों में 36 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. इस मामले में 24 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है.
हालांकि अब तक हमलावर की पहचान नहीं हो सकी है.
- अब तक आठ धमाके हुए.होटल और चर्च बने निशाना
- 290 लोगों की मौत, 500 घायल
- 24 संदिग्ध गिरफ़्तार
- कोलंबो, नेगोम्बो और बट्टिकलोआ में तीन चर्चों पर ईस्टर की प्रार्थना के दौरान धमाका
- कोलंबो में चार होटल और एक चिड़ियाघर के पास धमाके
- किसी गुट ने हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली
- सरकार ने कहा आत्मघाती हमला, विदेश में रची गई साज़िश
- पूरे देश में कर्फ्यू लगाया गया
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमासिंघे के मुताबिक बम धमाकों के सिलसिले में कम से कम 13 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
गिरफ़्तार किए गए सभी लोग श्रीलंका के ही नागरिक हैं. इन लोगों के किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन से संपर्कों की भी जांच की जा रही है. अभी तक किसी भी संगठन ने इन धमाकों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
प्रधानमंत्री का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि संभावित हमलों के बारे में पुलिस के पास पहले से जानकारी थी लेकिन कैबिनेट को इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी.
हमलों के बाद रविवार को समूचे श्रीलंका में कर्फ्यू लगा दिया गया था, जिसे सोमवार सुबह हटा लिया गया। सोशल मीडिया को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
श्रीलंका के रक्षामंत्री आर विजयवर्धन का कहना है, ''ये आत्मघाती हमले हैं. ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हमले के बारे में सूचित किया था, लेकिन इससे पहले कि उन्हें रोका जाता, धमाके हो गए. हमले की साज़िश विदेश में रची गई.''
कौन हैं हमलावर?
हमले किसने किए हैं, इसे लेकर स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है. पकड़े गए लोगों को लेकर भी कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया है.
श्रीलंका के दूरसंचार मंत्री हरिन फर्नांडो ने भी बीबीसी से बातचीत में कहा कि सरकार के पास आज हुए हमलों के बारे में ख़ुफ़िया रिपोर्ट थी.
उन्होंने कहा, "इस ख़ुफ़िया रिपोर्ट के बारे में प्रधानमंत्री को जानकारी नहीं दी गई थी. इस रिपोर्ट को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया, ये सवाल भी कैबिनेट में उठा है."
उन्होंने बताया, "ख़ुफ़िया रिपोर्ट में कहा गया है कि चार तरह से हमले हो सकते हैं. आत्मघाती बम धमाके हो सकते हैं, हथियारों से हमला हो सकता है, चाकू हमला हो सकता है या विस्फ़ोटकों से लदे ट्रक से हमला हो सकता है. इस रिपोर्ट में कुछ संदिग्धों के नाम का भी ज़िक्र है. उनके टेलिफ़ोन नंबर भी रिपोर्ट में दिए गए थे. ये आश्चर्यजनक है कि ख़ुफ़िया विभाग के पास ये रिपोर्ट थी लेकिन इस बारे में कैबिनेट या प्रधानमंत्री को नहीं पता था."
फ़र्नांडो ने कहा, "ये रिपोर्ट एक दस्तावेज़ है और ये दस्तावेज़ अब हमारे पास है. इस रिपोर्ट में कुछ नामों का भी ज़िक्र है. इसमें कुछ संगठनों के भी नाम हैं. जो मैं सुन रहा हूं उससे पता चल रहा है कि जांच सही चल रही है और हम उन लोगों तक पहुंच जाएंगे जिन्होंने ये हमले किए हैं. हमले के पीछे कौन लोग हैं और कौन समूह हैं उनकी पहचान कर ली गई है. कल शाम तक हमारे पास पूरी जानकारियां होंगी."
लोगों को इस बार का डर है कि हमले आगे भी जारी रह सकते हैं.
श्रीलंका में अब तक कुल आठ धमाके हो चुके हैं. ईस्टर पर चर्च और होटलों को निशाना बनाया गया है.
आठवें धमाके में तीन पुलिस अधिकारी भी मारे गए हैं. ये धमाका उस समय हुआ जब पुलिस अधिकारी कोलंबो में एक घर की तलाशी ले रहे थे.
अभी ये पता नहीं चल पाया है कि क्या ये धमाका बम को निष्क्रिय करने की कोशिश के दौरान हुआ.
पुलिस के मुताबिक इस धमाके के सिलसिले में दो संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया.
कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की है. विदेश मंत्रालय ने मृतकों में 36 विदेशी नागरिकों के शामिल होने की आशंका ज़ाहिर की है.
धमाकों के कुछ घंटे बाद ही बीबीसी सिंहला सेवा के संवाददाता अज़्जाम अमीन ने कोलंबो जनरल अस्पताल के हवाले से बताया कि कोलंबो में लगभग 50 लोगों की मौत हुई है.
इसके अलावा बट्टिकोला में 25 लोगों की मौत हुई है और पुलिस के मुताबिक नेगोम्बो में मरने वालों की संख्या कम से कम 50 बताई.
तीन चर्चों और कोलंबो के तीन फ़ाइव स्टार होटलों में धमाके हुए हैं.
कोच्चादाई स्थित सेंट एंथोनी, बट्टिकोला और नेगोम्बो चर्चों, जबकि कोलंबो में शांगरी ला स्टार, किंग्सबरी और सिनेमन ग्रांड होटलों में धमाके हुए हैं.
इसके अलावा दोपहर 2 बजे भी कोलंबो में दो धमाके हुए. इनमें एक धमाका कोलंबो के डिमाटागोडा में तब हुआ जब सुरक्षाकर्मी एक घर की तलाशी ले रहे थे. इसमें तीन सुरक्षा अधिकारी मारे गए.
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा है कि धमाके की जांच सुरक्षा एजेंसियां कर रही हैं. उन्होंने लोगों से फ़ेक न्यूज़ पर विश्वास न करने की अपील की.
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि सुरक्षा के मसले पर एक आपात बैठक बुलाई गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बम धमाकों की निंदा करते हुए ट्वीट किया है, "श्रीलंका में भयानक धमाकों की कड़ी निंदा करता हूं. इस तरह की बर्बरता कोई जगह नहीं है. भारत श्रीलंका के लोगों के साथ है. मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं और घायलों के लिए प्रार्थना करता हूं."
27 विदेशी नागरिकों की मौत
धमाकों में कई विदेशी नागरिकों के मारे जाने और घायल होने की भी ख़बर है. कम से 27 विदेशी नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है.
ईस्टर संडे ईसाई कैलेडर में एक बड़ा पर्व होता है और इस मौके पर चर्चों में बड़े पैमाने पर प्रार्थनाएं आयोजित होती है.
सेंट एंथोनी और अन्य चर्चों में हज़ारों लोग ईस्टर की प्रार्थना के लिए एकत्रित हुए थे.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बीबीसी सिंहला को बताया कि धमाके के बाद उसने बहुत सारे शवों को एक के ऊपर एक बिखरे देखा.
श्रीलंका रेड क्रॉस ने ट्वीट कर कहा है कि सोशल मीडिया में रेड क्रॉस इमारत पर हमले की ख़बर प्रसारित की जा रही है, जो कि ग़लत सूचना है.
रेड क्रॉस ने लोगों से ग़लत सूचनाओं को प्रसारित करने से बचने की अपील की है.
घटना की निंदा
धमाके के बाद शहर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य जारी है. अब तक इस हमले की किसी ने ज़िम्मेदारी नहीं ली है.
श्रीलंका के वित्त मंत्री मंगला समरवीरा ने ट्वीट किया है, "चर्चों और होटलों में ईस्टर संडे बम धमाकों में निर्दोष लोग मारे गए हैं और ऐसा लगता है कि हत्या, अफरा तफरी और अराजकता फैलाने के लिए इसे बहुत व्यस्थित तरीके से अंजाम दिया गया है."
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति और विपक्षी नेता महिंदा राजपक्षे ने धमाकों की निंदा करते हुए इसे अमानवीय क़रार दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर हमले की निंदा की है.
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है, "मैं कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त से लगातार सम्पर्क में हूं. स्थितियों पर हम क़रीब से नज़र रखे हुए हैं."
चश्मदीद की आंखों देखी
घटना के एक चश्मदीद रौशन ने बीबीसी तमिल को बताया, "मैं अपने घर में था तभी मुझे टायर फटने जैसी आवाज़ आई, मैं घर से बाहर निकला तो मैंने धुएं का बड़ा गुबार देखा."
उन्होंने कहा, "हमने दो तीन ज़िंदा बचे लोगों को अस्पताल भेजा. मैं अंदर गया था, शायद वहां 100 लोगों की मौत हुई थी, वहां लोगों के अंगों के टुकड़ों पड़े हुए थे."
श्रीलंका में जबसे गृहयुद्ध समाप्त हुआ है, छिटपुट हिंसा की घटनाएं होती रही हैं.
बहुसंख्यक सिंहला बौद्ध मस्जिदों और मुसलमानों की सम्पत्ति को निशाना बनाते रहे हैं. इसकी वजह मार्च 2018 में इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी थी.
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