तेज बहादुर यादव: बीएसएफ़ के बर्ख़ास्त जवान से मोदी के ख़िलाफ़ उम्मीदवारी तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीते शुक्रवार को वाराणसी से अपना नामांकन दाखिल कर रहे थे तो उनके सामने एक ही कड़ी चुनौती, सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव थीं.
बीएसएफ़ से बर्ख़ास्त जवान तेज बहादुर यादव तबतक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मोदी को चुनौती देने मैदान में उतरे थे.
लेकिन सोमवार को समाजवादी पार्टी ने अचानक अपना उम्मीदवार बदल कर तेज बहादुर यादव को गठबंधन का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी.
सपा बसपा गठबंधन में ये सीट सपा के हिस्से आई थी, लेकिन सपा के इस निर्णय से अभी तक एकतरफ़ा समझे जा रहे चुनावी बिसात में अचानक लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है.
घोषणा के तुरंत बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सपा को इस फैसले के लिए बधाई दी. 2014 में वो खुद बनारस से मोदी को चुनौती देने उतरे थे, पर हार का सामना करना पड़ा था.
प्रधानमंत्री अपने भाषणों में राष्ट्रवाद, देशभक्ति और सेना का ज़िक्र करना नहीं भूलते. वो अक्सर कहते हैं कि उन्होंने सेना को मज़बूत किया, खुली छूट दी जिसकी बदौलत सेना सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक करने में कामयाब रही.
बनारस के इस चुनावी संघर्ष में मोदी के ख़िलाफ़ कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय और सपा उम्मीदवार बीएसएफ़ के पूर्व जवान तेज बहादुर हैं.
वायरल वीडियो और फ़ौज
तेज बहादुर यादव. शायद यह नाम आपको याद होगा. दो साल पहले बीएसएफ़ जवान तेज बहादुर यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
इस वीडियो में तेज बहादुर फ़ौजियों को मिलने वाले खाने की शिकायत कर रहे थे. वो बता रहे थे कि उन्हें कैसी गुणवत्ता का खाना दिया जाता है.
तेज बहादुर ने बताया था कि अफसरों से शिकायत करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं है यहां तक कि गृहमंत्रालय को भी चिट्ठी लिखी लेकिन कुछ नहीं हुआ.
तेज बहादुर के उस वीडियो के बाद बीएसएफ़ समेत राजनीतिक गलियारों में कुछ दिन तक हलचल मच गई थी. बीएसएफ़ ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे और बाद में तेज बहादुर को बीएसएफ़ से निकाल दिया गया था.
मोदी के ख़िलाफ़ क्यों?
हरियाणा के रहने वाले तेज बहादुर ने आख़िर बनारस को ही चुनावी मैदान के रूप में क्यों चुना.
इसके जवाब में वो कहते हैं कि वो फ़ौज पर राजनीति करने वालों को हराना चाहते हैं.
तेज बहादुर कहते हैं, ''हम काशी विश्वनाथ के आशीर्वाद से नकली चौकीदार को हराना चाहते हैं, जो लोग फ़ौज पर राजनीति करते हैं हम उन्हें मात देना चाहते हैं. उन्होंने हमारी फ़ौज का नाम बदनाम कर दिया. जिससे जवानों के हौसले कमज़ोर पड़ गए हैं.''
उरी हमले के बाद सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक और इस साल पुलवामा हमले के बाद वायुसेना की ओर से की गई एयर स्ट्राइक का श्रेय अक्सर भाजपा के नेता और कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी को देते हैं.
कई मौक़ों पर प्रधानमंत्री मोदी भी पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हैं कि वो देश की सेना को खुली छूट नहीं देते थे जिसकी वजह से देश में इतने हमले हुए.
इस पर तेज बहादुर यादव कहते हैं, ''ऐसा नहीं है कि देश की सेना ने पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की. इससे पहले भी सेना ऐसा करती थी. लेकिन उस पर राजनीति नहीं की जाती थी. मौजूदा सरकार फ़ौज के काम पर भी राजनीति कर रही है इसलिए इन्हें जवाब देने के लिए हम चुनाव लड़ रहे हैं.''
तेज बहादुर यादव कहते हैं, ''आज तक हमने सीमाओं की रक्षा की थी, लेकिन जब तक देश का जवान संसद में नहीं पहुंचेगा तब तक यह देश नहीं बच पाएगा.''
'पुलवामा हमल कैसे हुआ'
प्रधानमंत्री मोदी और दूसरे भाजपा नेता अपनी चुनावी रैलियों में दावा करते हैं कि मोदी के नेतृत्व में भारत बहुत मज़बूत बना है.
इस पर तेज बहादुर यादव सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अगर भारत इतना ही मजबूत हो गया तो फिर पुलवामा हमला कैसे हो गया.
तेज बहादुर यादव इसमें किसी साज़िश के होने का शक़ ज़ाहिर करते हैं और कहते हैं, ''अगर प्रधानमंत्री मोदी का इतना ही डर दूसरे देशों में है तो पुलवामा जैसा बड़ा हमला कैसे हो गया. आज तक इतना बड़ा हमला सेना पर नहीं हुआ था. कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन्होंने अपनी राजनीति के लिए खुद ही यह हमला करवा दिया हो.''
तेज बहादुर यादव पुलवामा हमले की जांच करने की मांग भी करते हैं और कहते हैं कि जब जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ही यह मान चुके हैं कि इस मामले में कोई चूक हुई है तो फिर इसकी जांच क्यों नहीं करवाई जाती.
कौन है असली चौकीदार?
तेज बहादुर यादव अपने चुनाव प्रचार के दौरान जो पोस्टर बांट रहे हैं उनमें लिखा है कि देश के असली चौकीदार वो हैं.
असली और नकली चौकीदार के मामले में तेज बहादुर कहते हैं, ''इतने सालों तक सीमाओं की चौकीदारी हमने की तो देश के असली चौकीदार हम ही हुए.''
तेज बहादुर यादव रफ़ाल मामले को भी उठाते हैं और कहते हैं, ''अगर मोदी जी खुद को चौकीदार बताते हैं तो रफ़ाल मामले की फ़ाइल कैसे चोरी हो गई. नीरव मोदी और तमाम लोग देश से भाग गए आखिर वो किस बात के चौकीदार हुए.''
चुनाव का रास्ता क्यों चुना?
तेज बहादुर यादव के समर्थन में उनके कुछ फ़ौजी साथी भी बनारस में आए हैं. आखिरकार उन्होंने अपने लिए इंसाफ़ पाने के लिए चुनाव का ही रास्ता क्यों चुना और वे अदालत क्यों नहीं गए.
इस पर तेज बहादुर यादव का कहना है, ''अदालत में हमें क्या न्याय मिलता जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ही खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यायालय की स्वायत्ता पर सवाल उठा रहे हैं.''
अपने चुनाव प्रचार और लोगों के समर्थन पर तेज बहादुर यादव कहते हैं कि सभी ग़रीब, किसान, मज़दूर आदि उनके साथ हैं. जब वे प्रचार में निकलते हैं तो इस वर्ग के लोग उनका साथ देने की बात करते हैं.
हालांकि साथ ही साथ तेज बहादुर यह भी कहते हैं कि बड़-बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले अमीर लोग उन्हें वोट नहीं करेंगे और उनके साथ खड़े नहीं होगे.
तेज बहादुर मंगल पांडे का नाम लेते हुए कहते हैं कि उनकी तरफ से शुरू हुई आज़ादी की चिंगारी ने देश को आज़ादी दिलाई.
वो कहते हैं, '' पिछले 70 साल में पहली बार एक सेना का जवान प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ चुनाव में खड़ा हुआ है, यह एक चिंगारी कैसे सैलाब बन जाएगी, आप देखते रह जाएंगे.''
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