मेरठ में हुई 'हिंदू-मुस्लिम मारपीट' का सच: फैक्ट चेक
एक छोटी दुकान के भीतर कुछ लोगों के बीच हो रही मारपीट की सीसीटीवी फ़ुटेज सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि उत्तर प्रदेश के मेरठ में कुछ दबंगों ने एक कपड़ा व्यापारी को जमकर पीटा.
सोशल मीडिया पर इस वायरल वीडियो को सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की जा रही है.
जिन लोगों ने यह वीडियो ट्विटर या फ़ेसबुक पर शेयर किया है, उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है कि "मेरठ में कुछ मुसलमानों ने हिन्दू व्यापारी को सरियों और डंडों से पीटा."
अपनी पड़ताल में फ़ैक्ट चेक टीम ने पाया कि सोशल मीडिया पर यह वीडियो इसी दावे के साथ तीन लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है.
क़रीब 50 सेकेंड की इस सीसीटीवी फ़ुटेज में दाहिनी ओर 22 मई 2019 की तारीख़ दिखाई देती है.
'Uttar Pradesh.org News' नाम के एक वेरिफ़ाइड ट्विटर हैंडल ने भी यह वीडियो शेयर किया है और लिखा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे (23 मई) आने से एक दिन पहले की इस घटना को मेरठ पुलिस ने दबाने की कोशिश की.
वहीं 'OpIndia' नाम के न्यूज़ पोर्टल ने इस वायरल वीडियो से संबंधित कहानी पब्लिश कर इसे 'दो समुदायों के बीच तनाव' की घटना बताया है.
लेकिन इस घटना की पड़ताल करते हुए हमने पाया कि वीडियो के साथ जो दावा किया जा रहा है, वो भ्रामक है.
वीडियो की सच्चाई
बीबीसी की फ़ैक्ट चेक टीम ने इस घटना के बारे में मेरठ के एसपी नितिन तिवारी से बात की.
नितिन ने बताया, "ये दो व्यापारियों के बीच हुए झगड़े का मामला है. हमने जाँच के बाद पाया है कि इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है."
इस मामले की अधिक जानकारी लेने के लिए हमने मेरठ कोतवाली के सीओ दिनेश कुमार शुक्ला से भी बात की.
शुक्ला ने बताया, "ये विवाद हिन्दू-मुस्लिम का विवाद नहीं है. जो लोग वायरल वीडियो में दूसरे पक्ष के लोगों को पीटते हुए दिखाई देते हैं, उनके आपस में पुराने व्यापारिक संबंध रहे हैं. ये झगड़ा पैसे के लेन-देन को लेकर हुआ था. जिन्होंने हमला किया, उनका दावा है कि कपड़ा व्यापारी ने उनसे पैसे ले रखे हैं."
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस वीडियो के साथ ये भी दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने इस मामले को दबाया और कोई कार्रवाई नहीं की.
इसके जवाब में शुक्ला ने कहा, "वीडियो को आधार मानकर हमने दोनों अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है. एक का नाम है समर और दूसरे का नाम शाक़िब है. दोनों पुलिस की हिरासत में हैं और मामले की जाँच की जा रही है. चार अन्य लोगों का नाम भी इस मामले में शामिल है."
शुक्ला ने ये भी बताया कि ये सीसीटीवी फ़ुटेज सामने आने से कुछ दिन पहले ही कपड़ा व्यापारी ने मुस्लिम परिवार के एक सदस्य को पीटा था.
जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में लिखा गया है कि इस घटना के बाद इलाक़े में तनाव पैदा हुआ, तो इसमें कितनी सच्चाई है?
इसके जवाब में सीओ दिनेश कुमार शुक्ला ने कहा कि इस घटना से किसी समुदाय की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि ये दो पार्टियों का आपसी मामला था.
एक और फ़र्ज़ी दावा
वॉट्सऐप के ज़रिए बीबीसी के कई पाठकों ने भी यही वीडियो हमें भेजा था और इसकी सच्चाई जाननी चाही थी.
लेकिन जो संदेश उनकी तरफ से हमें प्राप्त हुए, उनके अनुसार 'हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच मारपीट की यह घटना मध्य प्रदेश के देवास में हुई' थी.
वायरल वीडियो के साथ उनके द्वारा भेजे गये संदेशों में लिखा था, "रमज़ान में हिन्दू दुकानदारों से दुकानें बंद रखने का फ़तवा जारी किया गया है और जिसकी भी दुकान खुली मिली नमाज़ के बाद हमला किया जा रहा है."
लेकिन ये बिल्कुल झूठ है. इस वीडियो का देवास से कोई संबंध नहीं है.
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