हैदराबाद एनकाउंटर: 'क्या हमारे पास ऐसे पर्याप्त प्रमाण थे कि ये अपराध उन्होंने ही किया?'


हैदराबादइमेज कॉपीरइटNOAH SEELAM
हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर की हत्या के आरोप में पकड़े गए चार अभियुक्तों के पुलिस कार्रवाई में मारे जाने की घटना पर क़ानून के कई जानकार सवाल उठा रहे हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में क्रिमिनल मामलों की वकील रेबेका मेमन जॉन और हैदराबाद स्थित क़ानून की प्रोफ़ेसर और मानवाधिकार कार्यकर्ता कल्पना कन्नाबिरन ने सवाल उठाते हुए फ़ेसबुक पर पोस्ट लिखे हैं.
वहीं ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन्स एसोसिएशन ने इस घटना की जाँच की माँग करते हुए कहा है कि ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार कर उनपर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.
पढ़िए उनकी प्रतिक्रियाएँ -
रेबेका मेमन जॉन की पोस्टः
"कितनी आसानी से हम भीड़ के हाथों इंसाफ़ का जश्न मनाने लगते हैं. वो पुलिस जिस पर कोई कभी भरोसा नहीं करता, वो भरी रात में चार निहत्थे लोगों को मार डालती है. क्यों? क्योंकि ऐसे लोग रहें या ना रहें किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
क्या दिल्ली पुलिस ऐसे लोगों को साथ भी ऐसा सुलूक करती जिनकी पहुँच ऊपर तक होती और जो जोर बाग़ और महारानी बाग़ में रहते हों? क्या हमारे पास ऐसे पर्याप्त प्रमाण थे कि ये अपराध उन्होंने ही किया? क्या किसी अदालत ने उन्हें देखा था उन्हें अपराधी क़रार दिया था
और मान लें कि उन्होंने ऐसा किया भी हो, तो एक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए. अगर वो ना रही, तो आपकी भी बारी आ सकती है. आप सारे निर्वाचित प्रतिनिधि, राजनीतिक दल और कार्यकर्ता न्याय का माहौल बना रहे थे...आपको न्याय मिल गया है. आप अब घर जाइए. जूस गटकिए. आपका जाली अनशन ख़त्म हो गया. आपको कभी कोई परवाह ही नहीं थी. क्योंकि अगर आपको परवाह होती, तो उन्नाव में एक महिला शिकायतकर्ता पर खुलेआम ऐसे हमला नहीं होता.
रेबेका मेमन जॉन की पोस्टइमेज कॉपीरइटFACEBOOK
बलात्कार की शिकार महिलाओं की मदद करना एक बहुत लंबा और थका देने वाला काम है. आप कभी उनसे नहीं मिले, किसी एक से भी कभी बात नहीं की. आपको ज़रा भी अंदाज़ा नहीं कि उनके ऊपर क्या बीत रही है और वो क्या चाहते हैं.
अपना सिर शर्म से झुका लीजिए. और डरिए. ये घटना आपको डराएगी. मगर याद रखिए महिलाएँ ये नहीं चाहतीं. हमारे नाम पर ऐसा मत करिए."
मानवाधिकार कार्यकर्ता कल्पना कन्नाबिरन की पोस्टः
क्या हम चाहते हैं कि अदालत बंद कर हम इस तमाशे को देखें?
"चार लोगों को मार डाला गया. क्या यही न्याय है? क्या हम चाहते हैं कि अदालतें अपना काम बंद कर दें और इस तमाशे को देखें? तेलंगाना में.
ऐसे में जब आदित्यनाथ एक प्रदेश चला रहे हैं, नित्यानंद एक राजशाही स्थापित कर रहे हैं, उन्नाव की पीड़िता को जला दिया जाता है! और अनगिनत परिवार न्याय का इंतज़ार करते रह जाते हैं.
एनकाउंटर से न्याय नहीं होता. हमें खून का प्यासा होने का समर्थन नहीं होना चाहिए. एक पुलिसया मुल्क में हमारा कोई भविष्य नहीं.
माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से मेरा एक सवाल है - आप क्या कहेंगे माननीय न्यायाधीश?"

महिला संगठन ने की जाँच की माँग

महिलाओं के एक संगठन ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन्स एसोसिएशन ने इस घटना की जाँच की माँग करते हुए कहा है कि ज़िम्मेदार पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार कर उनपर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.
संगठन ने एक बयान में कहा है कि इन पुलिस वालों से अदालत में यह साबित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि वो सभी चार लोग आत्मरक्षा में मारे गए.
उन्होंने कहा,"यह केवल मानवाधिकारों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों के लिए भी क्यों महत्वपूर्ण है? क्योंकि एक पुलिस बल जो हत्या कर सकता है, जिससे कोई भी प्रश्न नहीं पूछा जा सकता, वह महिलाओं का बलात्कार और उनकी हत्या भी कर सकता है - यह जानते हुए कि उससे कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा."

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