विकास दुबे उज्जैन के महाकाल मंदिर में गिरफ़्तार, जल्द सौंपा जाएगा यूपी पुलिस को
कानपुर में आठ पुलिकर्मियों की हत्या के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ़्तार कर लिया गया है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप देगी. इस बारे में उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हो चुकी है.
शिवराज सिंह चौहान ने भी विकास दुबे को गिरफ़्तार करने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को बधाई दी है.
उन्होंने ट्वीट किया है, "जिनको लगता है कि महाकाल की शरण में जाने से उनके पाप धुल जाएंगे उन्होंने महाकाल को जाना ही नहीं. हमारी सरकार किसी भी अपराधी को बख़्शने वाली नहीं है."
इससे पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने विकास दुबे की गिरफ़्तारी की पुष्टि की लेकिन ज़्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया.
नरोत्तम मिश्र ने विकास दुबे की गिरफ़्तारी को मध्य प्रदेश पुलिस की बड़ी क़ामयाबी बताया और कहा कि विकास दुबे अभी मध्य प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है.
बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने पकड़कर मध्य प्रदेश पुलिस को सौंपा.
ये भी कहा जा रहा है कि विकास दुबे ने महाकाल मंदिर में पहुंचने की सूचना किन्हीं स्रोतों से ख़ुद पुलिस तक पहुंचाई थी.
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कब से थी विकास दुबे की तलाश?
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़ कानपुर ज़िले में एक सर्किल ऑफ़िसर समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में बीते 6 दिनों से पुलिस को विकास दुबे की तलाश थी.
पुलिस के अनुसार शुक्रवार, 2-3 जुलाई की रात को कानपुर ज़िले के थाना चौबेपुर में पड़ने वाले बिकरु गाँव में यह गोली-काण्ड हुआ था.
यूपी पुलिस का कहना है कि राहुल तिवारी नाम के एक शख़्स ने विकास दुबे के ख़िलाफ़ धारा-307 के तहत मुक़दमा दर्ज कराया था जिसके बाद पुलिस दुबे के घर दबिश करने गई थी.
इस घटना के बाद कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बीबीसी को बताया था कि जिस मामले में पुलिस विकास दुबे के यहां दबिश डालने गई थी वह भी हत्या से जुड़ा मामला था और विकास दुबे उसमें नामज़द हैं.
विकास दुबे के ख़िलाफ़ पहले भी कई मामले दर्ज हैं. चौबेपुर थाने में दर्ज मुक़दमों के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले क़रीब तीन दशक से अपराध की दुनिया से विकास दुबे का नाम जुड़ा हुआ है. कई बार उनकी गिरफ़्तारी भी हुई लेकिन अब तक किसी मामले में सज़ा नहीं मिल सकी है.
कानपुर में स्थानीय पत्रकार प्रवीण मोहता बताते हैं, "हर राजनीतिक दल में विकास दुबे की पैठ है और यही वजह है कि आज तक उन्हें नहीं पकड़ा गया. कभी पकड़ा भी गया तो कुछ ही दिनों में वो जेल से बाहर आ गया."
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