लॉकडाउन का लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिन में लॉकडाउन कोरोना को हरा देना. जो पहली रणनीति थी वो नाकाम हो गई है. सरकार को ये स्वीकार कर लेना चाहिए और देश को बताना चाहिए कि वो अब क्या सोच रही है. मज़दूरों की किस तरह मदद करेगी. प्रवासियों के लिए क्या किया जाएगा, ये सब चीज़ें सरकार को देश को बतानी चाहिए. राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लॉकडाउन के फ़ैसले की आलोचना की है.
उन्होंने कहा कि 'सरकार का काम गवर्नेंस का होता है, हमारा काम अपोज़िशन का है, सरकार पर दबाव बनाने का है. अगर कोई ख़तरा है, जिसे सरकार नज़रअंदाज़ कर रही है, उसे नज़र में लाना ही हमारा काम है.'
पढ़िए, उन्होंने और क्या-क्या कहा:
- मैंने फ़रवरी में ही कहा था कि बहुत ख़तरनाक हालात होने जा रहे हैं. मैं आज भी वही बात कह रहा हूं कि अगर वित्तीय मदद नहीं दी, छोटे और मध्यम उद्योगों की रक्षा नहीं की गई तो जो नुक़सान होने वाला है अभी तक वो दिखा भी नहीं है.
- जो चेतावनी मैंने फरवरी में दी थी, वही अब दे रहा हूं. मैं पूरे सम्मान से सरकार से कह रहा हूं कि प्लीज़ आप आर्थिक क़दम उठाइये, छोटे उद्योगों की रक्षा कीजिए, नहीं तो बहुत बड़ा आर्थिक नुक़सान होने वाला है.
- मैं नरेंद्र मोदी जी को कह रहा हूं कि जो आर्थिक पैकेज आपने दिया है, उससे कुछ नहीं होने वाला है. नरेंद्र मोदी ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, उससे कुछ नहीं होने वाला. लोगों को सीधे उनके खाते में पैसे दिए जाएँ. 50% लोगों के खाते में सीधे 7500 रुपए दिए जाएँ.
- जो फ़ैसला लेने वाले लोग हैं, उनकी राय है कि अगर हमने बहुत सारा पैसा गरीब लोगों को दे दिया, मज़दूरों को दे दिया, तो बाहर देशों में गलत छवि बनेगी, हमारी रेटिंग ख़राब हो जाएगी.
- मैं फिर से दोहरा रहा हूं. भारत की शक्ति, बाहर से नहीं बनती है, हिंदुस्तान की ताक़त हिंदुस्तान के भीतर है.
- मज़दूरों को लग रहा है कि उन्हें अकेले छोड़ दिया गया है. कई लोगों ने मुझसे कहा कि भरोसा हमारा टूट गया है. जब कोई भारतीय इन शब्दों का इस्तेमाल करता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता.
- मैं नहीं चाहता कि किसी भी भारतीय को इन शब्दों का इस्तेमाल करना पड़े. अब अधिक से अधिक लोग कह रहे हैं कि भरोसा टूट गया. किसी का भरोसा नहीं टूटना चाहिए.
- सरकार चाहे तो अभी मज़दूरों की मदद कर सकती है, साढ़े सात हज़ार रुपए हर महीने दे सकती है और देने भी चाहिए. ये दुर्भाग्यपूर्ण है, मेरा मानना है कि लोग पहले भारतीय हैं और फिर किसी राज्य के हैं. कोई राज्य के बाहर जाकर काम करना चाहता है, ये फ़ैसला किसी मुख्यमंत्री को नहीं लेना है बल्कि उस व्यक्ति को लेना है.
- हर भारतीय के पास देश में कहीं भी जाकर अपने सपने पूरे करने का अधिकार हैं. ये लोग उत्तर प्रदेश की संपत्ति नहीं हैं, बल्कि भारत के नागरिक हैं. हमारा काम उनके सपने पूरे करने में मदद करना है ना कि ये तय करना कि वो कहां काम करेंगे, कहां नहीं.
- लॉकडाउन का लक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21 दिन में लॉकडाउन कोरोना को हरा देना. जो पहली रणनीति थी वो नाकाम हो गई है. सरकार को ये स्वीकार कर लेना चाहिए और देश को बताना चाहिए कि वो अब क्या सोच रही है. मज़दूरों की किस तरह मदद करेगी. प्रवासियों के लिए क्या किया जाएगा, ये सब चीज़ें सरकार को देश को बतानी चाहिए.
- सीमा विवाद के डिटेल्स सरकार को पारदर्शी तरीक़े से देश को बताना चाहिए क्योंकि इस मामले पर स्पष्ट तरीके से जानकारी नहीं है. नेपाल के साथ और चीन के साथ क्या हुआ है, इस पर पारदर्शिता लानी चाहिए. प्रेस कॉन्फ़्रेंस में इस मामले पर नहीं बोलना चाहता, जब तक इस मामले पर सरकार कुछ नहीं बताती मैं नहीं बोल सकता.
- प्रधानमंत्री स्वयं ये स्वीकार करेंगे कि उनकी पहली योजना नाकाम हो गई है. हम भी यही पूछ रहे हैं कि प्रधानमंत्री ये बताएं कि अब क्या करना है. पहले तो तीन बार उन्होंने फ्रंटफुट पर खेला. लेकिन अब प्रधानमंत्री देश को दिखाई नहीं दे रहे हैं. प्रधानमंत्री बैकफुट पर चले गए हैं, मैं विपक्ष से होकर कह रहा हूं कि वो फिर से फ्रंट पर आएं.
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