वर्ल्ड कप 2019: टीम इंडिया वनडे में पाकिस्तान पर कैसे हावी हुई
तारीख़ 18 अप्रैल 1986, स्थान- शारजाह
मुक़ाबला- भारत बनाम पाकिस्तान
भारत और उसके परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुक़ाबले की बात हो और इस मैच का जिक्र ना आए, ऐसा शायद ही हो.
ऑस्ट्रल-एशिया कप के इस फ़ाइनल मुक़ाबले में आख़िरी गेंद पर पाकिस्तान को जीत के लिए चार रन चाहिए थे और उसके नौ विकेट पैवेलियन लौट चुके थे. गेंद भारत के मध्यम तेज़ गेंदबाज़ चेतन शर्मा के हाथों में थी और उनके सामने थे 110 रनों पर धुआँधार पारी खेल रहे धाकड़ जावेद मियांदाद. चेतन शर्मा के हाथों से छूटी गेंद पर मियांदाद ऐसे टूटे जैसे शेर अपने शिकार पर टूटता है और इस फुल टॉस गेंद पर उन्होंने जो करारा शॉट मारा वो इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है.
मियांदाद ने अपनी जीवनी 'कटिंग एज: माई ऑटोबायोग्राफ़ी' में भी इस छक्के का जिक्र किया है. मियांदाद ने लिखा, "मैं जानता था कि वह (चेतन शर्मा) यॉर्कर डालने की कोशिश करेंगे, इसलिए मैंने क्रीज़ के कुछ आगे खड़े होने का फ़ैसला किया.....बेचारे चेतन शर्मा."
ये हार लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट पर मानसिक तौर पर इस कदर हावी रही कि जब भी भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होते मुक़ाबला शुरू होने से पहले ही क्या एक्सपर्ट और क्या प्रशंसक, सभी पाकिस्तान पर अपना दांव लगाने में जरा भी नहीं हिचकिचाते थे.
पुराना दौर
ये वो दौर था जब पाकिस्तान के पास इमरान ख़ान, मियांदाद, वसीम अकरम, अब्दुल क़ादिर, रमीज़ राजा और सलीम मलिक जैसे धुरंधर थे जिनका खेल ख़ासतौर पर भारत के ख़िलाफ़ कुछ अलग ही स्तर पर होता था.
भारत पर तारी पाकिस्तान के इस ख़ौफ़ की गवाही आंकड़े भी देते हैं. इस मुक़ाबले के बाद अगले एक दशक तक भारत 35 बार पाकिस्तान से भिड़ा और सिर्फ़ आठ बार ही जीत हासिल कर सका. 26 मुक़ाबलों में बाज़ी पाकिस्तान ने जीती.
लेकिन फिर कनाडा के टोरंटो में हुए सहारा कप में भारत ने पाकिस्तान पर 4-1 से जीत हासिल कर पासा पलटा और वनडे में टीम इंडिया के लिए पाकिस्तान और भारत का जीत-हार के अंतर का आंकड़ा भी गिरता चला गया.
ये भारतीय टीम का बदला हुआ चेहरा था, जो अपने अतीत को भुलाते हुए मैदान में हर रन के लिए भिड़ना चाहती थी.
सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़ की भरोसेमंद बल्लेबाज़ी के बाद आक्रामक युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी के फिनिशर के रूप में सामने आने से भारत के नजदीकी मुक़ाबलों को आसानी से गंवा देने की कमज़ोरी भी जाती रही.
यही वजह रही कि चाहे वो विश्व कप के मुक़ाबले रहे हों या फिर 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप का सुपर ओवर और फिर फ़ाइनल मुक़ाबला. टीम इंडिया के युवाओं ने साबित किया कि वे कोई आम लड़के नहीं बल्कि लड़ाके हैं और लड़कर जीतने का हुनर उन्हें खूब आता है.
साल 2006 के बाद से अब तक दोनों टीमों के 30 वनडे मुक़ाबले खेले गए हैं जिनमें भारत ने 19 में जीत हासिल की है यानी उसकी जीत का प्रतिशत 63 से अधिक रहा है.
विराट की आक्रामकता
विराट कोहली आक्रामकता की इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और मैनचेस्टर में एक बार फिर रविवार को जब उनका सामना प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से होगा तो निश्चित तौर पर एडवांटेज तो टीम इंडिया को ही होगा.
ये सही है कि जब भारत और पाकिस्तान पिछली बार 2017 में चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में आमने-सामने थे तो वो जगह भी इंग्लैंड ही थी और तब टीम इंडिया के हिस्से हार आई थी. लेकिन उसके बाद कोहली एंड कंपनी ने 10 द्विपक्षीय वनडे सिरीज़ जीती हैं और सिर्फ़ एक में उसे इंग्लैंड के ख़िलाफ़ हार मिली.
बतौर कप्तान कोहली का रिकॉर्ड शानदार है. उन्होंने 63 वनडे मैचों में भारत का नेतृत्व किया है और 47 में जीत हासिल की है यानी उनका जीत का प्रतिशत करीब 75 का रहा है. इस कामयाबी के मामले में वे वेस्ट इंडीज़ के महान क्लाइव लॉयड से ही पीछे हैं. लॉयड ने 84 वनडे मैचों में कप्तानी करते हुए अपनी टीम को 64 में जीत दिलाई थी और उनका जीत प्रतिशत 76 से कुछ अधिक रहा था.
विश्व कप मुक़ाबलों का इतिहास ही इसकी वजह नहीं है बल्कि इंग्लैंड में खेले जा रहे क्रिकेट महाकुंभ के 12वें संस्करण में भी पाकिस्तान का प्रदर्शन बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ पहले मुक़ाबले में पूरी पाकिस्तानी टीम 105 रनों पर सिमट गई तो अगले ही मैच में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ पाकिस्तान ने ज़ोरदार वापसी की और मेजबान टीम को परास्त कर दिया.
पाकिस्तान का श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीसरा मुक़ाबला बारिश में धुल गया था, लेकिन चौथे मैच में पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया को कड़ी टक्कर दी, हालाँकि रोमांचक मुक़ाबले में उसे शिकस्त झेलनी पड़ी.
हालांकि विश्व कप में पाकिस्तानी टीम भारत को कभी भी हरा नहीं सकी है, लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इस 'मनहूसियत' को तोड़ने और टूर्नामेंट में बने रहने के लिए सरफ़राज़ एंड कंपनी एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देगी.
बारिश से किसे नुक़सान
हालाँकि इस मैच पर भी बारिश का ख़तरा मंडरा रहा है, लेकिन इससे भारत के मुकाबले पाकिस्तान ज़्यादा घबरा रहा होगा. दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों को हराने और बारिश से बाधित मैच में न्यूज़ीलैंड के साथ अंक बांटने के बाद भारत पाँच अंकों के साथ अंक तालिका में तीसरे स्थान पर है.
न्यूज़ीलैंड चार मैचों में सात अंकों के साथ पहले और ऑस्ट्रेलिया इतने ही मैचों में छह अंक लेकर दूसरे स्थान पर है.
टूर्नामेंट में दस टीमें शिरकत कर रही हैं और ग्रुप लीग मुक़ाबलों में हर टीम को नौ मैच खेलने हैं. यानी सेमीफ़ाइनल तक पहुँचने के लिए छह पक्की जीत ज़रूरी हैं.
बारिश अगर रविवार को फिर विलेन बनती है तो भारत के लिए अंतिम चार में पहुँचने के हालात फिर भी शायद उतने मुश्किल न हों, क्योंकि उसे अभी कमोबेश कमतर आंकी जा रही श्रीलंका, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भिड़ना है, लेकिन पाकिस्तान के लिए इस मैच में सिर्फ़ एक मिलना उसकी विश्व कप में आगे बढ़ने की संभावना पर करारा प्रहार कर सकता है.
रही बात मैनचेस्टर की, तो दोनों टीमें यहां 1999 के वर्ल्ड कप में भिड़ी थी, जब भारत ने पाकिस्तान को 47 रनों से हराया था.
इसके बाद भारतीय टीम वनडे खेलने के लिए मैनचेस्टर में एक बार फिर उतरी और उसे बीते भी तकरीबन 12 साल हो गए हैं. साल 2007 में मेज़बान इंग्लैंड ने भारत को तीन विकेट से हरा दिया था.
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