पटियाला में पुलिसवाले का हाथ काटने की घटना के बाद क्या-क्या हुआ?
पुलिस बैरिकेड पर एक कार का टक्कर मारना. कार का पीछा करती हुई पुलिस और फिर कार में से कुछ लोगों का निकलना और हमला करते हुए एक पुलिस वाले का हाथ काट देना. पटियाला का रविवार का यह वीडियो पंजाब में ही नहीं बल्कि देश भर में वायरल हो गया था.
इस घटना को कवर करने के लिए मेरे सहयोगी शूट-एडिट गुलशन कुमार और मैं चंडीगढ़ से पटियाला गए. रास्ते में ऐसा नहीं लगा कि राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ था क्योंकि दो चार कारें और ट्रक हमें सारे रास्ते में मिलते रहे. हां, राहत की बात यह थी कि सामान्य दिनों वाला कोई ट्रैफिक जाम नहीं था. पुलिस की टुकड़ियाँ जगह-जगह मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने बस एक बार ही हमें रोक कर जांच की.
दुकानें पूरे रास्ते पर बंद मिलीं. गेहूं की फसल की कटाई का मौसम है और किसानों को खेतों में काम करते हुए देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. एक-दो स्थानों पर मैदान पर क्रिकेट खेलते लड़कों को देखकर कुछ अचरज हुआ. क्या कोरोना वायरस से बचने के लिए ज़रूरी सोशल डिस्टेंसिंग की कोई परवाह कर भी रहा है?
चंडीगढ से लगभग 80 किलीमीटर दूर घटनास्थल पटियाला की सब्जी मंडी जो सनौर रोड पर स्थित है, पर कुछ पुलिसकर्मियों को छोड़कर कोई मौजूद नहीं था. टूटी हुई पुलिस की बैरिकेडिंग से कुछ अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि यहां क्या हुआ था. पुलिस की स्कॉर्पियो गाड़ी जिसे आरोपियों ने भागने का प्रयास करते हुए ठोका था वहीं खड़ी थी. बम्पर टूटा हुआ था और इसे यहाँ से हटाने के लिए एक क्रेन को बुलाया गया था.
घटनास्थल पर मौजूद पुलिस ने कहा कि यह घटना सुबह पांच से छह बजे के बीच हुई. पुलिस ने आरोपियों से लॉकडाउन पास के बारे में पूछा था. लेकिन उन्होंने कई बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया.
फिर यह लोग कार से फरार हो गए और लगभग 20 किमी दूर अपने शिविर में चला गए, जहां खिचड़ी साहिब गुरुद्वारा भी बनाया गया है. यह डेरा चीका रोड पर स्थित है और यह सड़क हरियाणा के कैथल की ओर जाती है. यह गांव बालबेड़ा में है और काफी कम आबादी वाले इलाके में है. घोड़े के अस्तबल एक तरफ और गायों को दूसरी तरफ रखा गया था.
थोड़ा और करीब जाने पर मैंने देखा कि गुरुद्वारा खिचड़ी साहिब का बोर्ड लगा हुआ था. डेरे के परिसर में एक कार, एक जीप और कुछ अन्य वाहन भी थे. बाहर कुछ बजरी थी जिससे लगता था कि हाल ही में कुछ निर्माण कार्य रोक दिया गया है. क्योंकि शिविर को पुलिस ने सील कर दिया था, इसलिए प्रवेश करना संभव नहीं था, लेकिन यह बाहर से दिखाई दे रहा था कि अंदर चार या पांच कमरे थे. खाने के सामान की बोरियां भी दिख रही थीं.
डेरे के बाहर आठ से दस पुलिसकर्मी तैनात थे. उन्होंने कहा कि इलाके के एसएचओ सहित कुछ पुलिसकर्मी भी अंदर हैं.
पुलिस कर्मियों ने कहा कि कुछ घंटे पहले यहीं ऑपरेशन हुआ था जो कई घंटों तक चला था. इसका नेतृत्व पटियाला आईजी जतिंदर सिंह औलख और जिला पुलिस प्रमुख मनदीप सिंह सिद्धू ने किया था. "अंदर से गोली चलाई गई थी, जिससे बाद पुलिस की कार्रवाई हुई और एक महिला सहित 11 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया. डेरा प्रमुख बलविंदर सिंह से बार-बार अपील की गई और उन्हें अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया, लेकिन जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो पुलिस ने अगला कदम उठाया. इस घटना में एक व्यक्ति निर्भो सिंह घायल हो गया और उसे तुरंत पटियाला अस्पताल में भेज दिया गया."
पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए, राज्य के पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने कहा कि आरोपियों ने डेरा परिसर में एलपीजी सिलेंडर रखे हुए थे और आरोपी पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए इन सिलेंडरों में आग लगाने के लिए तैयार थे. न केवल उन्होंने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया, बल्कि पुलिस को गालियां भी दीं और कहा कि अगर उनके करीब आए तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
पुलिस अधिकारियों ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में वो पांच व्यक्ति थे जिन्होंने पुलिस टीम पर हमला किया था. 50 वर्षीय डेरा मुखी बलविंदर सिंह भी उनमें शामिल थे.
क्योंकि अखंड साहिब का पाठ अंदर चल रहा था, आसपास के गांवों के कुछ लोग सेवा के लिए जा रहे थे ताकि पाठ बाधित न हो. देर शाम तक पुलिस की चौकसी जारी थी.
वहां आने वाले लोगों में बहुत उत्सुकता थी. ग्रामीणों में से एक ने कहा कि वह अक्सर लंगर के लिए यहां आते थे. "यहां लंगर की व्यवस्था बहुत अच्छी होती है."
जब उनसे घटना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि लोग हैरान थे कि डेरे के अंदर हथियार मौजूद थे. पास के गांव के एक अन्य निवासी ने कहा कि आसपास से कम लोग इस डेरे में आते थे.
वहां मौजूद एक अन्य व्यक्ति तो आरोपी के हित की बात कर रहा था. "बाबा ने जो किया वो गुस्से में आ कर किया होगा. लेकिन वह ऐसा व्यक्ति नहीं था."
इस पर एक पुलिसकर्मी बोल उठा कि डेरा प्रमुख के ख़िलाफ़ कई अन्य मामले दर्ज किए हैं और कई अन्य शिकायतें विचाराधीन हैं. शिविर से बाहर आए एक व्यक्ति ने भी इसमें हामी भरी और बोला, "यह सही बोल रहे हैं." फिर उसने अपना स्कूटर स्टार्ट किया और वहां से चला गया.
अधिकतर पुलिस वाले भी जाने की तैयारी में थे और जो वहां तैनात किए जाने थे उनको कुछ समझा रहे थे.
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