बिहार चुनावः चिराग पासवान पर बीजेपी ने लगाया भ्रम फैलाने का आरोप, इसके पीछे क्या है खेल?

 


  • टीम बीबीसी हिंदी
  • नई दिल्ली
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भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रकाश जावड़ेकर ने एलजेपी यानी लोक जनशक्ति पार्टी को वोट कटवा पार्टी बताते हुए कहा कि चिराग पासवान बीजेपी के नेताओं का नाम लेकर भ्रम पैदा करने की कोशिशें कर रहे हैं.

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "बिहार में लोजपा ने अपना अलग रास्ता चुना है और वो हमसे अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का नाम लेकर वो भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. ये झूठी बयानबाज़ी सफल नहीं होगी. भाजपा की कोई बी, सी, डी टीम नहीं है. हमारी एक ही मज़बूत टीम है, बीजेपी, जेडीयू, हम और वीआईपी, चार पार्टियों का हमारा गठबंधन है."

जावड़ेकर ने कहा कि एनडीए बिहार विधानसभा चुनावों में तीन-चौथाई बहुमत हासिल करेगा.

उन्होंने कहा, "एनडीए मज़बूती से चुनाव लड़ रहा है और तीन चौथाई बहुमत से विजयी होगा. हम कांग्रेस, आरजेडी और माले के अपवित्र गठबंधन को हराएंगे. चिराग की पार्टी एक वोट कटवाने वाली पार्टी रह जाएगी और हम तीन चौथाई बहुमत से चुनाव जीतेंगे इसलिए इस तरह के भ्रम फैलाने की कोशिश सफल नहीं होगी. इन प्रयासों की हम निंदा भी करते हैं."

लोजपा बिहार में एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ रही है. हालांकि लोजपा केंद्र में अभी भी एनडीए के साथ ही है. लोजपा नेता चिराग पासवान एक ओर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ कर रहे हैं.

जावड़ेकर के बयान पर चिराग ने क्या कहा?

चिराग पासवान ने अपनी पार्टी को वोट कटवा कहे जाने पर निराशा ज़ाहिर की है. समाचार एजेंसी एएनआई से चिराग ने कहा, हमारी पार्टी बीस साल पुरानी है और उसकी अपनी विचारधारा है.

चिराग पासवान ने कहा, "दो दिन पहले ही आप सभी ने मेरे पिता को श्रद्धांजलि दी है, अब आप उनकी पार्टी के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, मेरा पिता ये शब्द सुनकर ख़ुश नहीं होंगे."

चिराग पासवान ने ये भी कहा कि बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी उनके पिता के सबसे अच्छे दोस्त थे.

चिराग पासवान ने कहा कि वो प्रधानमंत्री मोदी का नाम या तस्वीर अपने चुनाव अभियान में इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो मोदी पर आंख बंद करके विश्वास करते हैं और वो उनके हनुमान हैं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी नीतीश कुमार के दबाव में ऐसी बयानबाज़ी कर रही है और वो इसे समझते हैं.

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इससे पहले चिराग पासवान ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि वो बिहार में वो जदयू को सत्ता से बाहर देखना चाहते हैं और बीजेपी-एलजेपी की सरकार बनते देखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "मैं बीजेपी से अलग नहीं हो सकता हूं. प्रधानमंत्री से अलग नहीं हो सकता हूं. मैंने कई बार अमित शाह जी से कहा था कि वो मुझे बिहार में अलग होकर चुनाव लड़ने दें और बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के एजेंडे पर काम करने दें. मैं जानता हूं कि बिहार के सीएम मेरे एजेंडे को शामिल नहीं करेंगे."

पासवान ने ये भी कहा कि वो बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जिन सीटों पर उनके उम्मीदवार बीजेपी के ख़िलाफ़ उतरेंगे वो दोस्ताना प्रतिद्वंदिता होगी.

पासवान का ये भी कहना है कि उन्होंने लोजपा की 38 सीटों की सूची बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दी थी और इनमें से अधिकतर सीटें गठबंधन में जेडीयू के खाते में दी गई हैं.

वीडियो कैप्शन,

जब पासवान जनता पार्टी के महासचिव हुआ करते थे.

"जीतने के बाद बीजेपी का समर्थन"

उन्होंने कहा, "अगर बीजेपी जीतती है तो हम उसकी भी ख़ुशी मनाएंगे. अगर हम जीतते हैं तो हम बीजेपी का समर्थन करेंगे. मैं बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाली बीजेपी-एलजेपी सरकार देखना चाहता हूं."

चिराग पासवान मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खुलकर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि वो नीतीश को दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहते हैं.

आज बीजेपी ने चिराग पर हमला तेज़ किया है. प्रकाश जावड़ेकर के अलावा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी अपने बयानों में कहा है कि बीजेपी की कोई बी, सी या डी टीम नहीं है और वो गठबंधन में मज़बूती से चुनाव लड़ रही है.

चिराग पासवान के पिता और लोजपा संस्थापक राम विलास पासवान की हाल ही में मौत हुई है. पासवान केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री थे.

क्या जेडीयू को शांत करने के लिए लोजपा पर निशाना साधा गया है?

विश्लेषण, मणिकांत ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार

बीजेपी ने लोक जनशक्ति पार्टी पर दरअसल जेडीयू के दबाव में स्पष्टीकरण दिया है.

बिहार में सत्ता चला रही दोनों ही पार्टियां, बीजेपी और जेडीयू दोनों ही लगभग समकक्ष दल हैं. इनमें से ऐसा नहीं है कि कोई एक दल उठा हुआ हो या दूसरा दबा हुआ हो.

इन दोनों ही दलों में से अगर किसी एक को लगता है कि उसके साथ कुछ गड़बड़ हो रही है या किसी तरह से, परोक्ष रूप से ही सही कोई खेल है, यदि ये आशंका किसी एक दल के मन में है तो उसने उसे ज़ाहिर भी किया है और उससे एक दबाव भी बना है.

बीजेपी पर ऐसा ही दबाव बीते दिनों दिखा है जो जेडीयू और नीतीश कुमार ने बनाया है.

नीतीश कुमार

जिस तरह से चिराग पासवान और लोजपा ने जेडीयू और ख़ासतौर पर नीतीश कुमार पर हमला किया है, जेडीयू उसकी सफ़ाई चाहती थी. बीजेपी को सफ़ाई देनी पड़ी और ये कहना पड़ा कि बिहार में लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है और लोजपा को किसी भी तरह से बीजेपी का सहयोग प्राप्त नहीं है.

लेकिन बीजेपी की आज की बयानबाज़ी से ये बात बिल्कुल स्पष्ट है कि जेडीयू और नीतीश कुमार की ओर से उन पर स्पष्टीकरण देने का दबाव था.

लेकिन क्या बीजेपी का स्पष्टीकरण देना काफ़ी है और इससे चीज़ें स्पष्ट हो जाएंगी? ऐसा नहीं है, बात इतनी सी नहीं जितना बीजेपी कह रही है. इसके पीछे कुछ ना कुछ ज़रूर है. वो कुछ ऐसा है जो नीतीश कुमार को परेशान किए हुए हैं.

आज बीजेपी जो भी सफ़ाई दे रही है, ये लगता है कि सिर्फ़ सफ़ाई तक ही सीमित है, आम जनता में संदेश कुछ और चला गया है. जो संदेश लोगों के बीच में जाना था वो चला गया कि इस बार एलजेपी ऐसा ज़रिया बनेगी जो नीतीश कुमार और जेडीयू के लिए मुश्किलें पैदा करेगी.

ये भी कहा जा सकता है कि बीजेपी ने जनता के बीच ये संदेश जाने दिया है. अब बीजेपी सफ़ाई सिर्फ़ इसलिए दे रही है ताकि आगे चलकर कोई सवाल उठे तो जवाब दिया जा सके.

आगे यदि बीजेपी पर लोजपा को लेकर कोई सवाल उठ सकता है तो उन्होंने ये जवाब देने के लिए जगह बनाई है कि हमने तो कार्रवाई की. बीजेपी के जो नौ नेता एलजेपी की ओर गए हैं उन्हें भी पार्टी ने निष्कासित कर दिया है.

ये सफ़ाई और कार्रवाई सिर्फ़ इसलिए है कि बात इस क़दर न बिगड़ जाए की बीजेपी और जेडीयू के बीच में भीतरघात ही शुरू हो जाए.

जहां तक चिराग पासवान के बीजेपी का नाम लेने का सवाल है तो इससे बीजेपी को ही फ़ायदा होता दिखता है. बीजेपी में जो लोग नीतीश कुमार से नाराज़ हैं, उन्हें एक तरह से बल मिला है.

एलजेपी के इस रुख से बीजेपी में जेडीयू के प्रति जो नाराज़गी है उसको ताक़त मिली है. निश्चित रूप से ये नीतीश कुमार के लिए चिंता का विषय है.

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