कोरोना वायरस अख़बारों को छूने से भी फैल सकता है?- फ़ैक्ट चेक
तेज़ी से फैलते कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन चेन को रोकने के लिए देश में 21 दिनों तक संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है. लेकिन जितनी तेज़ी से ये वारयस फैल रहा है उतनी तेज़ी से इसे लेकर फ़ेक और अधपकी सूचनाएं भी फैल रही हैं.
ऐसा ही एक दावा किया जा रहा है कि कोरोना का संक्रमण अख़बारों को ज़रिए भी हो सकता है.
चूंकि ये अख़बार प्रिंटिंग प्रेस से आपके घरों तक कई लोगों के ज़रिए आता है इसलिए इससे कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है ऐसा कहा जा रहा है.
इस दावे की हक़ीकत जानने के लिए बीबीसी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से संपर्क किया.
एक मेल के जवाब में डब्लूएचओ ने हमें बताया, ‘’अगर कोई कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति अख़बार को छूता है तो अख़बार में ये वायरस कुछ देर के लिए आ सकता है. हालांकि अख़बार से संक्रमण होना का ख़तरा बेहद कम है. क्योंकि संक्रमण कई फ़ैक्टर पर निर्भर करता है. जैसे कि आप तक वायरस कितनी मात्रा में पहुंचा, किसी सतह पर वायरस कब तक एक्टिव रहा साथ ही वातावरण भी इसमें ख़ास भूमिका निभाता है.‘’
इसके बाद मामले को और विस्तार से समझने के लिए हमने भारत के नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार सिंह से बात की. उन्होंने बताया, ‘’अख़बारों से कोविड-19 के संक्रमण फैलने का कोई प्रमाण नहीं है. अगर ऐसा होता तो हम इसकी सूचना ख़ुद देते.‘’
‘’कोविड-19 के संक्रमण की जो मुख्य वजह है वो है ड्रॉपलेट के ज़रिए वायरस का फैलना. ऐसे में लोगों से दूरी बनाए रखें और हाथ धोते रहें, यही उपाय है. देखिए ये वायरस दुनिया भर के लिए नया है. इसे लेकर धीरे-धीरे जानकारियां सामने आ रही हैं.’’
सरकार को जारी करनी पड़ी सफ़ाई
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस के दौरान इस अफ़वाह का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘’आज मेरे घर भी पेपर नहीं आया. मैंने इसका पता लगाने को कहा तो पता चला कि बहुत ग़लत अफ़वाह फैली है कि पेपर छूने से भी कुछ हो जाएगा. सोसाइटी के लोगों में भी ये अफ़वाह फैली है. कुछ लोगों ने ख़ुद पेपर वाले को पेपर देने से मना कर दिया. मैं आपको बता देना चाहता हूं पेपर से कुछ नहीं होता इससे आपको सही जानकारी मिलेगी. आपको पेपर पढ़ कर हाथ धो लेना है.‘’
हालांकि एम्स में मेडिसिन के सीनियर डॉक्टर प्रोफ़ेसर नवल विक्रम इस संभावना से इंकार नहीं करते.
उन्होंने बीबीसी को बताया, ‘’कोरोना वायरस धातुओं की सतह पर ज़्यादा देर टिकता है अपेक्षाकृत कपड़े या पेपर जैसी सतह पर टिकने का समय कम होता है. अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसके आधार पर न्यूज़पेपर से संक्रमण की पुष्टि हो सके. लेकिन इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हालांकि, ख़तरे की बेहद कम संभावना है.‘’
बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि अख़बार से कोरोना वायरस फैलने का ख़तरा बेहद कम है. हालांकि डॉक्टरों की राय है कि अख़बार पढ़ने के बाद ख़ुद की सुरक्षा के लिए साबुन या एल्कोहल वाले हैंड सैनेटाइज़र से हाथ ज़रूर साफ़ करें.
- कोरोना मरीज़ की सलाह -कोरोना वायरस: दिल्ली के पहले मरीज़ की सलाह सुन लीजिए
- लक्षण और बचाव - कोरोना वायरस के क्या हैं लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव
- संक्रमण कैसे रोकें - कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के पांच सबसे कारगर उपाय
- मास्क पहनें या नहीं -कोरोना वायरस: मास्क पहनना चाहिए या नहीं?
- किस जगह कितनी देर ठहराता है वायरस - कोरोना वायरस: किसी जगह पर कितनी देर तक टिक सकता है यह वायरस
- चीन से सीख सकता है भारत -कोरोना वायरस: चीन से भारत कैसे सीख सकता है सबक
- आर्थिक असर -कोरोना वायरस का असर आपकी जेब पर होगा?
- अमरीका में बढ़ी बोरोज़गारी -कोरोना से बेहाल अमरीका में बेरोज़गारी ने तोड़ा रिकॉर्ड
- वायरस से लड़ते पांच पांडव - कोरोना के ख़िलाफ़ महाभारत में भारत के 'पांडव'
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
Comments