जीडीपी विकास दर में गिरावट का सिलसिला जारी


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भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट का सिलसिला जारी है.
साल के तीसरे क्वार्टर यानी अक्टूबर से दिसंबर, 2019 के बीच जीडीपी की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत आंकी गई है. 2012-13 के जनवरी से मार्च की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत आंकी गई थी, इसके बाद यह न्यूनतम दर है.
यह जुलाई से सितंबर, 2019 की तिमाही से भी कम है, तब जीडीपी वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत आंकी गई थी.
इससे पिछले वित्तीय साल में अक्टूबर से दिसंबर की तिमाई में जीडीपी वृद्धि की दर 5.6 प्रतिशत थी.
सरकार के आंकड़ों से ज़ाहिर है कि उपभोक्ताओं की डिमांड, निजी निवेश और निर्यात, इन मोर्चों पर गिरावट जारी है, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की सभी मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ी हैं, हालांकि इन चुनौतियों से पार पाने के लिए सरकार ने अपना ख़र्चा बढ़ाया है.
केंद्र सरकार की कोशिश 2020-21 के दौरान विकास दर को छह प्रतिशत लाने की है, इस वित्तीय साल में इसके पाँच प्रतिशत रहने का अनुमान है जो बीते 11 साल में सबसे न्यूनतम है.
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कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनौतियां बढ़ेंगी क्योंकि चीन में फैले कोरोना वायरस का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महूसूस की जाने लगी है.
इसके अलावा आठ कोर इंडस्ट्रीज़ के आंकड़ों में 2.2 प्रतिशत का ग्रोथ देखा गया है. कोर इंडस्ट्रीज़ की हिस्सेदारी इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन में 40 प्रतिशत से ज्यादा की होती है. अप्रैल, 2019 से जनवरी, 2020 के बीच इन आठ कोर इंडस्ट्रीज़ में कुल ग्रोथ 0.6 प्रतिशत की आंकी गई है.
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