कोरोना वायरस: तब्लीग़ी जमात के लोगों पर नर्सों से बदतमीज़ी के आरोप में एनएसए नहीं लगा है ! ख़ुद को बेक़सूर बताते युवक......आरोप का सामना कर रहे एक युवक ने कहा, "हम पांच वक़्त के नमाज़ी हैं. कुरान की तिलावत करते हैं. क्या हमें ये शोभा देगा कि हम नगें घूमें. हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है. हम पर आरोप लगाया गया है कि हमने बीड़ी सिगरेट मांगी, क्या कोई भी समझदार व्यक्ति अस्पताल में बीड़ी या सिगरेट मांगेगा. सबको पता होता है कि अस्पताल में बीड़ी पीना मना होता है." नर्सों से छेड़ख़ानी के आरोप पर वो कहते हैं, "जब हमारा कोरोना का टेस्ट होने गया था तो हम इतने घबराए हुए थे कि अल्लाह का नाम लेने में लगे हुए थे. हम घबराए हुए थे कि कहीं टेस्ट पॉज़िटिव न आ जाए." महिला नर्सों से छेड़ख़ानी के आरोप के सवाल पर जमात से जुड़े एक युवा ने कहा, "हमारे सामने नर्स कभी आईं ही नहीं. जो मेडिकल स्टाफ़ हमारे वार्ड में आते थे वो ऐसे कपड़े पहने हुए होते थे कि ये पता नहीं चल पाता था कि वो लेडीज़ हैं या जेंट्स. वो पूरी तरह पैक होते थे."
पिछले दिनों ऐसी ख़बरें सुर्ख़ियों में रही थीं कि तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों ने ग़ाज़ियाबाद के एक अस्पताल में महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ अभद्र बर्ताव किया है और उनके ख़िलाफ़ एनएसए के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है.
इस मामले में तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों ने अपनी सफ़ाई में कहा है कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और 'यह जमात को बदनाम करने की साज़िश है'.
इस समय ग़ाज़ियाबाद के आरकेजीआईटी कॉलेज में क्वारंटीन में रह रहे इनमें से कुछ युवकों से बीबीसी ने फ़ोन पर बातचीत की है.
ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने मुक़दमा दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है. ग़ाज़ियाबाद पुलिस के पीआरओ ने बीबीसी को बताया, "इस संबंध में शिकायत के आधार पर मुक़दमा दर्ज किया गया है. तथ्यों के आधार पर जाँच चल रही है."
ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने अभी तक अभद्रता के मामले में कोई गिरफ़्तारी नहीं की है. ग़ाज़ियाबाद पुलिस के मुताबिक़ अभी ये युवक पुलिस हिरासत में नहीं हैं. फ़िलहाल ये सीएमओ की निगरानी में हैं.
ग़ाज़ियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र कुमार गुप्ता ने पुलिस को दी लिखित शिकायत में कहा था कि एमएमजी अस्पताल में क्वारंटीन किए गए जमात के सदस्यों ने अस्पताल की नर्सों के साथ बदसलूकी की है. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 'जमाती मरीज़ वार्ड में नंगे घूम रहे हैं और अश्लील गाने सुन रहे हैं.'
इसी शिकायत में ये भी कहा गया कि उन्होंने नर्सों को अश्लील इशारे किए और बीड़ी और सिगरेट मांगी.
पुलिस ने जमात से जुड़े पाँच युवकों पर एफ़आईआर दर्ज की है. बीबीसी से बातचीत में इन लोगों ने इन आरोपों पर हैरानी ज़ाहिर की है.
ऐसी ख़बरें भी आई थीं कि इन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) के तहत मुक़दमा चलाया जाएगा लेकिन ग़ाज़ियाबाद ज़िला और पुलिस प्रशासन ने बीबीसी से बातचीत में एनएसए लगाए जाने की पुष्टि नहीं की है.
ग़ाज़ियाबाद पुलिस के पीआरओ ने बीबीसी से कहा, "एनएसए जेल में बंद अपराधियों पर लगाया जाता है. अभी हमने उन्हें गिरफ़्तार ही नहीं किया है. अभी वो क्वारंटीन में हैं."
नर्सों के आरोप सामने आने के बाद ग़ाज़ियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथिनी ने कहा था, "हमने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसपी सीटी और एडीएम सिटी से जाँच करने के लिए कहा था. उन्होंने जाँच की और यह पाया कि शिकायत एफ़आईआर दर्ज करने योग्य है."
शिकायत की जाँच में शामिल एडीएम शैलेंद्र सिंह ने बीबीसी से कहा, "नर्सों ने अपने आरोप दोहराए हैं. हमने मुक़दमा दर्ज करने की संस्तुति की है."
ख़ुद को बेक़सूर बताते युवक
आरोप का सामना कर रहे एक युवक ने कहा, "हम पांच वक़्त के नमाज़ी हैं. कुरान की तिलावत करते हैं. क्या हमें ये शोभा देगा कि हम नगें घूमें. हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है. हम पर आरोप लगाया गया है कि हमने बीड़ी सिगरेट मांगी, क्या कोई भी समझदार व्यक्ति अस्पताल में बीड़ी या सिगरेट मांगेगा. सबको पता होता है कि अस्पताल में बीड़ी पीना मना होता है."
नर्सों से छेड़ख़ानी के आरोप पर वो कहते हैं, "जब हमारा कोरोना का टेस्ट होने गया था तो हम इतने घबराए हुए थे कि अल्लाह का नाम लेने में लगे हुए थे. हम घबराए हुए थे कि कहीं टेस्ट पॉज़िटिव न आ जाए."
महिला नर्सों से छेड़ख़ानी के आरोप के सवाल पर जमात से जुड़े एक युवा ने कहा, "हमारे सामने नर्स कभी आईं ही नहीं. जो मेडिकल स्टाफ़ हमारे वार्ड में आते थे वो ऐसे कपड़े पहने हुए होते थे कि ये पता नहीं चल पाता था कि वो लेडीज़ हैं या जेंट्स. वो पूरी तरह पैक होते थे."
वो कहते हैं, "नर्स तो कभी हमारे वार्ड में आई ही नहीं. वो तो दूर से, शीशे से देखती थीं. ना उनकी कोई आवाज़ हमें आती थी और ना ही हमारी कोई आवाज़ उन्हें जाती होगी."
ये पूछने पर कि क्या उनका अस्पताल के किसी कर्मचारी से कोई विवाद हुआ था, उनका कहना था, "हमारा किसी से कोई विवाद नहीं हुआ था. एक अप्रैल को हमसे कहा गया था कि हमारी रिपोर्टें नेगेटिव हैं और हमें घर भेज दिया जाएगा."
उनका कहना है, "नर्स ने हमसे कहा था कि हमें घर भेज दिया जाएगा. बाद में क्या हुआ हमें नहीं पता. हम पर आरोप लगा दिए गए. मीडिया को बुलाया गया और हमारी तस्वीरें खींची गईं."
नेगेटिव आने वाले जमात के लोगों को ग़ाज़ियाबाद के आरकेजीआईटी कॉलेज में क्वारंटीन में भेज दिया गया. जबकि एक व्यक्ति में कोरोना की पुष्टि होने के बाद उन्हें ग़ाज़ियाबाद के ही एक दूसरे सेंटर में भेजा गया है.
बीबीसी ने ग़ाज़ियाबाद के सीएमओ नरेंद्र गुप्ता से उनका पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका.
इन युवकों का आरोप है कि पुलिस बार-बार उनके कमरे में आती है और उनके वीडियो बनाती है. एक युवक ने कहा, "पुलिसवाले कभी भी हमारे कमरे में आ जाते हैं. दरवाज़ा पीटते हैं. हमें डर लगता है. हम नहीं जानते आगे हमारे साथ क्या होगा."
इन युवकों का ये भी कहना है कि उन्हें अपने ऊपर दर्ज एफ़आईआर के बारे में न कोई जानकारी है और न ही उसकी कोई कॉपी उन्हें दी गई है.
बीबीसी से जब इनके परिजनों से बात की तो उनका कहना था कि प्रशासन की ओर से अभी उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, ना ही किसी ने कोई संपर्क किया है.
इन युवकों का कहना है कि ये 22 से 26 मार्च के बीच दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ गए थे. मरकज़ में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद उन्हें क्वारंटीन किया गया.
ग़ाज़ियाबाद में जमात से जुड़े लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. हालांकि बीबीसी से बात करने वाले पांचों युवक कोरोना नेगेटिव हैं.
देश भर में तब्लीग़ जमात से जुड़े बहुत सारे लोगों को क्वारंटीन किया गया है जबकि अब तक पॉज़िटिव पाए गए तक़रीबन डेढ़ हज़ार मामलों की कड़ी जमात से जुड़ी है.
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