मेरे लिए कोई भी देश मुर्दाबाद नहीं है
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डरो, डरो अंधों से, बहरों से, लूले लंगड़ों से, गूंगों से, डरो हर उस शख्स से, जो चलती फिरती लाश है. हर वैसे शख़्स से जो अपूर्ण है, क्योंकि वो खुद को साबूत नहीं कर सकते इसलिए तुम्हें भी साबूत नहीं रहने देंगे. - सुब्रतो चटर्जी
मेरे लिए कोई भी देश मुर्दाबाद नहीं है
एक लड़की मंच पर अचानक से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने लगती है. मुसलमानों की भीड़ उसका जवाब क्या देती है, कोई नहीं बताएगा. लड़की पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाती है तो सामने खड़ी मुसलमानों की भीड़ उसका जवाब ‘मुर्दाबाद, मुर्दाबाद’ से देती है. लेकिन मीडिया मुसलमानों की भीड़ के जवाब को गायब करके आपके सामने परोस रही है क्योंकि ऐसा न करने से उसका झूठ दुर्बल पड़ जाएगा. उसका दुष्प्रचार नग्न हो जाएगा.
जिस समय लड़की नारा लगाना शुरू करती है, उस समय ओवैसी नमाज जाने के लिए होते हैं. जैसे ही असुद्दीन ओवैसी को नारे सुनाई देते हैं, वह तुरंत हरकत में आ जाते हैं और उस लड़की को रोकने के लिए तुरंत मंच पर पहुंचते हैं. औवेसी कहते हैं, ‘ये आप क्या कह रही हैं, You can not say this’. मंच का एक एक शख्स लड़की के खिलाफ खड़ा हो जाता है. मंच के सामने खड़ी भीड़ का एक-एक शख्स उस लड़की के प्रतिरोध में खड़े हो जाते हैं. लड़की को मंच से हटाने के बाद खुद ओवैसी अपनी बात को दोहराने के लिए दोबारा मंच पर पहुंचते हैं. औवेसी कहते हैं- ‘ऐसे नारे लगाने वाले लोग हमारे हरगिज भी नहीं हैं, जिन्हें ऐसे नारे लगाने हैं किसी और मंच पर जाएं.’
मैं औवेसी की पॉलिटिक्स से अधिक सहमत नहीं हूं, मैं नहीं कहता कि वे देवता हैं, या बहुत अधिक सभ्य नेता हैं लेकिन उनकी आंखों में मैंने सामाजिक लिहाज देखा है. उनके दिल में क्या है, इस पर जरूर ही शक किया जा सकता है लेकिन उनकी जुबान पर तो कम-से-कम संविधान है. उन्हें संविधान का सामाजिक लिहाज तो है. प्रेस से बात करते हुए भी ओवैसी ने उस लड़की को धिक्कारा और पुलिस से कार्यवाही करने की मांग की.
देश को तोड़ने वालों से भाजपाई नेता क्यों सम्बंध रखते हैं @Dev_Fadnavis और @PiyushGoyal को जवाब देना चाहिये वारिस पठान का बयान देश को तोड़ने वाला है उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही होनी चाहिये।
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लेकिन मुझे योगी आदित्यनाथ का वो इंटरव्यू आज तक नहीं मिला जिसमें उन्होंने आरएसएस के उस आदमी को धिक्कारा हो जिसने योगी के मंच से मुसलमान औरतें के बलात्कार की बात कही थी. अपने देश के लिए जिंदाबाद के नारे लगाने के साथ-साथ, किसी दूसरे मुल्क के जिंदाबाद के नारे लगाना अधिक अपराध है ? या अपने ही मुल्क की औरतों के साथ बलात्कार करने की बात कहना अपराध है ? फिर आपने आज तक योगी आदित्यनाथ से इस बात के लिए माफी मांगने के लिए क्यों नहीं कहा ?
मेरे लिए कोई भी देश मुर्दाबाद नहीं है. हमारी लड़ाई आदमी की कौम से नहीं है. इंसानियत के लिए लड़ने वाले किसी भी समूह से नहीं है. पाकिस्तानी मुल्क में भी अमन चैन के लिए लड़ने वाले लोग हैं, जो जितना पाकिस्तान से मोहब्बत करते हैं, उतनी ही मोहब्बत हिंदुस्तान से करते हैं. पाकिस्तान में भी ऐसे लोग हैं जो भारत में शांति के लिए दुआएं करते हैं. मैं उनके मरने की कामना नहीं कर सकता.
ये भी सही है कि पाकिस्तान में भी आरएसएस जैसे संगठन हैं जिनकी रोटियां हिंदुत्व की जगह इस्लाम से चलती हैं. लेकिन जैसे आरएसएस के होने से हिंदुस्तान मुर्दाबाद नहीं हो जाता, ऐसे ही दो-एक आतंकियों की वजह कोई पूरा मुल्क मुर्दाबाद नहीं हो जाता. हम मुर्दाबाद के नारे लगाकर अमन और चैन की बात नहीं कर सकते. हमारा लहजा संवाद का है, शांति का है. मुर्दाबाद की सतही राजनीति का नहीं है. हम किसी मुल्क के मरने की कामनाएं नहीं कर सकते. हम सहअस्तित्व में जीने वाली कौम हैं. हमारी किताबों में “तत्सो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय” सी ऋचाएं लिखी हुई हैं. हमारी किताबों में दूसरी कौम और दूसरे मजहबों के मानने वाले लोगों के स्वास्थ्य लाभ की कामनाएं लिखी हुई हैं. मेरी भाषा ‘गोली मारो सालों को’ की अनुमति नहीं देती.
औवेसी ने उस लड़की के लिए तय कार्यवाही की मांग की है. आप इस मुद्दे पर ओवैसी का स्टैंड सुनिए, उसकी खबर देख लीजिए लेकिन मैंने प्रधानमंत्री का वो भाषण नहीं सुना जिसमें उन्होंने प्रज्ञा भारती द्वारा गांधी हत्या के समर्थन में दिए गए भाषणों के लिए सजा की मांग की हो. मैंने प्रधानमंत्री की वो वीडियो भी नहीं देखी जिसमें उन्होंने लिंचिंग करने वाले हत्यारों को माला पहनाने वाले जयंत सिन्हा की आलोचना की हो. मैंने प्रधानमंत्री का वो वीडियो भी नहीं देखा जिसमें उन्होंने ‘गोली मारो सालों को’ जैसे नारों की भ्रत्सना की हो…, मैंने वो इंटरव्यू भी नहीं सुना जिसमें योगी आदित्यनाथ अपने मंच से बलात्कार करने की कहने वाले के लिए सजा की मांग कर रहे हों, या उसकी निंदा भर भी कर रहे हों. आपको मिले तो बताना…
- श्याम मीरा सिंह, पत्रकार
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