दिल्ली में हिंसा: देर रात कितनी हिंसा हुई, कहां-कहां हुई
दिल्ली के यमुना पार इलाके में नागरिकता संशोधन क़ानून के मुद्दे पर विरोध कर रहे और समर्थन कर रहे लोगों के बीच भड़की हिंसा में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, इस हिंसा में अब तक तीन आम लोगों और एक पुलिस कर्मी की मौत हुई है. पांचवी मौत की पुष्टि जीटीबी हॉस्पिटल के सूत्रों से हुई है. हालांकि मृतक के बारे में कोई विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है.
जीटीबी अस्पताल में 35 घायलों का इलाज चल रहा है.
दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में सोमवार दोपहर हिंसक घटनाएं होने के बाद देर रात चांद बाग़, भजनपुरा, बृजपुरी, गोकुलपुरी, और जाफ़राबाद में दहशत का माहौल बना रहा.
कई इलाकों में हिंसक घटनाएं सामने आईं. इन इलाकों में हालात का ज़ायजा लेते हुए हमारी मुलाक़ात सरफराज़ अली से हुई.
सरफराज़ ने अपने ऊपर हुए हमले के बारे में बताते हुए कहा, "उन्होंने मेरा नाम पूछा, शुरुआत में मैंने कोई दूसरा नाम बताने की कोशिश की. इसके बाद उन्होंने मुझसे पैंट उतारने को कहा. जब मैंने अपना नाम सरफराज़ बताया तो उन्होंने मुझे डंडों से पीट कर आग में फेंक दिया."
सरफराज़ 24 फरवरी की रात अपने चाचा के जनाजे से लौट रहे थे.
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सरफराज़ ने हमें बताया कि वह अपनी बाइक पर अपने पिता के साथ गोकुलपुरी से आ रहे थे, क्रॉसिंग ब्रिज़ पर भीड़ ने उन्हें और उनके पिता को घेर लिया, वहां कई लोग आ जा रहे थे और भीड़ उनके पहचान पत्र चेक कर रही थी.
एंबुलेंस पर हुआ हमला
उत्तर - पूर्वी दिल्ली के चांद बाग़, भजनपुरा, ब्रिजपुरी, गोकुलपुरी और जाफ़राबाद इलाके में सोमवार को हिंसक घटनाओं के बीच घायलों को अस्पताल ले जारी एंबुलेंस को भी निशाना बनाया गया.
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में सरफराज़ को लेकर आने वाले हसन और सत्य प्रकाश से हमारी मुलाक़ात हुई.
हसन बताते हैं, "उन्हें रात में पुराने बृजपुरी इलाके के मेहर अस्पताल से फोन आया कि वहां मौजूद एक युवा सरफराज़ को जीटीबी अस्पताल में ट्रांसफ़र किया जाना है. मैं उस इलाके में घुसने से डर रहा था. ऐसे में हमने मरीज़ को बाहर आने को कहा. इसके बाद सरफराज़ के भाई उन्हें लेकर बाहर आए."
हसन की एंबुलेंस सोमवार दोपहर भीड़ के हमले का शिकार हुई थी.
सोमवार दोपहर हसन को सीलमपुर के सुभाष मोहल्ले में गोली से घायल हुए एक व्यक्ति को अस्पताल लाने का काम सौंपा गया था.
हसन बताते हैं, "हम मरीज़ को अस्पताल ले जा रहे थे. मैं पीछे बैठा था क्योंकि मरीज़ का खून बह रहा था. जब सत्य प्रकाश ने एंबुलेंस को थोड़ा ही आगे बढ़ाया था कि भीड़ ने एंबुलेंस के बोनट और फिर विंड शील्ड पर हमला किया. उन्होंने एक रॉड से सत्य प्रकाश पर हमला किया और एंबुलेंस की खिड़की तोड़ दी. उन्होंने इस बात की परवाह भी नहीं की कि ये एक एंबुलेंस थी. ये दिल्ली सरकार की एंबुलेंस थी. हम हिंदू मुस्लिम में भेद नहीं करेते हैं. लेकिन लोगों को ये समझ ही नहीं आता है.
बीती रात हम सोमवार दोपहर को हिंसा में मरने वाले शख़्स के परिवार से मिलने मुस्तफ़ाबाद जा रहे थे. उनके घर की ओर जाने वाली सभी सड़कें बंद थीं.
जाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन के नज़दीक नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था. सैकड़ों महिलाएं और पुरुष वहां मौजूद थे.
वहीं, चांद बाग़ के पास हमें नागरिकता क़ानून का समर्थन करने वाले और जय श्री राम के नारे लगाने वाले लोग दिखाई दिए.
इस जगह पर नागरिकता संशोधन क़ानून के समर्थक और विरोधियों के बीच बस एक बैरिकेड की दूरी थी. यहां पुलिस की भारी मौजूदगी थी.
महिलाओं - बुजुर्गों के हाथ में लाठी-डंडे
लेकिन पुराने बृजपुरी इलाके में हमें गलियों में लोहे के सरिए और डंडे लिए लड़के टहलते हुए मिलते. इन लोगों में महिलाएं, बुजुर्ग और युवा भी शामिल थे.
इसी जगह पर हमारी मुलाक़ात मनोज (नाम बदले जाने की शर्त पर) से हुई जो इसी इलाके में रहते हैं.
मनोज ने हमें बताया कि जब ये संघर्ष शुरू हुआ तो वे वहीं मौजूद थे.
वह कहते हैं, "सबकुछ ठीक चल रहा था. लेकिन तभी अचानक से पथराव होना शुरू हो गया. नागरिकता क़ानून का विरोध कर रहे लोगों की संख्या काफ़ी ज़्यादा थी. और पुलिस की संख्या कम थी."
मनोज का दावा था कि पुलिस ने अपनी रक्षा के लिए स्थानीय लोगों की मदद मांगी.
मनोज जहां खड़े होकर इस वाक्ये को बयां कर रहे थे, वहां से कुछ मीटर दूर एक गाड़ी धू-धू करके जल रही थे. कुछ अज्ञात लोगों ने इस गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था.
हमने वहां मौजूद लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ.
पुलिस ने कहा - 'सब ठीक है'
पुलिस का दावा है कि स्थिति नियंत्रण में है. पुलिस सारी रात संवेदनशील इलाकों में गश्त करती रही.
उन्होंने कहा कि रात में किसी तरह की हिंसा की ख़बर नहीं आई है.
शाहीन बाग़ की तर्ज पर जाफ़राबाद में भी नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.
रविवार और सोमवार को हुई हिंसक घटनाओं के बाद इस इलाके में पुलिसवालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
लेकिन सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या भी काफ़ी ज़्यादा है. महिलाएं और पुरुष रात में भी वहीं मौजूद नज़र आए.
'हम अब नहीं झुकेंगे'
बीबीसी से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हम शांति चाहते हैं. कोई हिंसा नहीं चाहता. सोमवार को घटी हिंसक घटनाओं के बाद हमारे मन में एक डर समाया हुआ है. लेकिन अब हम पीछे नहीं हटेंगे. हम एकजुट हैं और संवैधानिक ढंग से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे क्योंकि हम भारत के मूल्यों में भरोसा रखते हैं. भारत हमारा देश है और हम भारतीय हैं. हम सिर्फ ये चाहते हैं कि सरकार हमें सुने. हफ़्तों और महीनों तक सड़कों पर कौन बैठना चाहता है."
रात बीतते-बीतते कुछ लोग प्रदर्शन स्थल से जाने लगते हैं. लेकिन कुछ लोग धरना स्थल पर मौजूद रहे. इन लोगों के आसपास जली हुई गाड़ियां और पत्थर पड़े हुए थे.
पुलिस और कुछ स्थानीय लोग रास्तों को साफ़ करवाने में लगे रहे.
यह आरोप लगाया जा रहा है कि मौजपुर और उत्तर पूर्वी दिल्ली के अन्य इलाकों में हिंसा दिल्ली बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के नेतृत्व वाली रैली के बाद भड़की. उन्होंने यह रैली जाफ़राबाद के निकट मौजपुर इलाके में शनिवार रात को नागरिकता संशोधन क़ानून के पक्ष में निकाली थी, जहां नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे लोग धरना दे रहे थे.
अपनी रैली में कपिल मिश्रा ने सड़क और इलाके को प्रदर्शनकारियों से खाली कराने का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि इसके बाद वे लोग सड़कों पर उतरेंगे.
हालांकि पुलिस और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने शांति बनाए रखने की अपील की है.
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लेकिन यमुना विहार इलाके में रहने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि देर रात तीन बजे के बाद भी गलियों में जय श्री राम के नारे सुनाई पड़ रहे थे. इनके मुताबिक कई घरों के बाहर खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए गए हैं और दरवाजों पर पथराव हुआ है.
पिछले कुछ महीनों से भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यह विरोध प्रदर्शन तब हिंसक हो गया है जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली में हैं.
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