जेएनयू हिंसाः हमले करने का दावा, वॉट्सऐप के नंबर सामने, फिर भी गिरफ़्तारी क्यों नहीं?
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के मामले में मंगलवार को एक संगठन ने दावा किया है कि जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा और तोड़फोड़ में उसका हाथ है.
ख़ुद को हिंदू रक्षा दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए पिंकी चौधरी नाम के शख़्स ने दावा किया जेएनयू में हो रही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से नाराज़ होकर उनके संगठन ने यह कदम उठाया है और उन्हें किसी तरह का खेद नहीं है.
इस मामले में चार दिन बाद भी दिल्ली पुलिस कोई गिरफ़्तारी नहीं कर पाई.
सवालउठने लगा है कि जब एक संगठन और उसके प्रमुख ने खुलकर इस हिंसा की ज़िम्मेदारी ली है, उसके बाद भी पुलिस ने अब तक उनकी गिरफ़्तारी क्यों नहीं की?
इस सवाल पर दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा कि ये जांच का विषय है और जांच पूरी होने के बाद इस पर कोई एक्शन लिया जाएगा.
उन्होंने कहा, ''हमें पता चला है कि ऐसा दावा किया गया है. हम इस दावे की जांच कर रहे हैं. लेकिन जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. कोई भी शख़्स या संगठन पब्लिसिटी के लिए भी ऐसा दावा कर सकता है इसलिए जल्दबाज़ी में कार्रवाई नहीं कर सकते. ये संवेदनशील मामला है, ऐसे किसी भी दावे पर भरोसा करके पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती.''
दिल्ली पुलिस इस मामले में अब तक सिर्फ़ जांच किए जाने का ही हवाला दे रही है. एक संगठन की ओर से दावा किए जाने और घटना वाले दिन से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वॉट्सऐप मैसेज और मोबाइल नंबरों के आधार पर भी अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं की गई है.
जेएनयू हिंसा पर साउथ वेस्ट दिल्ली के डीसीपी देवेंद्र आर्य से जब यह सवाल किया गया कि एक शख़्स हमले की जिम्मेदारी ले रहा है, उस पर क्या कार्रवाई की जा रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मामले की जांच क्राइम ब्रांच के पास है. हम कुछ नहीं कह सकते.
पिंकी चौधरी के दावे में कितना दम?
जेएनयू में तोड़फोड़ और हिंसा के हिंदू रक्षा दल के दावे की पड़ताल के लिए बीबीसी ने पिंकी चौधरी से बात की.
पिंकी चौधरी दावा करते हैं कि वो ख़ुद इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उनका कहना है कि जेएनयू में लंबे वक़्त से देश विरोधी घटनाएं हो रही हैं जो ठीक नहीं हैं. वो काफ़ी समय से ऐसी घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे.
उन्होंने कहा, ''जेएनयू में देशविरोधी गतिविधियां करने की होड़ सी लगी है, जैसा माहौल वहां बना है वो देश के लिए ठीक नहीं है. जिस देश में रहते हैं, पढ़ते हैं उसी के ख़िलाफ़ बोलते हैं, पाकिस्तान और आतंकवादियों के समर्थन में ये लोग नारे लगाते हैं, इसी से आहत होकर हमने इनसे बदला लेने की योजना बनाई.''
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में भी जेएनयू से ही प्रदर्शन शुरू हुए. जेएनयू की वजह से पूरे देश में हाहाकार मचा. इन्हें समझाने के लिए ही पहले भी जेएनयू के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और चेतावनी दी गई थी कि अगर ये प्रदर्शन नहीं रुके तो अंजाम ठीक नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के बड़ौत के रहने वाले पिंकी चौधरी कहते हैं कि उनके संगठन ने कुछ ग़लत नहीं किया है. संविधान और कानून के ख़िलाफ़ ये कदम उठाने के सवाल पर वो कहते हैं, ''कानून अपना काम करे हमें कोई दिक्क़त नहीं है लेकिन हम अपना काम करेंगे. हम संविधान मानते हैं लेकिन संविधान में कहीं नहीं लिखा कि कोई देश विरोधी बातें करें. कोई देश और धर्म विरोधी बातें करेगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. जिस देश में रहते हैं उसी का समर्थन करना पड़ेगा. दूसरे देश का समर्थन करना है तो वहां जाएं.''
हालांकि जब उनसे यह सवाल किया गया कि संविधान में कानून को हाथ में लेने और मारपीट करने की भी छूट नहीं है तो जवाब देने से बचते हैं.
पिंकी चौधरी बताते हैं कि वो पेशे से बिल्डर हैं और ये संगठन भी चला रहे हैं. वो कहते हैं, ''जेएनयू के लोग रोज़ नए-नए प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इन पर काबू पाने में नाकाम रहे, बाकी लोग भी अपने वोटबैंक पर नज़र रख रहे हैं, लेकिन हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे इसलिए हमने क़बूल भी किया कि ये हमने किया है.''
क्या ये पब्लिसिटी स्टंट है?
हालांकि जिस तरह अचानक हिंदू रक्षा दल ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है उस पर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं ये पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं है? या फिर असल दोषियों को बचाने की साजिश तो नहीं है?
इस सवाल पर पिंकी चौधरी कहते हैं, ''अगर किसी को लगता है कि हमने चर्चा में आने के लिए किया है तो इसके लिए भी ताक़त चाहिए. हम खुलकर कहते हैं कि ये काम हमने किया है. किसी को लगता है कि ये सही नहीं है तो मुकदमा करे, हम वो देख लेंगे.''
जेएनयू में हमले के दौरान की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें नकाबपोश हमलावर कैंपस में तोड़फोड़ और मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. ये लोग कौन थे? इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं.
पिंकी चौधरी का कहना है कि नाकाबपोश हमलावर उनके संगठन के सदस्य हैं और वो उनके किए को सही ठहराते हैं. हालांकि इस बारे में हिंदू रक्षा दल के प्रवक्ता और कानूनी सलाहकार संकेत कटारा का कहना है कि नकाबपोश लोग उनके संगठन के सदस्य नहीं है लेकिन अगर उन्होंने वामपंथी विचारधारा के छात्रों की पिटाई की है तो वो इसका समर्थन करते हैं.
संकेत कटारा ने कहा, ''सच यह है कि हम काफ़ी दिनों से जेएनयू की गतिविधियों पर नज़र बनाए थे. हमारे कार्यकर्ताओं ने कहा कि वहां शाम में करीब छह बजे कोई विरोध-प्रदर्शन होने वाला है. हमारे कार्यकर्ता करीब 200 की संख्या में वहां पहुंचे. उस दौरान एबीवीपी और वामपंथी छात्र संगठनों के बीच कुछ बहस चल रही थी. वहां हो रही बातों से आहत होकर हमारे कार्यकर्ताओं ने मारपीट शुरू की. हमारे कार्यकर्ता किसी हॉस्टल में नहीं गए लेकिन बाहर मारपीट और तोड़फोड़ की है.''
घटना की जिम्मेदारी लेने में दो दिन क्यों लग गए, इस सवाल पर संकेत कटारा कहते हैं कि जब संगठन ने देखा कि हमारे काम को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं और मीडिया में हमारे ख़िलाफ़ ही चीज़ें चल रही थीं, तब हमने सामने आकर ये बताना ज़रूरी समझा कि ये काम हमने किया है और देश विरोधी घटनाओं का जवाब इसी तरह देंगे.
संकेत कटारा ने घटना का ज़िक्र करते हुए बताया, ''करीब सात बजे हमारे कार्यकर्ता वहां पहुंचे और आधे-पौने घंटे में अपना काम करके निकल गए. पहले वहां पुलिस नहीं आई. जब तक पुलिस आती वहां भगदड़ जैसे हालात हो गए और उसी बीच हमारे कार्यकर्ता वहां से निकल गए. कोई गिरफ़्तार नहीं हुआ. ''
कब बना संगठन?
हिंदू रक्षा दल कब बना इसे लेकर संगठन के पदाधिकारी स्पष्ट तौर पर कुछ बताने में हिचकिचाए. पिंकी चौधरी ने पहले कहा कि संगठन को करीब सात से आठ साल हो चुके हैं. लेकिन स्थापना की तारीख पूछने पर वो अटक गए. पहले उन्होंने इस सवाल का जवाब गूगल में तलाशने के लिए कहा. हालांकि काफी सोच विचार के बाद उन्होंने तारीख 26 अगस्त 2013 बताई.
इस बारे में संकेत कटारा कहते हैं कि जुलाई-अगस्त 2013 में संगठन की शुरुआत हुई थी लेकिन उन्हें स्पष्ट तारीख याद नहीं है. उन्होंने बताया कि हिंदू रक्षा दल का कार्यालय दिल्ली के नंदनगरी और ग़ाज़ियाबाद में साहिबाबाद के शालीमार गार्डन में है.
पिंकी चौधरी और संकेत कटारा एबीवीपी, आरएसएस और बीजेपी से अपने किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि वो एक स्वतंत्र संगठन चला रहे हैं.
हिंदू रक्षा दल के दो और दावे
पिंकी चौधरी एक और दावा करते हुए कहते है कि इशरत जहां मामले में उन्होंने वामपंथी विचारधारा के लोगों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में हंगामा किया था क्योंकि वे लोग देश के ख़िलाफ़ जाकर बातें कर रहे थे. इस मामले में वो जेल भी जा चुके हैं.
उधर, संकेत कटारा का दावा है कि जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कश्मीर को जनमत के आधार पर पाकिस्तान को दे दिया जाए उस बात के गुस्से में संगठन ने केजरीवाल के कौशाम्बी दफ़्तर में तोड़फोड़ की थी.
उन्होंने कहा, ''आठ जनवरी 2014 में जब केजरीवाल ने बयान दिया था तो हमने उनके दफ़्तर में घुसकर तोड़फोड़ की थी. हम उस मामले में जेल भी जा चुके हैं. हमें जेल जाना मंजूर है लेकिन देश और धर्म के ख़िलाफ़ कुछ बर्दाश्त नहीं करेंगे.''
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