कोरोना क्या नासा ने भारत की तालियां सुनी थी? -फ़ैक्ट चेक | एक पॉपुलर व्हाट्सएप मैसेज में दावा किया गया कि जब भारतीयों ने देश की इमर्जेंसी सर्विसेज में काम करने वालों को धन्यवाद देने के लिए मार्च में तालियां बजाईं. इसकी वजह से ऐसी ध्वनि पैदा हुई जिसे नासा के सैटेलाइट्स ने सुना. इसकी वजह से कोरोना वायरस को वापसी करनी पड़ी. आवाजें इतनी दूर तक? यह मैसेज दो हफ़्ते पुराना है, लेकिन हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो कि अभी भी इसे साझा कर रहे हैं. ऐसा तब है जबकि भारत सरकार इसे सिरे से खारिज कर चुकी है.



कोरोना वायरस

बीबीसी की फ़ैक्ट चेक टीम कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही कुछ बेहद लोकप्रिय झूठी और गुमराह करने वाली ख़बरों की सत्यता और प्रामाणिकता की जांच करती हैं.
जैक गुडमैन ऐसी ही कुछ ख़बरें लेकर आए हैं जिन्हें बीबीसी मॉनिटरिंग, ट्रेंडिंग और रियलिटी चेक ने ख़ारिज कर दिया.

जेफ़ बेजोस ने ऐसा तो नहीं कहा था

कोरोना वायरस को लेकर आपको शायद बिल गेट्स का वह मैसेज याद हो जो वास्तव में उन्होंने लिखा ही नहीं था.
यहां हम ऐसा ही एक फ़ेक मैसेज लेकर आए हैं जिसे एक और अरबपति का बताकर फैलाया जा रहा है. यह ख़बर जेफ़ बेजोस के बिल गेट्स को लेकर एक ऐसे बयान से जुड़ी हुई है जो उन्होंने दिया ही नहीं.


कोरोना वायरस

अमेज़ॉन ने भी पुष्टि की है कि यह बयान फ़र्जी है.
एक जैसी पोस्ट्स में गलत तरीके से यह दावा किया गया है कि अमेज़ॉन के फ़ाउंडर बेजोस ने कोविड-19 को लेकर अफ्रीकियों को एक कड़ा संदेश भेजा था. इस मैसेज में भी यह कहा गया था कि बिल गेट्स अफ्रीका को अस्थिर करना चाहते हैं. इसमें अफ्रीकियों को कहा गया था कि वे एक ख़ास तरह के फ़ेस मास्क न पहनें क्योंकि इनमें जहरीले तत्व मौजूद हैं.
इस फ़र्जी पोस्ट को फ्रांस में सैकड़ों अकाउंट्स ने कॉपी और पेस्ट किया. मूल पोस्ट डीआर कॉन्गो के एक अकाउंट से जारी हुई लगती है. यह अकाउंट जनवरी में शुरू हुआ और इस पोस्ट को 30,000 से ज्यादा बार शेयर किया गया.


कोरोना वायरस



कोरोना वायरस

5जी पर गलत पोस्ट जो अभी भी थम नहीं रही

वैज्ञानिकों ने उन अफ़वाहों पर ध्यान न देने के लिए कहा है जिनमें 5जी टेक्नोलॉजी और कोरोना वायरस के बीच लिंक बैठाया गया है.
वैज्ञानिकों ने इस पूरी तरह से आधारहीन और बायोलॉजिक तौर पर नामुमकिन बताया है.
हालांकि, अभी भी कुछ गलत दावे फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर फैलाए जा रहे हैं.


Three false 5G Facebook posts

हजारों बार शेयर की गई एक पोस्ट में बताया गया है कि कैसे नई टेक्नोलॉजी अलग-अलग बीमारियों के फैलने की वजह है.
इसमें दावा किया गया है कि 1979 में 1जी के वक्त इनफ्लूएंजा फैला, 2जी के वक्त कॉलरा फैला और इसी तरह से 5जी के वक्त कोविड-19 आया. यह झूठ है.
इन घटनाओं के आपस में कोई भी संबंध नहीं हैं.
लैंपपोस्ट्स पर लगे पोस्टरों के फ़ोटोग्राफ़्स में दावा किया गया है कि कोविड-19 कहीं मौजूद नहीं था और 5जी ही मौतों की असली वजह है. यह दावा झूठा है.
टेस्टिंग किट्स के कोरोना वायरस से संक्रमित मिलने के बाद ब्रिटेन ने चीनी इंटरनेट कंपनी हुआवेई के साथ करार रद्द कर दिया है- यह दावा फ़ेसबुक पर और ट्विटर पर अंग्रेज़ी, अरबी, पुर्तगाली और फ्रांसीसी भाषा में हज़ारों दफ़ा साझा किया गया.





मास्क पहनना कितना ज़रूरी?

हालांकि, ब्रिटेन की हुआवेई के साथ डील बरकरार है. इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं टेस्टिंग किट्स कोरोना से संक्रमित हैं.
इसके बाद एक अफ़वाह यह उड़ी कि कोरोना वायरस और 5जी टेक्नोलॉजी नए 20 पौंड के नोट से जुड़ी हुई है.
कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में कहा गया कि नोट के पीछे कथित तौर पर बने 5जी टेलीकॉम टावर के ऊपर दिखने वाली चीज वायरस है.
हालांकि, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने डिजाइन के जारी होने पर कहा कि जो कोरोना वायरस लग रहा है वह दरअसल टेट ब्रिटेन आर्ट गैलरी का रोटंडा है.
वहीं, फोन टावर मार्गेट लाइटहाउस है.

एंबुलेंस वॉयस नोट

शायद आपने वह वॉयस नोट सुना हो जिसमें एक महिला यह दावा कर रही है कि वह साउथ ईस्ट कोस्ट एंबुलेंस सर्विस (सीकास) के लिए काम करती है और वह पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड से मिलने वाली अंदरूनी जानकारियों को साझा कर रही है. हालांकि, यह भी फर्जी है.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) की चीफ़ नर्स विव बेनेट ने कहा, "यह एक फ़ेक न्यूज़ है. हम लोगों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे इस संदेश को इग्नोर करें और इसे आगे शेयर न करें."
इस नोट में महिला यह दावा करती है कि आवाजाही पर पाबंदी तय है और कोरोना वायरस से मरने वालों में स्वस्थ और युवाओं की बड़ी तादाद है.
सीकास ने कहा कि मैसेज में शेयर की जा रही सूचना सही नहीं है.
दर्जनों लोगों ने इस नोट को बीबीसी रिपोर्टरों, सीकास और पीएचई को भेजा और जानकारियां मांगीं. इससे यह संकेत मिला कि यह संदेश व्हाट्सएप पर बड़े पैमाने पर वायरल हुआ है.


A WhatsApp message about Nasa satellites detecting Indians clapping

क्या नासा ने भारत की तालियां सुनीं?

एक पॉपुलर व्हाट्सएप मैसेज में दावा किया गया कि जब भारतीयों ने देश की इमर्जेंसी सर्विसेज में काम करने वालों को धन्यवाद देने के लिए मार्च में तालियां बजाईं.
इसकी वजह से ऐसी ध्वनि पैदा हुई जिसे नासा के सैटेलाइट्स ने सुना. इसकी वजह से कोरोना वायरस को वापसी करनी पड़ी.
आवाजें इतनी दूर तक?
यह मैसेज दो हफ़्ते पुराना है, लेकिन हम ऐसे लोगों को जानते हैं जो कि अभी भी इसे साझा कर रहे हैं. ऐसा तब है जबकि भारत सरकार इसे सिरे से खारिज कर चुकी है.

अमरीकी वैज्ञानिक के बारे में पोस्ट्स का फ़ैक्ट-चेक

इस तरह के गलत दावे किए गए कि हार्वर्ड के एक प्रोफ़ेसर को कोरोना वायरस तैयार करने की वजह से अरेस्ट कर लिया गया.
यह ख़बर वायरल हो गई और कई भाषाओं में सर्कुलेट की गई. हजारों-लाखों दफ़ा इसे शेयर किया गया.
पोस्ट्स में कहा गया कि चार्ल्स लीबर को अमरीका में अरेस्ट कर लिया गया है और उन्होंने ही कोरोना वायरस तैयार किया और इसे चीन को बेच दिया.


A false claim in a Tweet about Charles Lieber

लीबर को इस साल जनवरी में चीन के साथ संपर्कों के बारे में झूठ बोलने के लिए अरेस्ट किया गया.
लेकिन, कोरोना वायरस को बनाने या इसे चीन को बेचने के लिए. इनमें से कोई भी आरोप कोविड-19 से जुड़ा नहीं है.
इनमें से कई पोस्ट्स में जनवरी में आई अमरीकी न्यूज़ क्लिप शामिल है.
इसे नैचुरल रेसिपीज वाले एक स्पेनिश फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था और इसे ढाई लाख से ज्यादा दफ़ा शेयर किया गया.
इस कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग बताती है कि यह जानवरों से इंसानों में आया और यह मनुष्यों का बनाया हुआ नहीं है.

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