कोरोना वायरस: कर्नाटक में फार्मा कंपनी के 48 लोग पॉजिटिव, किससे फैला संक्रमण इसका पता नहीं


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भारत में कोरोनावायरस के मामले

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स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
19: 40 IST को अपडेट किया गया
भारत के कई हिस्सों में कोविड-19 रोगियों के सीधे और परोक्ष संपर्क में आए लोगों की पहचान के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की मदद के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस की मदद ली जा रही है.
लेकिन कर्नाटक पुलिस के कंधे पर एक अजीब सी ज़िम्मेदारी आई है जिसमें उन्हें मैसूर ज़िले की एक फ़ार्मास्युटिकल कंपनी से निकले उस वायरस का स्रोत क्या है जिससे 48 लोग पॉज़िटिव पाए गए.
मैसूर के नानजांगुड तालुके में स्थित इस कंपनी के 1152 कर्मचारियों में से रोगी नंबर 52 या P-52 पहला कर्मचारी था जिसके शरीर में 13 मार्च को कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखे, और इसके बाद से नानजांगुड का नाम कर्नाटक में कोविड-19 के मामलों की लिस्ट में बार-बार आता रहा है.
पिछले 24 घंटों में नौ और रोगी पॉज़िटिव पाए गए. पिछले एक महीने में 39 लोग पहले ही पॉज़िटिव निकले हैं.
और ये सारे मामले यहाँ के केवल 780 लोगों के नमूने से आए हैं, जिनमें यहाँ के कर्मचारी और उनके संपर्क में आए लोग शामिल हैं. अभी बाक़ी के 300 कर्मचारियों और उनके संपर्क में आए लोगों के नमूने एकत्र ही किए जा रहे हैं.
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संक्रमण का स्रोत क्या था?

कर्नाटक के स्वास्थ्य आयुक्त पंकज कुमार पांडे ने बीबीसी से कहा,"उन्हें ज़रुर किसी से संक्रमण लगा होगा, ऐसा तो है नहीं कि ये हवा से आ गया ".
कोरोना वायरस के बारे में एक बात जो पूरी तरह सिद्ध हो चुकी है कि हवा से नहीं बल्कि इंसानों से ही इंसानों में फैलता है.
21 मार्च को जबसे कि P-52 के संक्रमण का पता चला है, यहाँ के अधिकारी ये रहस्य सुलझाना चाह रहे हैं कि संक्रमण का स्रोत क्या था.
स्वास्थ्य विभाग ने यहाँ चीन से थोक मात्रा में आए ड्रग्स के पैकेज को भी पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी भेजा है.
पिछले सप्ताह कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जावेद अख़्तर ने पत्रकारों को बताया था कि पुणे के संस्थान को इन पैकेज पर वायरस का कोई निशान नहीं मिला.
एक अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर बीबीसी से कहा, "स्पष्ट है कि कोई सच छिपा रहा है. हम सच जानने की कोशिश कर रहे हैं."
सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को स्थिति की निगरानी के लिए मैसूर भेज दिया है.
पिछले चार दिनों से नानजांगुड तालुका के हेबया गाँव और मैसूर तालुका के सोमनाथपुरा गाँव को रोकथाम वाला या कन्टेनमेंट क्षेत्र घोषित कर दिया है.
कोरोना, कर्नाटक के मंत्री सुरेश कुमारइमेज कॉपीरइटIMRAN QURESHI/BBC
कर्नाटक के मंत्री सुरेश कुमार ने बताया,"हमें पता चला है कि 4 फ़रवरी से 18 फ़रवरी के बीच इस कंपनी में अमरीका, जर्मनी, जापान और चीन से बिज़नेस के उद्देश्य से कुछ लोग आए थे. कंपनी के मालिक दिल्ली में फँसे हैं और हमने कहा है कि उनकी वहीं जाँच करवाई जाए".
तो क्या ये मुमकिन है कि ये वायरस एक महीने बाद सिर उठाए यानी जब आख़िरी विदेशी वहाँ आया था और 13 मार्च को P-52 में लक्षण दिखने शुरु हुए?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ (निमहैंस) के नामी वायरोलॉजिस्ट प्रोफ़ेसर वी रवि ने बीबीसी हिंदी को बताया,"वायरस को इन्क्यूबेट करने के लिए 14 दिन लगते हैं. अगर ये 14 दिन में नहीं दिखा हो तो भी कोई ना कोई ऐसा होगा जिसमें सर्दी बुख़ार के कुछ लक्षण दिखे होंगे".

भारत में कोरोनावायरस के मामले

यह जानकारी नियमित रूप से अपडेट की जाती है, हालांकि मुमकिन है इनमें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के नवीनतम आंकड़े तुरंत न दिखें.
राज्य या केंद्र शासित प्रदेशकुल मामलेजो स्वस्थ हुएमौतें
महाराष्ट्र2687259178
दिल्ली15613030
तमिलनाडु12048112
राजस्थान10051473
मध्य प्रदेश9876453
उत्तर प्रदेश7355111
गुजरात6955930
तेलंगाना64712018
आंध्र प्रदेश503169
केरल3872113
जम्मू और कश्मीर278304
कर्नाटक2777511
पश्चिम बंगाल213377
हरियाणा199343
पंजाब1861413
बिहार70291
ओडिशा60181
उत्तराखंड3790
छत्तीसगढ़33130
हिमाचल प्रदेश33131
असम3301
झारखंड2702
चंडीगढ़2170
लद्दाख17100
अंडमान निकोबार द्वीप समूह11100
गोवा750
पुडुचेरी710
मणिपुर210
मिज़ोरम100

स्रोतः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
19: 40 IST को अपडेट किया गया
प्रोफ़ेसर रवि को पक्के तौर पर लगता है कि 'बीच का कोई सिरा ग़ायब है. इंसान का मस्तिष्क केवल एक सप्ताह तक की बातें याद कर सकता है. नानजंगुड में जो हो रहा है उसका मेरे हिसाब से यही विश्लेषण हो सकता है.'
बुधवार को एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को बेंगलुरु से मैसूर भेजा गया है.
इस बीच P-52 कोविड-19 का इलाज पूरा कर घर लौट आए हैं और अभी घर पर ही क्वारंटीन हैं.
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