जामियाः हमलावर नाबालिग, तो क्या होगी सज़ा?


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दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों की ओर पिस्तौल तानने और गोली चलाने वाला युवक नाबालिग है या नहीं इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने गुरुवार को एक मार्कशीट ट्विटर पर शेयर की जिसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
इस मार्कशीट को ये कहकर शेयर किया गया कि ये जामिया में प्रदर्शनकारियों पर पिस्तौल तानने वाले की है.
सोशल मीडिया पर इस मार्कशीट को कई लोग नकली बता रहे हैं और इसमें दी गई जानकारी पर सवाल उठा रहे हैं. लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि जामिया में पिस्तौल तानने और गोली चलाने के कुछ ही घंटों में मार्कशीट शेयर करने के पीछे मकसद इस शख्स को नाबालिग साबित कर उसकी सज़ा कम करवाना तो नहीं है.
मार्कशीट में स्कूल के कोड और पिस्तौल तानने वाले के नाबालिग होने जैसी जानकारियों को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

स्कूल की मार्कशीट

बीबीसी न्यूज़ ने पिस्तौल तानने वाले और गोली चलाने वाले छात्र के नाबालिग होने को लेकर पड़ताल की जिसके मुताबिक मार्कशीट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि वो नाबालिग है.
बीबीसी की पड़ताल में पता चला कि ये किशोर उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर ज़िले के एक स्कूल का छात्र है और यहीं से उसने 2018 में दसवीं की परीक्षा पास की थी.
चूंकि ये छात्र नाबालिग है इसलिए इसकी पहचान ज़ाहिर न करने के मकसद से इससे जुड़े किसी भी व्यक्ति या स्कूल का नाम यहां पर नहीं लिखा गया है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने जो मार्कशीट शेयर की उसके सही होने की पुष्टि स्कूल के संस्थापक ने की है.
मार्कशीटइमेज कॉपीरइटANI
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि ये मार्कशीट सही है, उस पर लिखी सारी जानकारियां सही हैं.
इसके मुताबिक उसकी उम्र अभी 17 साल नौ महीने है और वो नाबालिग है.
स्कूल की एक शिक्षिका के मुताबिक वह एक साधारण परिवार से आता है, पिता एक छोटी सी दुकान चलाते हैं और मां नौकरी करती हैं.
शिक्षिका ने बीबीसी को बताया कि उसका एक भाई भी इसी स्कूल में पढ़ता है. वो पढ़ाई में साधारण रहा है और कभी स्कूल में किसी तरह की अनुशासनहीनता करता हुआ नहीं देखा गया है.
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उनके मुताबिक किशोर 28 जनवरी को स्कूल आया था लेकिन उनकी मां ने फोन कर दोनों भाईयों को घर वापस भेजने को कहा था क्योंकि परिवार को किसी शादी में शरीक होने के लिए जाना था. जिसके बाद वो स्कूल से जल्दी निकल गया था.
हालांकि जब बीबीसी ने मार्कशीट के मसले पर सीबीएसई की संपर्क अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि मार्कशीट सीबीएसई से जारी होने की पुष्टि कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने मार्कशीट किसकी है उसकी पहचान तो की है लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि ये मार्कशीट जामिया के बाहर पिस्तौल तानने और गोली चलाने के मामले में पकड़े गए किशोर की ही है क्योंकि इस नाम के और छात्र भी हो सकते हैं.

सीबीएसई से एफिलिएटेड है ये स्कूल

स्कूल के सीबीएसई से संबद्ध होने के बारे में भी सोशल मीडिया पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. बीबीसी की पड़ताल में मालूम हुआ कि ये स्कूल केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध है.
सीबीएसई ने इस बात की पुष्टि की है कि ये स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है.
स्कूल के संस्थापक का कहना है कि उन्होंने 2013 में इस स्कूल की शुरुआत की थी और ये किशोर सबसे पहले स्कूल में दाखिला लेने वाले छात्रों में से एक था.
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स्कूल के कोड पर सवाल

ट्विटर पर कई लोगों ने सवाल उठाया है कि मार्कशीट में जो स्कूल का कोड दिखाया गया है वो सीबीएसई की वेबसाइट पर दिखाए गए कोड से अलग है.
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि ये सच है कि मार्कशीट में दिया गया कोड और सीबीएसई की वेबसाइट पर दिया गया कोड अलग है.
बीबीसी ने इस बारे में स्कूल के संस्थापक से सवाल किया कि एक स्कूल के दो अलग अलग कोड क्यों दिखाए गए हैं.
उनका कहना है कि पहले ये स्कूल सीबीएसई के देहरादून ज़ोन में आता था लेकिन वर्ष 2019 में इसे नोएडा के रिजनल ऑफिस के अंतर्गत रखा गया था. इसलिए दो अलग-अलग कोड सामने आ रहे हैं. मार्कशीट वर्ष 2018 की है इसलिए इसमें वो कोड है जो देहरादून ज़ोन से दिया गया था और सीबीएसई वेबसाइट पर फिलहाल जो कोड है वो नोएडा रिजनल ऑफिस की तरफ से दिया गया था.
इसके अलावा सोशल मीडिया पर स्कूल में कक्षा 12 में छात्रों की संख्या शून्य होने की भी चर्चा हो रही है. सीबीएसई की वेबसाइट पर स्कूल के रिपोर्ट कार्ड में कक्षा 12 में छात्रों की संख्या शून्य है.
स्कूल के संस्थापक ने बीबीसी को बताया कि स्कूल को कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए सीबीएसई से अगस्त 2019 को एफिलिएशन मिला है. इसलिए कक्षा 11वी में इस समय जो छात्र पढ़ रहे हैं वो 2021 में 12वीं की परीक्षा देंगे.
सीबीएसईइमेज कॉपीरइटCBSE
हालांकि उन्होंने माना कि ये किशोर फिलहाल उनके स्कूल का छात्र नहीं है क्योंकि कक्षा 12वीं में अभी कोई छात्र नहीं है. लेकिन वो स्कूल में शिक्षकों से पढ़ने के लिए आया करता है.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब तक हमने ये वेबसाइट अपडेट नहीं की है इसलिए ये कन्फ्यूज़न पैदा हो रहा है. लेकिन वो इसे अपडेट करेंगे.
बीबीसी ने इन सारे सवालों को लेकर दिल्ली पुलिस से भी संपर्क किया. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा से कई बार संपर्क करने की कोशिश के बावजूद कोई जवाब नहीं मिल सका है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर एक मार्च का आयोजन किया गया था. लेकिन प्रदर्शनकारियों के सामने 'ये लो आज़ादी' कहते हुए इस शख्स ने पिस्तौल तानी और गोली भी चलाई थी.
इससे जामिया में पढ़ने वाला एक छात्र घायल भी हुआ था जिसका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था.

नाबालिग होने पर क्या होगा

भारत में जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के मुताबिक 18 वर्ष से कम उम्र के अभियुक्त को ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल की सज़ा दी जा सकती है.
लेकिन जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट में संशोधन के मुताबिक 16-18 साल की उम्र के किशोर पर कोई जघन्य अपराध के मामले में केस दर्ज किया जाए तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के विवेक के आधार पर उस पर भारतीय दंड संहिता के मुताबिक साधारण अदालत में केस चलाया जा सकता है.
वरिष्ठ वकील आभा सिंह कहती हैं कि अगर जामिया में गोली मारने वाला किशोर बालिग होता तो उस पर एटेम्प्ट टू मर्डर धारा 307 के तहत केस चलाया जाता जिसमें कम से कम दस साल की सज़ा है, इस मामले में आजीवन कारावास की सज़ा भी हो सकती थी. लेकिन अगर वो नाबालिग है तो उसे ऑब्ज़र्नवेशन होम में रखा जाना होता है.
आभा सिंह कहती हैं कि नाबालिग होने की स्थिति में उस पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने ये केस चलेगा.
हालांकि दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव ने गुरुवार को मीडियो को बताया था कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर गोली चलाने वाले शख्स के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश) का आरोप लगाया गया है.
वो बताती हैं कि भारत में क़ानून के मुताबिक नाबालिग किसी केस में स्पेशल होम में सज़ा काटने के बाद जब बाहर आता है तो उसका आपराधिक रिकॉर्ड नष्ट किया जाता है ताकि वो दोबारा अपने जीवन की शुरुआत कर सके.
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