चिदंबरम जेल से बाहर आए, कहा- आज़ादी की हवा में सांस लेकर ख़ुश हूँ
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया घोटाले मामले में राहत देते हुए ज़मानत दे दी है.
ज़मानत के बाद पी चिदंबरम तिहाड़ जेल से बाहर आए. जेल से बाहर आकर पत्रकारों से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, "106 दिनों के बाद जेल से बाहर आकर और आज़ादी की हवा में साँस लेकर मैं ख़ुश हूँ."
चिदंबरम के साथ उनके बेटे कार्ती चिदंबरम भी मौजूद थे. 74 वर्षीय चिदंबरम ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ एक भी आरोप तय नहीं हो पाए हैं.
प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 5 सितंबर को हिरासत में लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उसने चिदंबरम की ज़मानत की अर्ज़ी को नामंज़ूर कर दिया था. चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेष रॉय की पीठ ने ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर करते हुए कहा कि चिदंबरम ना तो प्रेस से बात कर सकेंगे ना ही इस मामले में कोई बयान दे सकेंगे.
अदालत ने कहा कि चिदंबरम को ईडी के बुलाने पर जाँच के लिए आना पड़़ेगा और वो बिना अदालत की अनुमति के देश से बाहर नहीं जा सकेंगे. साथ ही वो ना तो गवाहों को प्रभावित कर सकेंगे ना ही सुबूतों के साथ छेड़खानी कर सकेंगे.
आईएनएक्स मीडिया मामला
305 करोड़ रुपये के विदेशी फ़ंड लेने के लिए फ़ॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफ़आईपीबी) की मंज़ूरी में कई तरह की अनियमितताएं बरतने को लेकर मीडिया कंपनी आईएनएक्स मीडिया के ख़िलाफ़ 15 मई, 2017 को सीबीआई ने एक एफ़आईआर दर्ज की थी.
जब साल 2007 के दौरान कंपनी को निवेश की स्वीकृति दी गई थी उस समय पी चिदंबरम वित्त मंत्री हुआ करते थे.
चिदंबरम तब जांच एजेंसियों के रडार पर आए जब आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी से ईडी ने पूछताछ की.
ईडी ने इस संबंध में 2018 में मनी लांड्रिंग का एक मामला भी दर्ज किया था.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने अपने आरोप पत्र में लिखा है, "इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि चिदंबरम ने एफ़आईपीबी मंज़ूरी के बदले अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेशी धन के मामले में मदद करने की बात कही थी."
एयरसेल-मैक्सिस सौदे में भी है नाम
केंद्रीय जांच एजेंसी 3500 करोड़ रुपये के एयरसेल मैक्सिस सौदे में भी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है.
साल 2006 में मलेशियाई कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली थी. इस मामले में रज़ामंदी देने को लेकर चिदंबरम पर अनियमितताएं बरतने का आरोप है.
वो 2006 में हुए इस सौदे के वक़्त पहली यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे. 2जी से जुड़े इस केस में चिदंबरम और उनके परिवार पर हवाला मामले में केस दर्ज है.
आरोप है कि विदेशी निवेश को स्वीकृति देने की वित्त मंत्री की सीमा महज़ 600 करोड़ है फिर भी 3500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस डील को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की इजाज़त के बिना पास कर दिया गया.
लेकिन पी चिदंबरम ने हमेशा अपने और अपने बेटे के ख़िलाफ़ सभी इल्ज़ामों को ख़ारिज किया है. उनके अनुसार उनके ख़िलाफ़ इल्ज़ाम राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित हैं.
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