कश्मीर पर पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार, लेकिन शर्त के साथ
रियाज़ सोहैल
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत के साथ सशर्त संवाद की पेशकश की है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को दो-तरफा संवाद से कोई दिक्क़त नहीं है और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का भी स्वागत किया जाएगा.
बीबीसी उर्दू को दिए साक्षात्कार में विदेशमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी संवाद से मुंह नहीं मोड़ा, लेकिन भारत का मौजूदा माहौल इसके लिए अनुकूल नहीं लगता.
उन्होंने कहा कि भारत प्रशासित कश्मीर में कर्फ्यू ख़त्म कर दिया जाए, बुनियादी अधिकार बहाल कर दिए जाएं, हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं को छोड़ दिया जाए और उन्हें (शाह महमूद क़ुरैशी को) इन नेताओं से मिलने की इजाज़त दी जाए, तो संवाद निश्चित तौर पर शुरू हो सकता है.
पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा, ''इस संघर्ष में तीन पक्ष हैं. मुझे लगता है कि भारत यदि गंभीर है तो उसे सबसे पहले कश्मीरी नेतृत्व को रिहा कर देना चाहिए. मुझे उनसे मिलने और परामर्श करने दीजिए. मुझे उनकी भावनाएं समझनी होंगी क्योंकि हम कश्मीरियों की भावनाओं की अनदेखी करके बातचीत के टेबल पर नहीं बैठ सकते.''
इस मामले में भारत अतीत में ये कहता रहा है कि पाकिस्तान को अपनी ज़मीन से होने वाले चरमपंथी हमले रोकने होंगे, तभी उससे बात हो सकती है. पाकिस्तान इससे इंकार करता है कि उसकी ज़मीन से चरमपंथी हमले होते हैं और दावा करता है कि वो ख़ुद चरमपंथ का शिकार रहा है.
'जंग कोई विकल्प नहीं'
पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद क़ुरैशी का कहना है कि पाकिस्तान किसी विकल्प के तौर पर जंग के बारे में नहीं सोच रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आक्रामक विदेशनीति कभी नहीं अपनाई और शांति हमेशा से उसकी प्राथमिकता रही है.
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार पिछले एक साल से सत्ता में है और इस दौरान भारत से संवाद के लिए बार-बार कहती रही है, ताकि दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके, ख़ासतौर पर कश्मीर का मामला, ये जानते हुए कि परमाणु हथियार सम्पन्न दोनों ही देश जंग का जोख़िम नहीं ले सकते.
उन्होंने कहा, '' जंग लोगों के लिए विनाशकारी होगी. इससे सारी दुनिया प्रभावित होगी, इसलिए निश्चित तौर पर ये कोई विकल्प नहीं है.''
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान पर यदि युद्ध थोपा गया, तो पाकिस्तान की सशस्त्र फ़ौज इसके लिए तैयार है.
उन्होंने कहा, 26 फरवरी को भारत ने आक्रामकता दिखाई थी, तब भारत को उसी तरह जवाब दिया गया था. हमने भारत के दो जेट मार गिराए थे और उसके एक पायलट को पकड़ लिया था. आपने देखा हमने गज़नवी मिसाइल का परीक्षण किया जो हमारी तैयारी को दर्शाती है."
पाकिस्तान की प्रभावी कूटनीति
पाकिस्तान की कूटनीति की सफलता का ज़िक्र करते हुए पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा कि जिस मुद्दे को वर्षों तक नज़रअंदाज़ किया गया, वो अब एक बार फिर दुनियाभर में चर्चा में आ गया है.
उन्होंने कहा कि 54 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ जब कश्मीर के मुद्दे पर पश्चिमी दुनिया में भी विरोध-प्रदर्शन हुए, सुरक्षा परिषद में इस पर बहस हो रही है.
जब शाह महमूद क़ुरैशी से कश्मीर मुद्दे पर खाड़ी देशों की चुप्पी और प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन की ओर से सम्मानित किए जाने के संबंध में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों के भारत के साथ क़ारोबारी और द्विपक्षीय संबंध हैं, लेकिन कश्मीर पर उनकी राय एकदम स्पष्ट है.
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा, वे (खाड़ी के देश) हमारे दोस्त हैं जिन्होंने मुश्किल वक्त में, ख़ासतौर पर जब हमारी अर्थव्यवस्था पर संकट था, हमेशा हमारी मदद की. पाकिस्तान जब डिफॉल्टर होने की कगार पर था, संयुक्त अरब अमीरात ही था जो हमारी मदद के लिए आया. क्या सऊदी अरब ने हमारी मदद नहीं की. आज लाखों पाकिस्तानी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में काम कर रहे हैं. क्या हमें उनसे मदद नहीं मिल रही, जब आप कोई धारणा बनाएं तो पूरी तस्वीर अपने सामने रखें.''
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान के लोगों को निराश होने की ज़रूरत नहीं है, तथ्य जब सामने आएंगे, खाड़ी के देश पाकिस्तान के साथ होंगे. उन्होंने कहा कि वे निकट भविष्य में संयुक्त अरब अमीरात के विदेशमंत्री से बात करेंगे और पाकिस्तान के लोगों की भावनाओं से उन्हें अवगत कराएंगे.
सऊदी अरब की भूमिका के बारे में पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि न्यूयॉर्क में 'कश्मीर ग्रुप' की बैठक में सऊदी अरब भी सक्रिय भागीदारी करेगा.
शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस विचार को खारिज कर दिया कि कश्मीर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है. उन्होंने कहा कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है और सुरक्षा परिषद ने 11 प्रस्ताव मंज़ूर किए थे जो भारत के लिए बाध्यकारी हैं.
अमरीका से उम्मीद
पाकिस्तान को अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप से उम्मीद हैं. पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने इस बारे में बताया कि अमरीका से पाकिस्तान के करीबी संबंध हैं जो उसे अपना सामरिक साझेदार मानता है, इसलिए सिर्फ अमरीका ही है जो भारत को राज़ी कर सकता है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके हैं कि वो मध्यस्थता के लिए तैयार हैं और पाकिस्तान ने उनकी इस पेशकश को मंज़ूर किया है. भारत ने इसे ठुकरा दिया है.
शाह महमूद क़ुरैशी का ये भी कहना है कि भारत सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों से भागता रहा है.
पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक और राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के ज़माने में कश्मीर पर भारत के साथ संवाद हुआ था और कहा गया था कि मुद्दा समाधान के करीब पहुंच गया था. लेकन शाह महमूद क़ुरैशी का कहना है कि हालांकि बैक-चैनल कुछ प्रगति हुई थी, लेकिन इसमें ग़लती ये हुई थी इसमें कश्मीरी आवाज़ को शामिल नहीं किया गया था.
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