यूपी: एक साथ 25 स्कूलों में पढ़ाकर 1 करोड़ वेतन लेने का क्या है मामला

अनामिका शुक्लाइमेज कॉपीरइटASHOK SHARMA

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में कथित तौर पर फ़र्जीवाड़ा करके 25 स्कूलों में एक साथ पढ़ाने वाली टीचर अनामिका शुक्ला को शनिवार को कासगंज में गिरफ़्तार कर लिया गया.
अनामिका शुक्ला को बेसिक शिक्षा विभाग ने नोटिस भेजा था लेकिन नोटिस का जवाब देने के बजाय वो इस्तीफ़ा देने गई थीं जहां उन्हें नाटकीय ढंग से गिरफ़्तार कर लिया गया.
पुलिस के मुताबिक़, बेसिक शिक्षा अधिकारी कासगंज की तहरीर पर मामला दर्ज करके शिक्षिका अनामिका शुक्ला को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि गिरफ़्तार अनामिका शुक्ला वही हैं जिन्होंने वास्तव में ये फ़र्ज़ीवाड़ा किया है या फिर फ़र्ज़ीवाड़ा करने वाली अनामिका शुक्ला कोई और हैं.
कासगंज की बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल ने बीबीसी को बताया, "इस मामले की जानकारी आने के बाद हमने अनामिका शुक्ला नाम की इस टीचर को नोटिस भेजा था. शनिवार को उन्होंने एक व्यक्ति के माध्यम से अपना इस्तीफ़ा भिजवाया. पूछने पर पता चला कि वो ख़ुद भी हमारे दफ़्तर के बाहर आई हुई हैं. इस बारे में पुलिस को सूचना दी गई और फिर पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया."
गिरफ़्तारी के बाद टीचर ने वहां मौजूद पत्रकारों से अपना नाम अनामिका सिंह बताया और बाद में पुलिस को कुछ और नाम बताया. हालांकि पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.
अनामिका शुक्ला पर आरोप हैं कि उन्होंने फ़र्ज़ीवाड़ा करके इतनी जगहों पर एक साथ नौकरी करके एक साल में एक करोड़ रुपये से भी ज़्यादा तनख़्वाह ली है.
गिरफ़्तार की गईं अनामिका शुक्ला कासगंज ज़िले के कस्तूरबा विद्यालय फ़रीदपुर में विज्ञान की शिक्षिका के तौर पर क़रीब डेढ़ साल से तैनात हैं.
शुक्रवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल ने उनके वेतन आहरण पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया था. कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति कांट्रैक्ट के आधार पर होती है और हर महीने उन्हें तीस हज़ार रुपये वेतन मिलता है.

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यह मामला तब सामने आया जब बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का डेटाबेस तैयार करना शुरू किया. इस दौरान विभाग को अनामिका शुक्ला का नाम 25 स्कूलों की लिस्ट में मिला.
इस जानकारी के बाद विभाग में हड़कंप मच गया और तुरंत इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए. अनामिका शुक्ला के नाम पर मौजूद दस्तावेज़ों पर अमेठी, आंबेडकरनगर, रायबरेली, प्रयागराज, अलीगढ़ समेत एक साथ 25 स्कूलों में टीचर नौकरी करती पाई गईं.
अनामिका शुक्ला को बीते 13 महीने में 25 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में क़रीब एक करोड़ रुपये के मानदेय का भुगतान किया गया है.
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह सारा पैसा एक ही बैंक खाते में गया है या फिर अलग-अलग खातों में भुगतान किया गया. फ़िलहाल इसकी जांच की जा रही है.
कासगंज की बीएसए अंजलि अग्रवाल बताती हैं, "तनख़्वाह तो ये इसी विद्यालय की ले रही थीं. अन्य जगहों पर इसी नाम से काम कर रही टीचर की तनख़्वाह इनके खाते में आई है या नहीं, ये जानने की कोशिश हो रही है. यह भी जांच का विषय है कि जिस अनामिका शुक्ला के दस्तावेज़ों पर 25 जगहों पर लोग नौकरी कर रहे हैं और तनख़्वाह ले रहे हैं, वो यही हैं या फिर कोई और. हमें ऑनलाइन वेरिफ़िकेशन के दौरान जो डॉक्यूमेंट्स मिले हैं उसमें और इनके आधार कार्ड में एक ही नाम है और पिता का भी नाम वही है. डॉक्यूमेंट्स में जो फ़ोटो लगी है वह बहुत धुंधली है."

कासगंज की बीएसए अंजलि अग्रवालइमेज कॉपीरइटASHOK SHARMA
Image captionकासगंज की बीएसए अंजलि अग्रवाल

गिरफ़्तारी के बाद अनामिका शुक्ला ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें नौकरी दिलाने में एक व्यक्ति ने मदद की थी जिसे उन्होंने एक लाख रुपये भी दिए थे.
कासगंज में स्थानीय पत्रकार अशोक शर्मा बताते हैं कि यह बात भी समझ से परे है कि यदि यह वही अनामिका शुक्ला नहीं हैं जिनका नाम इस कथित फ़र्ज़ीवाड़े में आ रहा है, तो इन्हें नोटिस का जवाब देने की बजाय इस्तीफ़ा देने की क्या ज़रूरत थी?
हालांकि बेसिक शिक्षा अधिकारी को वॉट्सऐप पर ही किसी अनामिका शुक्ला का इस्तीफ़ा शुक्रवार को रायबरेली में भी काफ़ी चर्चा बटोर रहा था लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि किसी भी स्रोत से नहीं हो सकी है.
क़यास यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह बेसिक शिक्षा विभाग के ही कुछ लोगों की मिलीभगत से भी हो सकता है क्योंकि कोई एक टीचर अकेले दम पर इतना बड़ा फ़र्जीवाड़ा नहीं कर सकता है.
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने मामले के संज्ञान में आने के बाद मुक़दमा दर्ज करने और दोषी पाए जाने पर सख़्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. अब अनामिका शुक्ला की गिरफ़्तारी और उनसे पूछताछ के बाद और भी बातें सामने आएंगी.

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