हागिया सोफिया में नमाज़ पढ़ने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़


हागिया सोफ़ियाइमेज कॉपीरइटBULENT KILIC/AFP VIA GETTY IMAGES
तुर्की के इस्तांबुल में ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के बाद वहाँ पहली बार शुक्रवार को नमाज़ अदा की गई. यहां हज़ारों की संख्या में लोग नमाज़ अदा करने आए.
बीबीसी तुर्की सेवा की संवाददाता नेरान एल्डेन बताती हैं कि तुर्की के कई शहरों से लोग यहां नमाज़ पढ़ने आए थे और अज़ान का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. हागिया सोफिया के आसपास घास में मैदानों पर लोगों ने नमाज़ अदा की.
इस दौरान हागिया सोफिया के आसपास के इलाक़े में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. हालांकि कुछ लोग एक जगह पर पुलिस नाके को तोड़ते हुए हागिया सोफिया परिसर में घुस आए और वहां उन्होंने तुर्की का झंडा फहराया.
हागिया सोफ़ियाइमेज कॉपीरइटEPA/TOLGA BOZOGLU
इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलिकाया ने कहा है कि "मुसलमान काफ़ी उत्सुक हैं, हर कोई आज के दिन यहां मौजूद रहना चाहता है."
पिछले दिनों तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने हागिया सोफिया को म्यूजियम से मस्जिद में बदलने का आदेश दिया था.
1500 पुराने यूनेस्को के विश्व हिरासत केंद्र को 1934 में म्यूज़ियम बनाया गया था. इस महीने के शुरू में तुर्की की एक अदालत ने हागिया सोफ़िया म्यूज़ियम को मस्जिद में बदलने का रास्ता साफ़ कर दिया था. कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि हागिया सोफ़िया अब म्यूज़ियम नहीं रहेगा और 1934 के कैबिनेट के फ़ैसले को रद्द कर दिया.
इसके बाद अर्दोआन ने घोषणा की कि विश्व प्रसिद्ध हागिया सोफ़िया में 24 जुलाई से नमाज़ अदा की जाएगी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि हागिया सोफ़िया सभी मुसलमानों, ग़ैर मुसलमानों और पर्ययकों के लिए भी खुला रहेगा.
लेकिन इस फ़ैसले की दुनियाभर के कई धार्मिक नेताओं और राजनेताओं ने आलोचना भी की थी.
गुरुवार को टेलीविज़न पर दिए अपने संबोधन में इस्तांबुल के गवर्नर येरलिकाया ने अपील की कि हागिया सोफ़िया में शुक्रवार की नमाज़ के लिए आने वाले अपने लिए फ़ेस मास्क और कालीन लेकर आएँ, साथ ही उन्होंने लोगों से संयत रहने और समझदारी दिखाने की अपील की है.
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है. गवर्नर ने ये भी बताया कि वहाँ हेल्थकेयर वर्कर्स भी तैनात रहेंगे. तुर्की के धार्मिक मामलों के मंत्री अली अरबास ने कहा कि एक समय में हागिया सोफ़िया में क़रीब 1000 लोग नमाज़ के लिए आ सकते हैं.
उन्होंने ये भी बताया कि हागिया सोफ़िया के अंदर कुछ बदलाव किए गए हैं और एक गार्डन सेटअप तैयार किया गया है. उन्होंने ये भी बताया कि हागिया सोफ़िया रात भर खुला रहेगा.
ये भी माना जा रहा है कि राष्ट्रपति अर्दोआन भी शुक्रवार को नमाज़ के लिए आ सकते हैं.
रिचेप तैय्यप अर्दोआनइमेज कॉपीरइटREUTERS

विवाद क्या है इस पर

तुर्की में कई इस्लामिक ग्रुप्स और कई मुसलमानों ने लंबे समय से हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदलने की मांग कर रहे थे, लेकिन दूसरी ओर धर्मनिरपेक्ष विपक्षी इस क़दम का विरोध कर रहे थे.
जब 10 जुलाई को अर्दोआन ने हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदलने का ऐलान किया था, उस समय इसकी काफ़ी आलोचना हुई थी.
1500 वर्ष पहले हागिया सोफ़िया का निर्माण हुआ था. इसे 1453 में मस्जिद में बदल दिया गया था.
तुर्की का हागिया सोफ़िया दुनिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक रहा है. इसे छठी सदी में बाइज़ेंटाइन सम्राट जस्टिनियन के हुक्म से बनाया गया था.
तुर्की के धार्मिक मामलों के निदेशालय के प्रमुख ने बुधवार को हागिया सोफिया का दौरा किया और तैयारियों का जायज़ा लिया था.इमेज कॉपीरइटREUTERS
Image captionतुर्की के धार्मिक मामलों के निदेशालय के प्रमुख ने बुधवार को हागिया सोफिया का दौरा किया और तैयारियों का जायज़ा लिया था.
शुक्रवार को इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलिकाया ने हागिया सोफिया के भीतर की कुछ तस्वीरें ट्वीट की थीं.इमेज कॉपीरइटALI YERLIKAYA
Image captionशुक्रवार को इस्तांबुल के गवर्नर अली येरलिकाया ने हागिया सोफिया के भीतर की कुछ तस्वीरें ट्वीट की थीं.
बाइज़ेन्टीन दौर का ये कैथेड्रल दीवारों पर यीशू और वर्जिन मेरी की तस्वीरों के लिए भी जाना जाता है.इमेज कॉपीरइटREUTERS
Image captionबाइज़ेन्टीन दौर का ये कैथेड्रल दीवारों पर यीशू और वर्जिन मेरी की तस्वीरों के लिए भी जाना जाता है.
अब इस इसे दोबारा मस्जिद में तब्दील कर दिया गया है. यह संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक मामलों की संस्था यूनेस्को के विश्व धरोहरों की सूची में आता है. जब उस्मानिया सल्तनत ने 1453 में क़ुस्तुनतुनिया (जिसे बाद में इस्तांबुल का नाम दिया गया) शहर पर क़ब्ज़ा किया तो इस चर्च को मस्जिद बना दिया गया था.
इस्तांबुल में बने ग्रीक शैली के इस चर्च को स्थापत्य कला का अनूठा नमूना माना जाता है जिसने दुनिया भर में बड़ी इमारतों के डिज़ाइन पर अपनी छाप छोड़ी है.
पोप फ़्रांसिस ने तुर्की के इस क़दम पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि वे सांता सोफ़िया के बारे में सोचते हैं और उन्हें इससे काफ़ी पीड़ा हुई है.
द वर्ल्ड काउंसिल ऑफ़ चर्चेज़ ने इस फ़ैसले को बदलने की मांग की थी. इस काउंसिल में दुनियाभर के 350 चर्च शामिल हैं. काउंसिल का कहना है कि इस फ़ैसले से दुनियाभर में विभाजन के बीज पनपेंगे.
लेकिन राष्ट्रपति अर्दोआन ने इस क़दम का बचाव किया है. उनका कहना है कि तुर्की ने अपनी संप्रभु शक्तियों का इस्तेमाल किया है.
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पहले विश्व युद्ध में तुर्की की हार और फिर वहां उस्मानिया सल्तनत के ख़ात्मे के बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा का शासन आया. उन्हीं के शासन में 1934 में इस मस्जिद (मूल रूप से हागिया सोफ़िया चर्च) को म्यूज़ियम बनाने का फ़ैसला किया गया.
आधुनिका काल में तुर्की के इस्लामवादी राजनीतिक दल इसे मस्जिद बनाने की माँग लंबे समय से करते रहे हैं जबकि धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ पुराने चर्च को मस्जिद बनाने का विरोध करती रही हैं. इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ भी आई हैं जो धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष आधार पर बँटी हुई हैं.

क्या है इतिहास?

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गुम्बदों वाली ऐतिहासिक इमारत इस्तांबुल में बॉस्फ़ोरस नदी के पश्चिमी किनारे पर है, बॉस्फ़ोरस वह नदी है जो एशिया और यूरोप की सीमा तय करती है, इस नदी के पूर्व की तरफ़ एशिया और पश्चिम की ओर यूरोप है.
सम्राट जस्टिनियन ने सन 532 में एक भव्य चर्च के निर्माण का आदेश दिया था, उन दिनों इस्तांबुल को कॉन्सटेनटिनोपोल या क़ुस्तुनतुनिया के नाम से जाना जाता था, यह बैजेंटाइन साम्राज्य की राजधानी थी जिसे पूरब का रोमन साम्राज्य भी कहा जाता था.
इस शानदार इमारत को बनाने के लिए दूर-दूर से निर्माण सामग्री और इंजीनियर लगाए गए थे.
यह तुर्की के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
यह चर्च पाँच साल में बनकर 537 में पूरा हुआ, यह ऑर्थोडॉक्स परंपरा को मानने वाले ईसाइयों का अहम केंद्र तो बन ही गया, बैजेंटाइन साम्राज्य की ताक़त का भी प्रतीक बन गया, राज्यभिषेक जैसे अहम समारोह इसी चर्च में होते रहे.
हागिया सोफ़िया जिसका मतलब है 'पवित्र विवेक', यह इमारत क़रीब 900 साल तक ईस्टर्न ऑर्थोडॉक्स चर्च का मुख्यालय रही.
लेकिन इसे लेकर विवाद सिर्फ़ मुसलमानों और ईसाइयों में ही नहीं है, 13वीं सदी में इसे यूरोपीय ईसाई हमलावरों ने बुरी तरह तबाह करके कुछ समय के लिए कैथोलिक चर्च बना दिया था.
1453 में इस्लाम को मानने वाले ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान मेहमद द्वितीय ने क़ुस्तुनतुनिया पर क़ब्ज़ा कर लिया, उसका नाम बदलकर इस्तांबूल कर दिया और इस तरह बाइज़ेन्टाइन साम्राज्य का ख़ात्मा हमेशा के लिए हो गया.
सुल्तान मेहमद ने आदेश दिया कि हागिया सोफ़िया की मरम्मत की जाए और उसे एक मस्जिद में तब्दली कर दिया जाए. इसमें पहले जुमे की नमाज़ में सुल्तान ख़ुद शामिल हुए. ऑटोमन साम्राज्य को सल्तनत-ए-उस्मानिया भी कहा जाता है.
इस्लामी वास्तुकारों ने ईसायत की ज़्यादातर निशानियों को तोड़ दिया या फिर उनके ऊपर प्लास्टर की परत चढ़ा दी. पहले यह सिर्फ़ एक गुंबद वाली इमारत थी लेकिन इस्लामी शैली की छह मीनारें भी इसके बाहर खड़ी कर दी गईं.
17वीं सदी में बनी तुर्की की मशहूर नीली मस्जिद सहित दुनिया की कई मशहूर इमारतों के डिज़ाइन की प्रेरणा हागिया सोफ़िया को ही बताया जाता है.
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पहले विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा, साम्राज्य को विजेताओं ने कई टुकड़ों में बाँट दिया. मौजूदा तुर्की उसी ध्वस्त ऑटोमन साम्राज्य की नींव पर खड़ा है.
आधुनिक तुर्की के निर्माता कहे जाने वाले मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किया और इसी सिलसिले में हागिया सोफ़िया को मस्जिद से म्यूज़ियम में बदल दिया.
1935 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया तब से यह दुनिया के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक रहा है.
क़रीब डेढ़ हज़ार साल के इतिहास की वजह से तुर्की ही नहीं, उसके बाहर के लोगों के लिए भी बहुत अहमियत रखता है, ख़ास तौर पर ग्रीस के ईसाइयों और दुनिया भर के मुसलमानो के लिए.
तुर्की में 1934 बने क़ानून के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन होते रहे हैं जिसके तहत हागिया सोफ़िया में नमाज़ पढ़ने या किसी अन्य धार्मिक आयोजन पर पाबंदी है.
राष्ट्रपति अर्दोआन इन इस्लामी भावनाओं का समर्थन करते रहे हैं और हागिया सोफ़िया को म्यूज़ियम बनाने के फ़ैसले को ऐतिहासिक ग़लती बताते रहे हैं, वे लगातार कोशिशें करते रहे हैं कि इसे दोबारा मस्जिद बना दिया जाए.
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