मोदी सरकार में फ्री में कुछ नहीं मिलने वाला , अगर पड़ते हैं चक्कर में तो जानें क्या नुकसान होने वाला ?

पीएम मोदी की 'फ़्री लैपटॉप योजना' का सच: फ़ैक्ट चेक


pmindia.gov.inइमेज कॉपीरइटPMINDIA.GOV.IN
सोशल मीडिया पर यह मैसेज फैलाया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी ने दोबारा देश का प्रधानमंत्री बनने की ख़ुशी में 'मेक इन इंडिया' के तहत दो करोड़ युवाओं को मुफ़्त लैपटॉप देने का ऐलान किया है.
इस भ्रामक मैसेज में ये दावा किया गया है कि देश के लाखों युवा सफलतापूर्वक फ़्री लैपटॉप के लिए आवेदन कर चुके हैं.
ट्विटर और फ़ेसबुक पर सैकड़ों दफ़ा यह मैसेज शेयर किया गया है जिसके साथ अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग वेबसाइट्स के लिंक दिए गए हैं.
वॉट्सऐप के ज़रिए बीबीसी के सौ से ज़्यादा पाठकों ने यही संदेश हमें भेजा है. इनमें से अधिकतर संदेशों में modi-laptop.saarkari-yojna.in वेबसाइट का लिंक दिया गया है.

SM Viral Postइमेज कॉपीरइटSM VIRAL POST
इस वेबसाइट पर जाने पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखाई देती है जिसके साथ लिखा है 'प्रधानमंत्री मुफ़्त लैपटॉप वितरण योजना-2019'.
ठीक उसके नीचे एक 'टाइम काउंटर' दिया गया है जो दिखा रहा है कि इस कथित योजना के लिए आवेदन करने का कितना समय बचा है.
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने पाया है कि इस योजना का दावा फ़र्ज़ी है और वायरल मैसेज में 'लैपटॉप वितरण' का जो दावा किया गया है, ऐसा कोई आधिकारिक ऐलान नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार द्वारा अब तक नहीं किया गया है.

फ़र्जी वेबसाइटइमेज कॉपीरइटWEBSITE GRAB

कुछ नहीं मिलने वाला?

इंटरनेट सर्च के ज़रिये हमने पाया कि 23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ऐसी कई वेबसाइट्स के लिंक सोशल मीडिया पर सर्कुलेट होने शुरु हुए जिनमें 'मेक इन इंडिया' योजना के तहत 2 करोड़ युवाओं को मुफ़्त लैपटॉप देने की बात कही गई है.
हमने पाया कि modi-laptop.saarkari-yojna.in वेबसाइट की तरह modi-laptop.wish-karo-yar.tk, modi-laptop.wishguruji.com और free-modi-laptop.lucky.al वेबसाइट्स पर भी इस फ़र्ज़ी योजना का ज़िक्र किया गया है. साथ ही इन वेबसाइट लिंक्स को सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
अपने सैंपल के तौर पर हमने modi-laptop.saarkari-yojna.in वेबसाइट को रखा जिस पर केंद्र सरकार की 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' यानी 'आयुष्मान भारत योजना' का चिह्न लगा हुआ है.

सोशल मीडियाइमेज कॉपीरइटWEBSITE GRAB
वेबसाइट पर इस कथित योजना के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदक का नाम, मोबाइल नंबर, उम्र और राज्य (स्थान) लिखने की जगह दी गई है.
इस जानकारी के बाद आवेदक से दो सवाल पूछे जाते हैं कि क्या वो ऐसी योजना का लाभ उठा चुके हैं या नहीं? और क्या वो अपने दोस्तों को इस योजना के बारे में बताएंगे?
इन सवालों के बाद ये फ़ेक वेबसाइट एक रजिस्ट्रेशन नंबर देती है जिससे आवेदक को कभी कुछ नहीं मिलने वाला.

फ़ेक वेबसाइटइमेज कॉपीरइटSM VIRAL POST

फिर फ़ायदा किसे है?

ऐसे में अगर आवेदक को लैपटॉप नहीं मिलने वाला है तो फिर ये वेबसाइट्स बनाकर इन्हें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट कर किसे फ़ायदा हो सकता है?
इस बात को समझने के लिए हमने दिल्ली बेस्ड सायबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट राहुल त्यागी से बात की.
राहुल त्यागी ने अपने स्तर पर पड़ताल करने के बाद बताया कि 'modi-laptop.saarkari-yojna.in' नामक डोमेन को हरियाणा से 21 जुलाई 2018 को क़रीब शाम 7 बजे ख़रीदा गया था और 27 मार्च 2019 को इसे अपडेट किया गया.
उन्होंने बताया कि जो भी वेबसाइट्स फ़्री लैपटॉप वितरण का दावा कर रही हैं, उनमें से कोई भी सरकारी वेबसाइट नहीं है.

मोदीइमेज कॉपीरइटPMINDIA.GOV.IN
उन्होंने बताया, "ऐसी वेबसाइट्स को बनाने वालों का पहला मक़सद बड़े स्तर पर लोगों का डेटा इकट्ठा करना और उससे पैसे बनाना होता है. ये लोग नाम, उम्र, लोकेशन और मोबाइल नंबर जैसी बेसिक जानकारियाँ लेते हैं और फिर उन्हें एकत्र करके किसी मार्केटिंग एजेंसी को बेचते हैं."
"ये मार्केटिंग एजेंसियाँ बैकों, इंश्योरेंस कंपनियों समेत अन्य सेवाएं देने वालों को ये डेटा देती हैं. इसके बाद सर्विस प्रोवाइडर अपने टारगेट के हिसाब से अपने ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं."
राहुल कहते हैं कि "बहुत सारे लोग अपना नाम और फ़ोन नंबर शेयर करना कोई गंभीर बात नहीं मानते. लेकिन इसके भी कई ख़तरे हैं. लोगों का डेटा इकट्ठा करना किसी बड़े जाल में फंसाए जाने का पहला क़दम हो सकता है."
"देखा गया है कि फ़र्ज़ी वेबसाइट्स बनाने वाले यूज़र का नंबर मिलने के बाद उन्हें मैसेज के ज़रिये कुछ लिंक भेजते हैं, उन्हें लुभाने वाली स्कीमें बताते हैं. लेकिन इनका नतीजा ये होता है कि उन लिंक पर क्लिक करते ही फ़ोन हैक होने लगता है, कुछ ऐप मोबाइल में डाउनलोड करने को कहा जाता है जो आपके पर्सनल डेटा को मोबाइल से बिना बताये चुरा सकते हैं."
राहुल के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया को 'एक संगठित क्राइम' कहा जा सकता है.

फ़ैक्ट चेक टीम
(इस लिंक पर क्लिक करके भी आप हमसे जुड़ सकते हैं)

Comments

Popular posts from this blog

#Modi G ! कब खुलेंगी आपकी आंखें ? CAA: एक हज़ार लोगों की थी अनुमति, आए एक लाख-अंतरराष्ट्रीय मीडिया

"बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!"