पाकिस्तान ने कहा कश्मीर पर सऊदी अरब और चीन की राय स्पष्ट
दो दिनों की चीन यात्रा से लौटने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमदू क़ुरैशी ने कहा है कि उनका ये चीन का दौरा बहुत ज़रूरी था और यह कह सकते हैं कि चीन का कश्मीर के मसले पर नज़रिया बिल्कुल स्पष्ट है जिसमें उन्हें कोई शक-ओ-शुब्हा नहीं है.
शाह महमूद क़ुरैशी ने ये भी कहा कि कश्मीर के मसले पर इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी के प्रस्तावों में कोई संदेह नहीं है और सऊदी अरब का दृष्टिकोण भी ओआईसी से अलग नहीं है.
क़ुरैशी ने सोमवार को इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान ये बातें कहीं. इसी महीने की 20-21 अगस्त को उन्होंने चीन का दौरा किया था.
उन्होंने कहा कि एक साल में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर के मुद्दे पर तीन बैठकें हुईं हैं जो कि चीन की मदद के बग़ैर संभव नहीं था.
उन्होंने कहा कि चीन ने बिल्कुल स्पष्ट तरीक़े से कहा है कि पाँच अगस्त 2019 को भारत के ज़रिए उठाया गया क़दम एकतरफ़ा कार्रवाई है जिसे चीन ख़ारिज करता है.
पाँच अगस्त, 2019 को भारत की मोदी सरकार ने भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को ख़त्म कर दिया था और उसके राज्य के दर्जे को भी ख़त्म करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था.
पाकिस्तान ने भारत के इस क़दम को कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ क़रार दिया था.
क़ुरैशी के अनुसार चीन ने कहा है कि वो पाकिस्तान और चीन के द्विपक्षीय रणनीतिक हित को सुरक्षित रखेगा ताकि इस क्षेत्र की शांति और विकास को सुनिश्चित किया जा सके, जो कि उनके मुताबिक़ सीपेक (चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर) पर उठने वाले विरोध का जवाब है.
भारत की प्रतिक्रिया पर एतराज़
इस मौक़े पर शाह महमूद क़ुरैशी ने ये भी कहा कि उनकी चीन यात्रा के दौरान जारी किए गए संयुक्त बयान पर भारत की प्रतिक्रिया का कोई तुक नहीं है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन-पाकिस्तान के साझा बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का कुछ हिस्सा भारत के क्षेत्र में है जिस पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से क़ब्ज़ा किया हुआ है.
उन्होंने कहा था, "हम पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले जम्मू-कश्मीर के मामले में यथास्थिति बदलने की किसी भी देश की कोशिश का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि भारत के अंदरूनी मामलों में कोई देश हस्तक्षेप नहीं करेगा."
सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि चीन ने एक बार फिर ये साफ़ कह दिया है कि वो कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और दो तरफ़ा (भारत और पाकिस्तान) समझौतों की रोशनी में चाहता है, जो कि उनके अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण बयान है.
उन्होंने कहा कि भारत की तरफ़ से पिछले एक साल में कश्मीरियों के उत्साह को तोड़ने की पूरी कोशिश की गई.
कुरैशी के अनुसार भारत प्रशासित कश्मीर की छह पार्टियों की तरफ़ से जारी किए गए संयुक्त बयान (गुप्कर प्रस्ताव) से घाटी के लोगों कें संघर्ष को एक नई ताक़त मिली है.
याद रहे कि शनिवार को पीडीपी, नेशनल कॉन्फ़्रेंस, पीपल्स कॉन्फ़्रेंस और कुछ दूसरी पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया था जिसमें उन्होंने कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने की माँग को सबसे ऊपर रखा था.
सऊदी अरब के साथ संबंध
शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान का एक ख़ास नज़रिया है और इसलिए वो अपने दोस्तों ने कुछ उम्मीदें रखता है.
उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान के सऊदी अरब के साथ संबंध स्थिर हैं और रहेंगे.'
एक सवाल के जवाब में कि क्या सऊदी अरब ने पाकिस्तान को दिए गए पैसे वापस माँगे हैं, इस पर कु़रैशी ने कहा कि ये 'मनगढ़ंत' और 'काल्पनिक' सवाल है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने नज़रिए को पूरी दुनिया के सामने रख दिया है और प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि पाकिस्तान इस मामले में किसी भी दबाव में नहीं आएगा.
कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब के नज़रिए के बारे में कु़रैशी ने कहा कि इस बारे में सोशल मीडिया पर नकारात्मक धारणा पेश की गई थी.
सऊदी अरब के बारे में क़ुरैशी ने कहा, "सऊदी अरब का इस बारे में नज़रिया बिल्कुल स्पष्ट है और अब देखना है कि उसे आगे कैसे लेकर चलना है."
क़ुरैशी का ये बयान इसलिए अहम है क्योंकि पिछले दिनों सऊदी अरब और ओआईसी के बारे में दिए गए उनके बयान से काफ़ी बवाल मच गया था.
सऊदी अरब पर क़ुरैशी का पिछला बयान
पाँच अगस्त, 2020 को भारत प्रशासित कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म होने के एक साल पूरा होने पर पाकिस्तान जब प्रताड़ना दिवस मना रहा था तो शाह महमूद कुरैशी ने एक निजी न्यूज़ चैनल एआरवाई पर एक प्रोग्राम में बात करते हुए किसी पब्लिक प्लेटफ़ॉर्म पर पहली बार सऊदी अरब की नीति पर खुल कर मायूसी ज़ाहिर की थी.
उन्होंने कहा था, "सऊदी अरब और हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं. इज़्ज़त और मोहब्बत का रिश्ता है. पाकिस्तानी मक्का और मदीना की सुरक्षा के लिए जान देने को तैयार हैं. आज मैं उसी मित्र देश (सऊदी अरब) से कह रहा हूँ कि पाकिस्तान का मुसलमान और वो पाकिस्तानी जो आपके लिए लड़ने मरने के लिए तैयार है, आज वो आप से कह रहा है कि आप (कश्मीर के मामले पर) उस नेतृत्व की भूमिका निभाएँ, जो मुसलमान आपसे उम्मीद कर रहे हैं और अगर न किया तो मैं इमरान ख़ान से कहूंगा कि अब और इंतज़ार नहीं हो सकता. हमें आगे बढ़ना होगा. सऊदी अरब के साथ या उसके बिना."
पाकिस्तान के विदेश मंत्री की तरफ़ से खुले आम सऊदी अरब से शिकायत पर कूटनीतिक हलक़ों में तहलका मच गया था. ना सिर्फ़ सऊदी अरब बल्कि क़ुरैशी ने ओआईसी पर भी जमकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी.
उन्होंने कहा था, "मैं एक बार फिर ओआईसी से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करूँगा कि अगर आप विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक नहीं बुला सकते हैं, तो मैं मजबूरन अपने प्रधानमंत्री से कहूँगा कि वो मुस्लिम देश जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़ा होना चाहते हैं और कश्मीर के पीड़ितों का साथ देना चाहते हैं, उनका सत्र बुला लें चाहे वो ओआईसी के फ़ोरम पर हों या न हों."
उनके इस बयान के बाद मीडिया और राजनीतिक हलक़ों में तहलका मच गया था. कई लोगों ने इसे उनका निजी बयान बताकर ख़ारिज कर दिया. यहां तक कि इमरान ख़ान को भी कहना पड़ा कि सऊदी अरब के साथ कोई मतभेद नहीं है और उनके साथ मज़बूत भाईचारे के संबंध बने हुए हैं.
शाह महमूद क़ुरैशी के इस बयान के बाद परदे के पीछे की कूटनीति हरकत में आ गई.
इस्लामाबाद स्थित सऊदी राजदूत ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा से रावलपिंडी में पाकिस्तान के सेना मुख्यालय में मुलाक़ात की और फिर जनरल बाजवा ने सऊदी अरब का दौरा किया.
सोमवार को शाह महमूद क़ुरैशी का ये कहना कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सबकुछ सामान्य है, दरअसल उनके बयान से पैदा हुए तनाव को कम करने की एक कोशिश है.
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