बिहार: कोरोना वार्ड में महिला के साथ दुष्कर्म का आरोप, क्या है मामला
"अगर हम सोए तो डॉक्टरवा (डॉक्टर) आ जाएगा." बिहार के गया ज़िले के रौशनगंज थाने के धर्मेन्द्र चौधरी की पत्नी अस्पताल से दो अप्रैल को लौटीं और 6 अप्रैल की सुबह साढ़े आठ बजे तक यानी अपनी मौत तक यहीं रटती रहीं.
धर्मेन्द्र का आरोप है कि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज में उनकी पत्नी के साथ दुष्कर्म हुआ.
स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में बना ये मामला बहुत महत्वपूर्ण और मुश्किल बन गया है. वजह ये कि धर्मेन्द्र और उनके परिवार ने धर्मेन्द्र चौधरी की पत्नी की मृत्यु के बाद ये आरोप लगाया है.
25 को लुधियाना से लौटी थी पीड़िता
धर्मेन्द्र चौधरी लुधियाना में साइकिल पेन्ट करने का काम करते हैं. उनकी पत्नी दो महीने की गर्भवती थीं. कमर दर्द की दवाई लगातार लेने के चलते उन्हें लुधियाना के कई अस्पतालों में दिखाया गया था. लेकिन जब तबियत नहीं सुधरी तो धर्मेन्द्र और उनकी पत्नी अपने डेढ़ साल के बच्चे के साथ बिहार के गया ज़िला स्थित अपने घर लौट आए. वो 25 मार्च की तारीख़ थी. वे लोग एंबुलेंस से लौटे थे.
धर्मेन्द्र की मां फुलवा देवी बताती हैं, "40 हज़ार बुलेंस(एम्बुलेंस) वाला लिया था. बहू की मां और हम लोगों ने पैसा दिया तब जाकर भाड़ा दिया गया. जब आई तो शेरघाटी के सरकारी अस्पताल ले गए लेकिन वहां इलाज नहीं हुआ. 27 मार्च को जब तबियत ज़्यादा बिगड़ी तो मेडिकल अस्पताल ले गए."
कोरोना वार्ड में भर्ती
परिवार बताता है कि धर्मेन्द्र की पत्नी को पहले इमरजेंसी में ले जाया गया. जिसके बाद उसे वार्ड नंबर 5 में रखा गया. बाद में उसे 'कोरोना वार्ड' (आइसोलेशन वार्ड) में रखा गया जहां कोई मरीज़ नहीं था.
निर्माण मजदूर फुलवा देवी ने बीबीसी हिंदी को बताया,"वहां कोई नहीं था. मैंने बार बार कहा कि बहू के पास जाने दो लेकिन जाने नहीं दिया गया. कोरोना वार्ड में बहू 1 रात और दो दिन रही थी. सुबह जब हमसे कपड़े बदलने को गेटमैन (गार्ड) साहब ने कहा तो हमने देखा कि मेरी बहू की साड़ी में खून-खून लगा था."
निजी अंगों को छूने के आरोप
फुलवा देवी के मुताबिक़ कपड़े बदलने के दौरान उनकी बहू ने बताया कि कोई पंडित जी नाम का डॉक्टर (फुलवा देवी डॉक्टर और कंपाउंडर दोनों शब्दों का इस्तेमाल करती हैं) उसके शरीर में हाथ डालता है. उसके स्तनों पर हाथ फेरता है और जबरन अपना लिंग पकड़ने को कहता है.
लेकिन इस सवाल पर कि क्या महिला के साथ दुष्कर्म हुआ था, परिवार के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है.
उन्होने बीबीसी को बताया,"बहू ने बताया कि वो माथे पर इंजेक्शन देकर बेहोश कर देता था. अब उसके बाद क्या किया, बहू को नहीं मालूम. बाद में ये सारी बात हमने गेटमैन साहब को बताई तो उन्होंने कहा कि अपना इज्ज़त बचाइए. हम उसको समझा बुझा देंगे."
2 अप्रैल को वापस आई, 6 को मौत
धर्मेन्द्र चौधरी बताते हैं कि उनकी 22 साल की पत्नी बहुत कमजोर थीं, लेकिन उसे अस्पताल से आनन फ़ानन में छुट्टी दे दी गई.
"दो तारीख़ को उसे वापस ले आए लेकिन वो ना तो सोती थी, ना ही कुछ ठीक से खाती थी."
वो बताते हैं कि 5 अप्रैल की रात को जब वो प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर दिया जलाने जा रहे थे तो उनकी पत्नी ने उन्हें बुलाकर ये सभी बात बताई.
धर्मेन्द्र कहते हैं, "वो बार बार कहती थीं कि आपसे कुछ बताएंगे तो आप हमें छोड़ तो नहीं देंगे. जब उसने बताया तो हमने सोचा कि सुबह जाकर थाने में शिकायत करेंगें. लेकिन उसके बाद तो वो सुबह चाय बिस्कुट खाकर हमेशा के लिए सो गई. उसके बाद उसके दाह संस्कार का इंतजाम करते या थाने जाते."
स्थानीय मीडिया में मामला आने के बाद एफ़आईआर
बाद में ये मामला स्थानीय मीडिया में आया जिसके बाद 8 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज थाने में एफ़आईआर दर्ज हुई.
गया के एसएसपी राजीव मिश्रा ने बीबीसी को बताया, "इस मामले की जांच सिटी एसपी कर रहे हैं. शनिवार की रात एक व्यक्ति की गिरफ़्तारी हुई है. यहां साफ़ कर दें कि इस मामले में दुष्कर्म की शिकायत नहीं है बल्कि मॉलस्टेशन हुआ है. साथ ही जिसे परिवार डॉक्टर कह रहा है, वो दरअसल वार्ड ब्वॉय है. बाकी इस मामले में सीसीटीवी फुटेज़ उपलब्ध नहीं है क्योंकि सिर्फ़ 7 दिन का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होता है और जब तक एफ़आईआर हुई, फुटेज़ डिलीट हो चुका था."
इस बीच मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने भी अपने स्तर पर जांच कमिटी बनाई है. इस मामले में कॉलेज के अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने बी बी सी से कहा, "इस मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है. जांच के नतीजे आने के बाद सूचना दी जाएगी."
उच्च स्तरीय जांच की मांग
बिहार के महिला संगठनों ने भी राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अस्पताल में ख़ासतौर पर क्वारन्टीन और आइसोलेशन वार्ड में भर्ती महिलाओं की सुरक्षा, उनके लिए अलग से व्यवस्था करने, महिला नर्सों की ड्यूटी सुनिश्चित करने के साथ साथ महिलाओं के साथ बढ़ रही हिंसा के मामलों में त्वरित कार्रवाई की मांग की है.
साथ ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस मामले को गंभीर बताते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. लेकिन महिला की मृत्यु और सीसीटीवी फुटेज़ की अनुपलब्धता में गया पुलिस के लिए इस मामले को सुलझाना आसान नहीं लग रहा है.
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