कश्मीर का विशेषाधिकार समाप्त करना ग़ैर क़ानूनी और असंवैधानिक है: एजी नूरानी
भारत सरकार ने संविधान से अनुच्छेद 370 हटाकर भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर का विशेषाधिकार ख़त्म कर दिया है. सरकार का ये फ़ैसला पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी और असंवैधानिक है. ये कहना है संविधान विशेषज्ञ एजी नूरानी का.
पढ़िए संविधान विशेषज्ञएजी नूरानीसे बीबीसी संवाददाता इक़बाल अहमद की बातचीत:
मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का फ़ैसला किया है, इसपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
ये एक ग़ैर-क़ानूनी फ़ैसला है. ये एक तरह से धोखेबाज़ी है. दो हफ़्ते से आप सुन रहे थे कि पाकिस्तान से कश्मीर में हमले की योजना बनाई जा रही है और इसीलिए सुरक्षा के इंतज़ाम किए जा रहे हैं. लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा था कि अगर पाकिस्तान की तरफ़ से हमला होने की आशंका थी तो इससे अमरनाथ यात्रियों को क्यों हटाया जा रहा था. और क्या आप इतने नाक़ाबिल हैं कि पाकिस्तान की तरफ़ से आने वाले हमले को रोक नहीं सकते हैं.
ये वही हुआ है जो कि शेख़ अब्दुल्लाह ( जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री, उस समय उन्हें प्रधानमंत्री कहा जाता था) के साथ हुआ था. उन्हें आठ अगस्त 1953 को गिरफ़्तार कर लिया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने एक आर्मी ऑपरेशन के तहत उन्हें हटाकर गिरफ़्तार कर लिया था और उनकी जगह बख़्शी ग़ुलाम मोहम्मद को राज्य का नया प्रधानमंत्री बनाया गया था.
इस बार भी यही हुआ इसीलिए कश्मीर के सारे नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया था. वो भी भारत के समर्थक नेताओं को जिन्होंने अलगाववादी नेताओं के ठीक उलट हमेशा भारत का साथ दिया है.
मोदी सरकार के इस फ़ैसले के बाद कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 370 ख़त्म हो गया है?
ये एक ग़ैर-क़ानूनी और असंवैधानिक फ़ैसला है. अनुच्छेद 370 का मामला बिल्कुल साफ़ है. उसे कोई ख़त्म कर ही नहीं सकता है. वो केवल संविधान सभा के ज़रिए ख़त्म की जा सकती है लेकिन संविधान सभा तो 1956 में ही भंग कर दी गई थी. अब मोदी सरकार उसे तोड़-मरोड़ कर ख़त्म करने की कोशिश कर रही है. इसका एक और पहलू है. दो पूर्व मंत्रियों ने साफ़ कहा था कि अगर आप अनुच्छेद 370 को ख़त्म करेंगे तो आप भारत और कश्मीर के बीच लिंक को ही ख़त्म कर देंगे. उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इसे ग़ैर-क़ानूनी नहीं कहेगी. सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला करेगी ये तो पता नहीं. इन्होंने कश्मीर को तोड़ा है जो कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी (जनसंघ के संस्थापक) का हमेशा से एजेंडा था.
जम्मू-कश्मीर राज्य में आरक्षण को लेकर जो फ़ैसला किया है वो क्या है?
कुछ लोगों की हमदर्दी हासिल करने के लिए ये किया गया है. असल में इनकी नीयत और ही है. जब से जनसंघ बनी है तब से ये अनुच्छेद 370 को ख़त्म करना चाहते थे.
अनुच्छेद 35A को ख़त्म करने के क्या मायने हैं?
इसका मतलब साफ़ है कि कश्मीर की अपनी ख़ास पहचान पूरी तरह ख़त्म हो जाएगी.
सरकार का ये कहना कि अनुच्छेद 370 का खंड एक बाक़ी रहेगा, और दूसरे खंड समाप्त हो जाएंगे, इसका क्या अर्थ है?
इसका मतलब ये है कि कश्मीर भारतीय संघ का हिस्सा बना रहेगा. लेकिन आप किसी अनुच्छेद का एक पार्ट हटा देंगे और दूसरे को ख़त्म कर देंगे, ये कैसे संभव है.
कश्मीर के बारे में जो यूएन प्रस्ताव है क्या भारत सरकार के इस फ़ैसले का उस पर कोई असर पड़ेगा?
इसका उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यूएन प्रस्ताव जस का तस बना रहेगा.
जम्मू-कश्मीर विधान सभा का सर्वसम्मित से पास फ़ैसला है जिसके तहत पाक प्रशासित कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना जाता है, क्या मोदी सरकार के इस फ़ैसले के बाद उस पर कोई असर पड़ेगा?
ये प्रावधान क़ानूनी ज़रूर है लेकिन इसका ज़मीनी कोई आधार नहीं है. जवाहरलाल नेहरू ने ही कह दिया था कि जो आपके पास है आप रखिए जो हमारे पास है वो हम रखेंगे.
मोदी सरकार के इस फ़ैसले के राजनीतिक मायने क्या हैं?
इसका मतलब साफ़ है कि बीजेपी भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है.
क्या सरकार के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी?
चुनौती ज़रूर दी जाएगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट क्या फ़ैसला करेगी ये तो वही जानती है. लेकिन अब अगला हमला होगा अयोध्या पर.
इस पूरे मामले पर आपका अपना नज़रिया?
ये एक ग़ैर-क़ानूनी हरकत है. एक तरह से धोखेबाज़ी है. ये सिर्फ़ कश्मीरी जनता के साथ ही नहीं, बल्कि भारत की जनता के साथ भी धोखेबाज़ी है. पिछले दो हफ़्ते से लगातार झूठ बोल रहे हैं. इसका असर ये होगा कि इस सरकार की पूरी विश्वसनीयता ख़त्म हो गई है. अब कोई इनकी बातों को नहीं मानेगा.
बीबीसी हिंदी से साभार
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