विशाखापट्टनम गैस लीक: 'पैसा नहीं चाहिए, हमारे बच्चे लौटा दीजिए'
विशाखापट्टनम गैस लीक त्रासदी की वजह से कई परिवार सदमे में हैं.
कम से कम 11 लोगों को इस हादसे में अपनी जान गंवानी पड़ी है. 400 से ज़्यादा लोग विशाखापट्टनम के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.
विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज हॉस्पिटल में अपने परिवारीजनों को खो चुके लोग ग़म में डूबे हुए हैं.
यहां हम कुछ उन लोगों की आपबीती बता रहे हैं, जिनमें एक महिला का परिवार ग़ायब है, एक बेटा जो अपनी मां को गंवा चुका है और एक पत्नी जो अपने पति को खो चुकी है.
बंतू सीता को उनके पति और बच्चे नहीं मिल रहे हैं. हादसे की सुबह उनके साथ क्या हुआ, इसके बारे में उन्होंने बीबीसी को बताया.
बंतू सीता की कहानी
"मैं कल के मुक़ाबले आज बेहतर महसूस कर रही हूं. हालांकि, मुझे सांस लेने में अभी भी कुछ तकलीफ़ है. उन्होंने मुझे दवाइयां दी हैं. उन्होंने मुझे फ्लूइड दिए. हम वेंकटपुरम गांव में 12 साल पहले आए थे. मैं गर्भवती थी जब हम वहां पहुंचे थे. मैंने पहले कभी इस तरह के हादसे के बारे में नहीं सुना था."
"उस सुबह, एक शख्स मदद के लिए चिल्ला रहा था. लेकिन हम वहां जाने की स्थिति में नहीं थे. हम घबराकर भागने लगे. हमें ये नहीं पता था कि हम कहां जा रहे हैं. हम उल्टी के बाद ही होश में आ पाए. कुछ लोग हमारे घर की तरफ आए और उन्होंने बताया कि गैस लीक हुई है और उन्होंने हमसे भी जल्द से जल्द भागने के लिए कहा."
"अंधेरे का वक्त था और हमें अपने घर की चाबियां नहीं मिलीं. हम घर के अंदर फंस गए थे. ऐसे में हम दरवाजा तोड़कर बाहर आए और भागने लगे. फिर हम बेहोश हो गए. वहां एक एक साल की लड़की और एक पांच साल का बच्चा था. उनके साथ एक 25 साल का आदमी भी था जिसकी हाल में ही शादी हुई थी."
'हमारे बच्चे लौटा दीजिए'
"मैंने इन बच्चों को बेहोशी की हालत में देखा और मुझे पता चला कि वह शख्स मर चुका था. वह अब अस्पताल की मोर्चुरी में है. किसी को भी उनका पता नहीं मालूम है. मेरे बच्चे अभी भी गुम हैं. मैं उन्हें ढूंढ नहीं पाई हूं."
"सरकार ने खोए हुए लोगों के बारे में कोई इश्तेहार नहीं दिया है. इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्या कुछ बच्चे जिंदा जल गए हैं. वे कह रहे हैं कि आठ से ज्यादा लोग मरे हैं. मैं नहीं समझ पा रही हूं कि क्या हुआ है. पैसा किसे चाहिए. हमें पैसा नहीं चाहिए."
"हमें हमारे बच्चे लौटा दीजिए. क्या वे फिर से पैदा हो पाएंगे? मुझे अपने पति का भी पता नहीं चला है. कुछ लोग बता रहे हैं वह मर चुके हैं और अधिकारी इस वजह से यह बात नहीं बता रहे हैं क्योंकि मुझे इससे सदमा लग सकता है. मुझे लग रहा है कि मैंने उन्हें खो दिया है."
पवन का ग़म
हादसे में अपनी मां को खो चुके पवन बताते हैं, "इस गैस लीक की वजह से मेरी मां नहीं रही. मुझे बेहद दुख है. मेरी मां एक गटर में गिर गईं और सांस नहीं ले पाने की वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया."
"हमारे शरीर में सांस के ज़रिए बहुत गैस चली गई थी. सुबह के करीब तीन बजे थे. हम भागकर गेट पर आए और हम सांस नहीं ले पा रहे थे. हम बाहर आए और जैसे ही हम आगे बढ़े हम गिर गए. मेरी मां बेहोश हो गई और वह गटर में गिर गईं. वह उठ नहीं पाईं. सांस नहीं ले पाने के चलते वह मर गईं."
नेबारी क्या करेंगी?
नेबारी इस हादसे में अपनी पति को खो चुकी हैं.
वो बताती हैं, "मेरे पति ने मुझे घर से खींचकर बाहर निकाला. उसके बाद हमें नहीं पता चला कि हम कहां जा रहे हैं. मैं बेहोश थी और जब मैं होश में आई तो मैं गोपालपट्टनम में एक हॉस्पिटल में थी. बाद में वे मुझे केजी हॉस्पिटल में ले आए."
"उन्होंने कहा कि मुझे मेरा परिवार यहां मिलेगा. यहां शुरुआत में उन्होंने उनके बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन बाद में उन्होंने बताया कि मेरे पति मर गए हैं. मैंने उनकी बॉडी तक नहीं देखी है. उनका नाम नानी है. हमारे दो बच्चे हैं. मेरे पति दिहाड़ी मजदूर हैं."
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