बक्सर हत्याकांडः पराली जलाने की आड़ में लड़की को जला दिया?- ग्राउंड रिपोर्ट
हैदराबाद में एक लड़की के साथ रेप और फिर जला कर मार देने की घटना को अभी हफ़्ते भर भी नहीं बीते थे कि बिहार से एक महिला को जलाने की ख़बर आई.
बक्सर पुलिस के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार 2 दिसंबर की रात 19-23 साल की एक महिला का अधजला शव इटाढ़ी थाना के अंदर कुकुढ़ा गांव से मिला.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़ पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप का ज़िक्र नहीं है.
इस महिला का शरीर काफ़ी जल चुका था. दोनों पैरों में केवल मोजे के साथ सैंडिल बचे रह गए थे. शव की शिनाख्त नहीं हो पाई थी.
घटनास्थल का आंखों देखा हाल
बुधवार की सुबह जब हम बक्सर के कुकुढ़ा गांव में घटनास्थल के पास पहुंचे तब वहां शाहाबाद रेंज के डीआईजी और बक्सर के एसपी फॉरेंसिक टीम को लेकर दलबल के साथ पहुंचे थे.
जिस जगह महिला की हत्या की गई वह सुनसान खेतों के बीच का इलाक़ा था. सबसे नज़दीक का गांव कुकुढ़ा और सवनापुर था. दोनों की दूरी कम से कम डेढ़ किलोमीटर थी.
सबसे पहली हैरानी इस बात पर हुई कि खेतों में दिनदहाड़े पराली जलाई जा रही थी. पूरा बक्सर प्रशासन वहां मौजूद था.
बीते दिनों में बिहार में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बिहार सरकार की ओर से पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है तथा इसके लिए क़ानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है.,
पुलिस के अफसर मौजूद लोगों से पूछताछ कर रहे थे. मेटल डिटेक्टर से अगल-बगल के खेतों की जांच चल रही थी.
फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के लोग महिला के जले हुए अवशेषों से सैंपल इकट्टा कर रहे थे.
थोड़ी देर में पुलिस के अधिकारी और फॉरेंसिक विभाग की टीम घटनास्थल से सैम्पल्स लेकर लौट गई. गांव के पांच-छह लोगों को भी अपने साथ पूछताछ के लिए लेकर गई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप का ज़िक्र नहीं
शाहाबाद रेंज के डीआईजी राकेश राठी ने बृहस्पतिवार को बीबीसी को बताया, "कल देर रात महिला के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आयी है. रिपोर्ट में रेप का जिक्र नहीं है. रेप को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. अब जब फॉरेंसिक विभाग की रिपोर्ट आएगी तभी हत्या के कारणों के बारे में पता लग सकेगा. अभी तक हमें कोई ठोस सुराग नहीं मिला है."
हालांकि डीआईजी राकेश ने भले ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि रिपोर्ट में रेप को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
लेकिन सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर बीएन चौबे ने दो दो बार मीडिया में ये बयान दिया , "जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया है, दुष्कर्म की बात नकारी नहीं जा सकती. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि महिला के शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से जो पोस्टमार्टम के लिए जरूरी थे वो पहले से जल गए थे. इसलिए ज़रूरी नहीं कि पोस्टमार्टम से रेप की पुष्टि हो."
डॉ बीएन चौबे ने बीबीसी से कहा, "जिस तरह ये वारदात हुई है और जैसी बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए आई थी, उससे लगता है कि ये किसी एक आदमी का काम नहीं है. जहां तक बात पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की है तो जिस हालत में हमें शव मिला था, उसके पोस्टमॉर्टम के जरिए रेप या गैंगरेप साबित नहीं हो पाएगा. बहुत बुरी तरह जली थी लाश. हमने विसरा भी जांच के लिए लिया है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पुष्टि हो पाएगी. लेकिन मैं फिर भी कहूंगा कि जैसी यह वारदात है, उससे रेप या गैंगरेप से इनकार नहीं किया जा सकता."
बक्सर से लौटते समय बुधवार देर शाम को स्थानीय मीडियाकर्मियों से ऐसा सुनने को मिल रहा था कि मीडिया में बयान देने वाले डॉक्टर पर अब बयान बदलने के दबाव डाला जा रहा है. डॉक्टर से दोबारा संपर्क नहीं हो सका.
हमने डीआईजी से यह सवाल किया तो वे कहते हैं,"पुलिस की जांच रिपोर्ट्स के आधार पर होती है. किसी के बयान के आधार पर नहीं."
पुलिस और फॉरेंसिक विभाग की टीम के चले जाने के बाद घटनास्थल और उसके आसपास की जगह देखकर कहा जा सकता था कि एक सामान्य व्यक्ति जिसे उस जगह पर महिला के जलाने की ख़बर नहीं हो, उसके लिए ये फ़र्क करना मुश्किल था कि किस जगह पर पराली जली है और किस जगह पर महिला.
वहां मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि जिस खेत में महिला को जलाया गया था, उसके मालिक कुकुढ़ा गांव के ही रहने वाले हैं. हालांकि ये ग्रामीण पुलिस के डर और पूछताछ के भय से अपना नाम नहीं बता रहे थे.
पराली जलाने के आड़ में
कुकुढ़ा गांव के ही रहने वाले गोविंद पटेल ने बताया, "रात में किसी को पता नहीं चल पाया. एक तरफ खेतों में पराली जल रही थी तो लोग अपने-अपने खेतों में शाम को ही आग लगाकर घर आ गए थे. बोरिंग चलाने वाले भी बोरिंग चालू कर चले जाते हैं सोने. कुछ लोग जो पटवन (सिंचाई) कर रहे थे, उनको गोली की आवाज़ सुनाई दी थी, मगर वे डर के मारे इधर नहीं आए. यह बहुत सुनसान इलाका है. अगर जलाया भी गया तो किसी को कैसे पता चलेगा, यहां तो पराली भी जल ही रही थी."
शव पर अभी तक दावा किसी ने क्यों नहीं किया?
एक बुजुर्ग श्यामलाल जो पास के गांव से घटना के बारे में पता चलने पर देखने आए थे, कहते हैं, "जिस तरह से किया गया है किसी को कुछ पता नहीं चल पाएगा. कोई ये कहने भी नहीं आ रहा कि हमारी बेटी थी. ऐसा लगता है किसी ने अपने ही घर की बेटी को मार दिया है और अब निश्चिंत है."
श्यामलाल की बातें हमें एक अलग पहलू की ओर इशारा कर रही थीं, वो ये कि यह एक ऑनर किलिंग का मामला भी हो सकता है. क्योंकि अभी तक किसी ने शव पर दावा नहीं किया है.
घटनास्थल का मुआयना करने और लोगों से बात करने के बाद एक बात पक्की हो गई थी कि वारदात उन्हीं लोगों ने की है जो उस इलाके के सूनेपन से वाकिफ थे. खेतों और पगडंडियों का रास्ता जानते थे. और ये भी जानते थे कि पराली जलने की आड़ में कुछ भी जलाया जा सकता है.
लेकिन सवाल ये है कि पुलिस आखिर हत्यारों को पकड़ेगी कैसे? सबूत के तौर पर उसे केवल एक इस्तेमाल किया हुआ कारतूस, अधजला शव और उसके अवशेषों के सिवा कुछ नहीं मिला?
पुलिस का क्या है कहना?
डीआईजी राठी बीबीसी से कहते हैं, "यह बात तो सही है कि हमें सबूत के तौर पर बहुत कम चीजें हाथ लगी हैं. मगर जांच के कई तरीके होते हैं. उसी में से एक तरीके पर हमलोग काम कर रहे हैं."
डीआईजी आगे बताते हैं, "डीआईओ जांच हो रही है. उस रात उस स्पेसिफिक लोकेशन में जो भी मोबाइल नंबर एक्टिवेटेड थे, हमलोग उनका पता लगा रहे हैं. हालांकि अभी तक तो कुछ भी संदेहास्पद नहीं मिला है, लेकिन हमें पूरी उम्मीद है कि हम बहुत जल्द हत्यारों को पकड़ लेंगे."
आख़िर में एक ही बात रह जाती है कि जिनकी बेटी थी वो सामने क्यों नहीं आ रहे?
बक्सर के स्थानीय पत्रकार मंगलेश तिवारी कहते हैं, "उस इलाके में इसके पहले भी महिलाओं को मारने, काटने और जलाने की ख़बरें आई हैं. लेकिन आजतक उनमें से किसी का पता नहीं लग सका कि वो महिलाएँ कौन थीं. किसी ने दावा ही नहीं किया. अब इसे शर्म कहें या भय, मगर यहां ऐसा होता रहा है."
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